मुंबई
कितना गंभीर है किसी का कोविड-19 संक्रमण?

छवि श्रेय: आईआईटी मुंबई

मार्च एवं अप्रैल 2021 में भारत के कोविड-19 प्रकरणों ने भारी उछाल देखा। कोविड-19 वैश्विक महामारी की द्वितीय लहर ने चिकित्सा अवसंरचना (मेडिकल इन्फ्रास्ट्रक्चर) पर अत्यधिक दबाव डाला। कई बार  यथोचित चिकित्सा सुविधाएं उन्हें उपलब्ध नहीं हो पाती थी जिन्हें गंभीर लक्षण थे और जिनको उनकी  अत्यधिक आवश्यकता थी। संक्रमित व्यक्ति के लक्षण कितने गंभीर हो सकते हैं, इस बात का पूर्वानुमान करने का  कोई उपाय नहीं था। कोविड-19 की पुष्टि करने वाला स्वर्णिम परीक्षण, आरटी-पीसीआर केवल यह बता सकता है कि  व्यक्ति संक्रमित है अथवा नहीं। दुर्भाग्यवश, यह परीक्षण संक्रमण की गंभीरता का निर्धारण नहीं कर सकता।
 
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मुंबई (आईआईटी बॉम्बे) एवं संक्रामक रोगोपचार कस्तूरबा चिकित्सालय, मुंबई के शोधकर्ताओं ने आईआईटी मुंबई के प्राध्यापक संजीव श्रीवास्तव के नेतृत्व में पाया कि एक व्यक्ति के नासाग्रसनी नमूने (नॉसाफिरिंजेल सैंपल) में स्थित विशिष्ट प्रोटीन्स के विभिन्न स्तर, संक्रमण की निम्न एवं अत्याधिक गंभीर स्थितियों के मध्य अंतर कर सकते हैं। यह जानकारी चिकित्सालयों द्वारा समय पर स्वास्थ्य-सेवा संसाधन वितरण में सहायक होगी तथा सुनिश्चित करेगी कि जिन्हें विकट देखभाल की आवश्यकता है, उनकी पहचान अपेक्षाकृत सुगमता से हो सके। यह अध्ययन सेल-प्रेस की आईसाइंस (iScience) नामक अभिगम सुलभ (ओपन एक्सेस)  शोध-पत्रिका में प्रकाशित किया गया है। यह अध्ययन वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सी एस आई आर)  एवं आईआईटी  मुंबई के द्वारा वित्त पोषित किया गया है।

सामान्य रूप से उपयोग में आने वाला आरटी-पीसीआर परीक्षण, विषाणु के न्यूक्लेइक अम्ल के संसूचन (डिटेक्शन) हेतु रिवर्स ट्रान्सक्रिप्शन-पॉलीमरेस चेन रिएक्शन का उपयोग करता है। किंतु संक्रमण के विभिन्न चरणों में विमुक्त हुए विशिष्ट विषाणु या पोषित प्रोटीन में बहुत सी कहानियां छिपी होती हैं। यह जानकर कि कौन सा प्रोटीन किस चरण में विमुक्त होता है, हम रोग की गंभीरता का निर्धारण कर सकते हैं। मास स्पेक्ट्रोमेट्री एक ऐसा साधन है जो किसी नमूने में  विशिष्ट प्रोटीन की उपस्थिति एवं उसकी प्रतिशतता का पता लगा सकता है।

किंतु पहले शोधकर्ताओं ने यह परीक्षण करना आवश्यक समझा कि कोविड-19 के संक्रमण की पुष्टि करने हेतु क्या मास स्पेक्ट्रोमेट्री का एक प्राथमिक नैदानिक परीक्षण (प्रायमरी डायग्नोस्टिक टेस्ट) के रूप में उपयोग किया जा सकता है। कोविड-19 की तीव्रता के संसूचन (डिटेक्शन) तथा मापन हेतु पृथक-पृथक परीक्षण, पहले से ही भार-ग्रसित स्वास्थ्य कर्मियों के  कार्य में वृद्धि ही करेंगे। शोधकर्ताओं ने रोगियों के तीन समूहों; कोविड-19 धनात्मक (पॉजिटिव), कोविड-19 ऋणात्मक (निगेटिव) एवं कोविड-19 से स्वस्थ हुए (रिकवर्ड) व्यक्तियों के नासाग्रसनी नमूने एकत्रित किये। उन्होंने मास स्पेक्ट्रोमेट्री का उपयोग यह निर्धारित करने के लिए किया  कि प्रत्येक समूह के नमूनों में कौन से प्रोटीन उपस्थित थे।

शोधकर्ताओं ने कोविड-19 धनात्मक तथा कोविड-19 ऋणात्मक नमूनों के प्रोटीन परिच्छेदों (प्रोफाइल) की तुलना की। उन्होंने 25 प्रोटीन की पहचान की जिनका  कोविड-19 धनात्मक रोगियों में उन्नयन हुआ था या वे बहुतअधिक मात्रा में उपस्थित थे। उन्होंने सेलेक्टेड रिएक्शन मॉनिटरिंग (एसआरएम) परीक्षण नामक मास स्पेक्ट्रोमेट्री तकनीक का उपयोग करके 25 प्रकार के प्रोटीन की पहचान और मात्रा का सत्यापन किया। जबकि मास स्पेक्ट्रोमेट्री किसी भी जैविक अणु (बायो मॉलिक्यूल) की पहचान कर सकती है, एसआरएम परीक्षण मात्र प्रोटीन पर लक्षित होता है। अतएव प्रोटीनों की पहचान एवं इनकी मात्रा के सटीक मापन के लिए एसआरएम एक अत्याधिक संवेदनशील  एवं विशिष्ट प्रक्रिया है।     

