मुंबई
spherical robot

कैमरों के प्रसार की वजह से इन रेकॉर्डिंग उपकरणोंको जेब मे रखके हम जहॉं जाए अपने साथ ले जा सकते हैं। एक बटन के क्लिक से हम अपने स्मार्टफ़ोन पर चलते-फिरते स्पष्ट वीडियो रिकॉर्ड करने में सक्षम हैं। हमने ड्रोन और अन्य रोबोटों पर भी कैमरे लगाए हैं, जिससे हम उन स्थानों और परिदृश्यों को देख सकते हैं जो अन्यथा असंभव होता। इसरो ने ऐसे ही एक रोबोट, प्रज्ञान रोवर को चंद्रमा की सतह पर सफलतापूर्वक उतारा है। लेकिन वीडियो रिकॉर्ड करना हमेशा आसान काम नहीं होता है। पर्यावरण और यंत्र संबंधी बाधाएं अक्सर हमारे वीडियो की गुणवत्ता को प्रभावित करती हैं।

मुख्य चुनौतियों में से एक है, चलते-फिरते रिकॉर्डिंग करते समय एक स्थिर वीडियो प्राप्त करना, खासकर जब कैमरा दूरस्थ हो। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मुंबई (आईआईटी मुंबई) के शोधकर्ताओं ने अब एक वीडियो में अनभिप्रेत गतियों को हटाकर वीडियो को स्थिर करने के लिए एक गणितीय एल्गोरिदम विकसित किया है।

“जब कैमरा किसी गतिविधि को रेकॉर्ड करने कि लिए घुमते हुए रोबोट पर लगाया जाता है तो हम उस गतिविधि को कैद करना चाहते है। उसगतिविधि के अतिरिक्‍त कुछ भी जुड़ना हमारे लिए अवांछित है,” आईआईटी मुंबई की प्रोफेसर और इस नए शोध की लेखिका प्रो. लीना वाच्छानी टिप्पणी करती हैं।

रोबोट का दोलन अनभिप्रेत गति उत्पन्न कर सकता है। दोलनों का कारण नए आदेशों के निष्पादन, कैमरा प्लेटफ़ॉर्म की अस्थिरता, या रोबोट में परिष्कृत फीडबैक सेंसर की कम प्रगत होना हो सकता है ।

किसी वीडियो को स्थिर करने के लिए कई विधियाँ उपलब्ध हैं। सबसे आसान होगा एक स्थिर प्लेटफ़ॉर्म का उपयोग करना, तिपाई स्टैंड या गीम्बल (एक चुल या कील जिस पर कोई यंत्र आसानी से घूमता हो) या अन्य डिवाइस। ये कैमरे को बहुत अधिक गड़बड़ी के बिना चलने के लिए एक स्थिर मंच प्रदान करके वीडियो स्थिरीकरण में मदत करता है। ड्रोन और रोबोट में गिंबल्स शामिल हो सकते हैं, जो मोटरों को सक्रिय कर प्रत्येक अक्ष पर कैमरे को स्थिर रख सकते हैं। हालाँकि, इससे सेटअप पर भार बढ़ जाता है, जो कुछ मामलों में अवांछनीय है। मैकेनिकल स्टेबलाइजर्स के अलावा, डिजिटल स्टेबिलाइजेशन वीडियो में अवांछित गतियों को हटाने के लिए सॉफ्टवेयर का उपयोग करता है। इनमें अक्सर वीडियो एन्हांसमेंट या सुधार तकनीकें शामिल होती हैं जो वीडियो रिकॉर्ड होने के बाद उसमें अनभिप्रेत गतियों के प्रभाव को हटा देती हैं।

पारंपरिक डिजिटल स्थिरीकरण तकनीकों में आमतौर पर जड़त्वीय माप इकाइयों (आईएमयू) जैसे कई सेंसर का उपयोग शामिल होता है, जो कैमरे और रोबोट के वेग को मापते हैं, और इसलिए अनभिप्रेत गति को कम करते हैं। यदि रोबो या कैमरा के उपर सेंसर लगाना व्यवहार्य नहीं हैं, तो पारंपरिक तकनीक फीचर ट्रैकिंग या मोशन एक्सट्रैक्शन जैसी तकनीकों का उपयोग करते हैं। फ़ीचर ट्रैकिंग में किसी दृश्य में कुछ स्थिर विशेषताओं, जैसे वस्तुओं या आकृतियों, को क्रमिक फ़्रेमों में ट्रैक करना शामिल होता है, जबकि मोशन ट्रैकिंग कैमरे की गति पर नज़र रखती है, ताकि अनभिप्रेत गति के कारण होने वाली गड़बड़ी की पहचान की जा सके। ये दोनों विधियाँ जटिल प्रक्रियाएँ हैं जिनके लिए उच्च संगणकीय संसाधनों की आवश्यकता होती है। परंपरागत रूप से, यह गणना हाथ में पकडे जाने वाले दूरस्थ नियंत्रक छोर पर की जाती है। इसका मतलब है कि वीडियो को नियंत्रक पर भेजना होगा, जो उसपर प्रक्रिया कर विडियो को अंतिम रूप देता है। मगर इसके कारण नियंत्रक भारी हो जाते हैं।

