
सुनामी एवं तटीय बाढ़ जैसी विकट स्थितियों में लहरों के वेग एवं मलबे के दुष्प्रभावों के शमन हेतु एक स्थायी एवं स्थिर समाधान
सुनामी एवं तटीय बाढ़ जैसी विकट स्थितियों में लहरों के वेग एवं मलबे के दुष्प्रभावों के शमन हेतु एक स्थायी एवं स्थिर समाधान
शोधकर्ताओं ने छोटे और मध्यम फाउंड्री में हरी रेत को पुनः उपयोगी बनाने के लिए एक अत्यधिक प्रभावी समाधान विकसित किया हैं।
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मुंबई का एक अध्ययन पदार्थों के गुणों को आणविक स्तर पर निर्धारित करने में मदद कर सकता है।
एक अध्ययन से पता चला है कि भूमि की सतह के तापमान के कारण, नगरों के ऊपर कोहरे का ठहराव सिकुड़ जाता है।
अम्लीय वर्षा आजकल एक मुख्य चर्चा का विषय है। मानव गतिविधियों के कारण प्रदूषण में वृद्धि का प्रतिकूल प्रभाव इसका कारण है ऐसा पर्यावरण वैज्ञानिकों ने बताया है। लेकिन इंसानों के धरती पर विकसित होने से पहले भी अम्लीय वर्षा के साक्ष्य पाये गए हैं। लगभग २५ करोड वर्ष पहले साइबेरियाई क्षेत्र में ज्वालामुखी के विस्फोट के कारण जो अम्लीय वर्षा हुई उसके कारण लगभग 90% समुद्री और 70% स्थलीय प्रजातियां खत्म हुई थी। अम्लीय वर्षा के कारण बड़े पैमाने पर प्रजातियों के लुप्त होने का यह पृथ्वी के इतिहास में सबसे विनाशकारी मामला था।
अगर कोई आपको ये कहे की किसी दूसरे व्यक्ति का मल आपके लिए दवा सिद्ध हो सकता है, तो शायद आप उसे पागल समझेंगे। आप उसका भरोसा करना तो दूर की बात बल्कि उसकी इस बेतुकी बात को हँसी में ज़रूर उड़ाने का सोचेंगे । यह बात अविश्वसनीय लगती है, लेकिन यह शत प्रतिशत सत्य है।
अच्छे स्वस्थ्य के लिए शुद्ध पेय जल एक महत्वपूर्ण ज़रूरत है। अशुद्ध जल पीने से हैज़ा, दस्त, पेचीस, हेपेटाइटिस-ए, और टायफॉइड जैसी बीमारियाँ होती हैं। भारत जैसे देश में, जहाँ २१ प्रतिशत संक्रामक बीमारियाँ दूषित जल के कारण फैलती हैं और साफ-सुरक्षित पेय जल की अनुपलब्धता के कारण प्रतिदिन ५०० से ज़्यादा बच्चे ५ वर्ष की आयु के भीतर ही दस्त के शिकार हो जाते हैं, शुद्ध पेय जल उपलब्ध कराना सर्वोपरि आवश्यकता है। वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सी.एस.आई.आर.) के भारतीय विषविज्ञान अनुसंधान संस्थान (सी.एस.आई.आर.
मुंबई और कोलकाता शहरों की परिधि पर बने उपनगर, आवास की समस्या का समाधान करने में विफल रहे हैं|
एक अध्ययन में दर्शाया गया है कि क्रिस्टलीकरण से कैसे किसी पदार्थ का आकार बदला जा सकता है।
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) मुंबई के शोधकर्ताओं ने धारणीय टेक्नोलॉजी का उपयोग करके बैडमिंटन प्रशिक्षण प्रणाली विकसित की है।
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मुंबई (आई आई टी बॉम्बे ) के शोधकर्ताओं ने अनार के बीज से पुष्टिकारक तेल, प्रोटीन और रेशे (फाइबर) निकालने का एक बहुत ही आसान तरीका सुझाया है।