इन 25 प्रकार के प्रोटीन का उपयोग संभवत: यह निर्धारित करने हेतु किया जा सकता है कि नमूना कोविड धनात्मक है अथवा कोविड ऋणात्मक। पहचाने गए प्रोटीनों के सीमान्त (कट-ऑफ) प्रतिशत के निर्धारण के लिए वृहद संग्रह  में एक मात्रात्मक नैदानिक अध्ययन (क्वांटिटेटिव क्लीनिकल स्टडी) किये जाने की आवश्यकता है। यह मास स्पेक्ट्रोमेट्री के नैदानिक परीक्षण के रूप में उपयोग की अनुमति प्रदान करेगा।     

शोधकर्ताओं ने कोविड -19 से स्वस्थ हुए (रिकवर्ड) नमूनों का उपयोग यह पहचानने के लिए किया कि क्या इन प्रोटीन ने रोग की गंभीरता या स्वास्थ्य-लाभ की दिशा में प्रगति का संकेत भी दिया है। इस प्रकार, केवल धनात्मक रोगियों (पॉजिटिव पेशेंट) में परिवर्तित हुई उद्देश्यपरक प्रोटीन्स की सूची को सीमित करने के लिए, कोविड -19 से स्वस्थ हुए रोगियों का उपयोग एक अन्य नियंत्रक के रूप में किया गया।

दूसरा चरण ऐसे प्रोटीन की जानकारी करना था जो गंभीर प्रकरणों को अपेक्षाकृत अल्प गंभीरता वाले प्रकरणों से पृथक करते थे। 24 कोविड -19 धनात्मक नमूनों में 11 अल्प गंभीर और 13 गंभीर रोगियों के नमूने सम्मिलित थे। एक रोगी को अत्याधिक गंभीर माना जाता है यदि वह उग्र श्वसन संकट संलक्षण (एक्यूट रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम), निमोनिया से ग्रसित है या उसका ऑक्सीजन संतृप्ति स्तर 87% से कम है। शोधकर्ताओं ने गंभीर एवं अल्प गंभीर समूहों के नमूनों का पृथक-पृथक विश्लेषण किया। उन्होंने छह महत्वपूर्ण प्रोटीन की पहचान की जो गंभीर कोविड-19 रोगियों को अल्प गंभीरता वाले रोगियों से पृथक कर सकते थे। 

प्रोटीन कोशिकीय (सेलुलर) गतिविधियों में चरण-दर-चरण प्रक्रियाओं के माध्यम से भाग लेते  हैं। प्रक्रिया के प्रत्येक चरण में विशिष्ट प्रोटीन की आवश्यकता हो सकती है। शोधकर्ताओं ने पहचाने हुए  छह प्रोटीनों द्वारा मनुष्यों की कोशिकीय प्रक्रियाओं में निभाई गयी भूमिका का अध्ययन किया। कोविड-19 संक्रमण इन प्रक्रियाओं को परिवर्तित कर देता है, जिससे छह पहचाने गए प्रोटीन का स्तर अधिक हो जाता है। इस प्रकार, इन उद्देश्यपूर्ण प्रोटीन को बाधित करने वाली औषधियों का निर्माण संक्रमण की तीव्रता  को न्यून कर देगा। 

शोधकर्ता परीक्षण करना  चाहते थे कि एक नवीन औषधि के निर्माण की प्रतीक्षा करने के स्थान पर, क्या इन निर्धारित प्रोटीन को लक्षित करने हेतु कोई विद्यमान औषधि का उपयोग किया जा सकता है। विद्यमान औषधि के उपयोग करने का लाभ यह है कि इनकी सुरक्षा सत्यापित होती है। शोधकर्ताओं ने  प्रयोगशाला में संक्रमित सूत्रधार (होस्ट) की परिवर्तित कोशिकीय प्रक्रियाओं में संलग्न प्रोटीन के प्रति वर्तमान औषधियों (29 एफडीए स्वीकृत, 09 नैदानिक एवं 20 पूर्व-नैदानिक परीक्षण औषधियाँ) की बंधनकारी क्षमता (बाइंडिंग एफिशिएंसी) का पता लगाया। यह करके, शोधकर्ताओं ने विभिन्न औषधियों एवं लघु अणुओं की पहचान की, जो संभावित रूप से उद्देश्यपूर्ण प्रोटीन को बाँध  कर अवरोधित कर सकती हैं।

“औषधि विकास एक कीमती एवं बहुत समय लेने वाली प्रक्रिया है। अतः कोविड-19 से निपटने के लिए एक वैकल्पिक चिकित्सकीय दृष्टिकोण महत्वपूर्ण है,” इस अध्ययन के लेखकों में से एक, डॉ कृथि स्पष्ट करती है। “इन औषधियों में से अधिकाँश एफडीए स्वीकृत हैं एवं अन्य रोगों के समूहों से लड़ने हेतु उपयोग की जा रही हैं।” अत: ये औषधियाँ कोविड-19 के उपचार के लिए सामर्थ्य रखती हैं।

मास स्पेक्ट्रोमेट्री संभवत: नैदानिक एवं पूर्वानुमान परीक्षण के रूप में उपयोग की जा सकती है। इन परिणामों की मान्यता के लिए कोविड-19 धनात्मक एवं कोविड-19 ऋणात्मक नमूनों के वृहद संग्रह में अध्ययन किये जाने की आवश्यकता है। निर्धारित प्रोटीनों का एक मात्रात्मक विश्लेषण (क्वांटिटेटिव एनालिसिस) किया जाना आवश्यक है। इन छोटे अणुओं एवं औषधियों की मान्यता के लिए मानव कोशिकाओं के अंदर कुछ और परीक्षण किए जाने की आवश्यकता है।

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