प्रोफेसर वाच्छानी बताती हैं, “स्थिरीकरण के लिए उपयोग किया जाने वाला सॉफ़्टवेयर पर्याप्त हल्का होना चाहिए, और कम संगणकीय संसाधन उपयोग करनेवाला होना चाहिए, ताकि मैं इसे सरल माइक्रोकंट्रोलर के साथ कर सकूं और मेरा हाथ में पकड़ने वाला दूरस्थ नियंत्रक भारी न हो।”

अपनी नई पद्धति के लिए, आईआईटी मुंबई के शोधकर्ताओं का लक्ष्य एक हल्का डिजिटल संस्करण विकसित करना है जो परिष्कृत हार्डवेयर या फीचर ट्रैकिंग पर निर्भर न हो। उन्होंने एक नवीन पद्धति विकसित की जो सिंग्युलर वैल्यू डिकंपोज़िशन नामक गणितीय तकनीक का उपयोग करती है। इस पद्धति में वीडियो के भीतर आकृतियों और वस्तुओं जैसी महत्वपूर्ण विशेषताओं के लिए आइगेनवैल्यू (eigenvalues) नामक मान निर्दिष्ट करना शामिल है। इन आइगेनवैल्यूओं ​​​​में परिवर्तनों को ट्रैक करने का उपयोग वीडियो पर अनभिप्रेत गति के प्रभावों की गणना करने के लिए किया जा सकता है।

प्रोफेसर वाच्छनी के अनुसार, “आइजेनवैल्यूज़ वीडियो की मुख्य विशेषताओं को पकड़ते हैं। सिंग्युलर वैल्यू डिकंपोज़िशन से मुझे उन मूल्यों से जुड़े मुख्य मूल्यों और गुणांकों की पहचान करने में मदद मिलती है।”

फिर गुणांकों का उपयोग यह निर्धारित करने के लिए किया जा सकता है कि वीडियो में कोई अस्थिरता है या नहीं।

स्थिरीकरण तकनीक गड़बड़ी की आवधिक संरचना पर निर्भर करती है। जानबूझकर की गई गति आमतौर पर एक सहज प्रवाही गति होती है, जबकि, अनभिप्रेत गति अचानक झटके के रूप में सामने आती है या अस्थिर होती है।

प्रोफेसर वाच्छानी की टिप्पणी है, “अनभिप्रेत गति उच्चावच तथा अस्थिरतासे युक्त होती है और आवधिक संकेतों से जुड़ी होती है।”

एक बार पहचाने जाने के बाद, आवधिक संकेतों को एक अन्य गणितीय तकनीक का उपयोग करके फ़िल्टर किया जाता है जिसे शेप प्रिज़र्वेशन फिल्टर कहा जाता है। यह फ़िल्टर सिग्नल की किसी भी अतिरिक्त आवधिकता को हटा देता है, इस प्रकार मूल सिग्नल को संरक्षित करता है। एक बार आवधिक संकेतों को फ़िल्टर कर दिए जाने के बाद, वीडियो को स्थिर माना जाता है। लागू विधि वांछित गति के साथ दृश्य को संरक्षित करते हुए केवल अनपेक्षित गति के प्रभावों को हटा देती है।

दो प्रकार के छोटे रोबोटों, एक लगभग फूटबॉल जितना गोलाकार और एक मानव रहित हवाई वाहन (अनमॅन्ड एरियल वेहिकल, यूएवी) पर परीक्षणों ने आशाजनक परिणाम दिखाए। चुनौतीपूर्ण परिस्थितीजन्य बाधाओं और अनभिप्रेत गति के बड़े आयामों के साथ प्रस्तुत किए जाने पर भी, उन्होंने स्पष्ट रूप से बेहतर वीडियो स्थिरीकरण दिखाया। हालाँकि, विभिन्न वातावरणों और निगरानी अनुप्रयोगों में हल्के स्थिरीकरण पद्धति के प्रदर्शन का आकलन करने के लिए निरंतर अनुसंधान आवश्यक है।

छोटे रोबोट और ड्रोन का उपयोग फोटोग्राफी, मैपिंग, दृश्य निरीक्षण, लक्ष्य का पता लगाने और ट्रैकिंग जैसे वाणिज्यिक और सुरक्षा के क्षेत्रों में तेजी से हो रहा है। नई विधि संभावित रूप से इन बॉट्स द्वारा कैप्चर किए गए वीडियो अनुक्रमों की गुणवत्ता में उल्लेखनीय सुधार करके दूरस्थ दृश्य अवलोकनों में छोटे आकार के रोबोटों के अनुप्रयोगों का विस्तार कर सकती है।

 

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