Bengaluru
आप श्वास ले रहे हैं कि विषपान कर रहे हैं? वायु प्रदूषण भारत में मृत्यु का एक प्रमुख कारण है,  एक अध्ययन से पता चला है.

आजकल का अदृश्य हत्यारा, वायु प्रदूषण, आज एक प्रमुख वैश्विक स्वास्थ्य के जोखिम के रूप में हमारे सामने है, जिसने निम्न और मध्यम आय वाले देशों को अधिक प्रभावित किया है। दुनिया के 15 सबसे प्रदूषित शहरों में से 14 अकेले भारत में ही  हैं। इसके उचित समाधान हेतु विभिन्न राज्यों में वायु प्रदूषण के स्तर और प्रभाव को समझने के लिए एक राष्ट्रव्यापी व्यापक अध्ययन आवश्यक था। “लैनसेट प्लैनेटरी हेल्थ” नामक शोध-पत्रिका में प्रकाशित एक नवीनतम अध्ययन, भारत के विभिन्न राज्यों में प्रदूषित-वायु जनित मृत्यु, व्याधियों एवं अल्पायु-आकलन का,  एक व्यापक चित्र प्रस्तुत करता है।

यह अध्ययन स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के सहयोग से भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद, पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया एवं इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ मैट्रिक्स एंड एवेलुएशन के संयुक्त प्रयास से भारत राज्य स्तरीय रोग बोझ पहल के अंतर्गत किया गया, जिसमें समस्त भारत के लगभग 100 संस्थानों के विशेषज्ञ सम्मलित थे। यह अध्ययन भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद, स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार एवं बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन के द्वारा वित्त पोषित किया गया।

शोधकर्ताओं ने सन्  २०१७ में वायु प्रदूषण के विविध रूपों, जैसे कि परिवेशीय कणिका द्रव्य प्रदूषण अर्थात एम्बिएंट पार्टीकुलेट मैटर पॉल्युशन, बाह्य एवं घरेलू वायु प्रदूषण एवं प्रत्येक राज्य पर इसके प्रभाव का आकलन किया। दोनों ही दशाओं में शोधकर्ताओं द्वारा की गई गणनाओं में पीएम-२.५ नामक सूक्ष्म कणों को पाया गया, जिनका व्यास मानव केश का लगभग 3% होता है।

शोधकर्ता बताते हैं कि "भारत की तीन चौथाई से अधिक जनसंख्या, भारत में राष्ट्रीय परिवेशी वायु गुणवत्ता मानकों द्वारा तय सीमा से भी अधिक कणिका द्रव्य प्रदूषण के अनावरण अर्थात एक्स्पोज़र से ग्रसित है।" वर्ष 2017 में वायु प्रदूषण, लगभग प्रत्येक आठ में से एक मृत्यु का कारण बना और 12.4 लाख भारतीयों ने अपना जीवन खो दिया। अध्ययन बताता है कि लगभग 6.7 लाख लोग परिवेशी कणिका द्रव्य प्रदूषण का शिकार बने जबकि शेष 4.8 लाख लोगों ने घरेलू वायु-प्रदूषण के कारण अपनी जान गँवाई । लगभग 56 % भारतीय अभी भी ठोस ईंधन जैसे कि लकड़ी, गोबर, कृषि अवशेष, कोयला और चारकोल का उपयोग करते हैं, जो घरेलू प्रदूषण के लिए प्रमुख रूप से दोषी है।

आधे से अधिक पीड़ित 70 वर्ष से कम उम्र के थे। अध्ययन यह भी बताता है कि भारत ने, जो कि वैश्विक आबादी का लगभग 18% है, वायु प्रदूषण के कारण 26% वैश्विक अकाल मृत्यु और स्वास्थ्य की हानि का सामना किया है।

यद्यपि फेफड़ों का रोग, वायु प्रदूषण से जुड़ी मुख्य समस्या के रूप में देखा जाता है, किंतु अध्ययन कहता है कि वायु प्रदूषण जनित 38% रोग, हृदय रोगों और मधुमेह से संबंधित थे। शोधकर्ताओं के अनुसार भारत में वायु प्रदूषण का एक और उल्लेखनीय पक्ष आमतौर पर धूम्रपान से जुड़ी बीमारियों में इसका योगदान होना, जैसे कोरोनरी धमनी की बीमारी, आघात, दीर्घकालीन फुफ्फुसीय अवरोधक रोग अर्थात सीओपीडी और फेफड़ों का कैंसर है।

वायु प्रदूषण हमारे जीवन काल का एक महत्वपूर्ण हिस्सा छीन लेता है। "हमने अनुमान लगाया है कि यदि भारत में वायु प्रदूषण का स्तर स्वास्थ्य में हानि उत्पन्न करने वाली सीमा से कम होता, तो 2017 में औसत जीवन अपेक्षा 1.7 वर्ष से अधिक होती और यह बढ़त राजस्थान, उत्तर प्रदेश एवं हरियाणा राज्यों में 2 वर्ष अधिक होती”, ऐसा शोधकर्ताओं का कहना है।

वायु प्रदूषण का प्रभाव विभिन्न राज्यों में भिन्न भिन्न होता है। उत्तर प्रदेश, बिहार, दिल्ली और हरियाणा में अत्यधिक उच्च स्तर का कणिका द्रव्य पाया गया, जिसमें दिल्ली में यह सर्वाधिक था। शोधकर्ताओं को आशा है कि यह राज्य-स्तरीय जानकारी प्रत्येक क्षेत्र के लिए विशिष्ट हस्तक्षेप निर्धारित करने में सहायता करेगी।

"इस बड़े पर्यावरणीय जोखिम से उत्पन्न परिहार्य मृत्यु और बीमारियों को कम करना पूरे भारत में उन प्रभावी नीतियों की त्वरित तैनाती पर निर्भर करता है, जो प्रत्येक राज्य में वायु प्रदूषण की विशिष्ट समस्याओं और इसके विस्तार का ध्यान रखती है", लेखकों ने  निष्कर्ष निकाला है।
सारांश : समस्त भारत के लगभग 100 संस्थानों के शोधकर्ताओं ने भारत के विभिन्न राज्यों में प्रदूषित हवा जनित मौतों, बीमारियों और घटती  जीवन अपेक्षा  की व्यापक तस्वीर प्रस्तुत की है।

Hindi

Recent Stories

लिखा गया
Research Matters
Industrial Pollution

हाइड्रोजन आधारित प्रक्रियाओं में उन्नत उत्प्रेरकों और नवीकरणीय ऊर्जा के समावेश से स्टील उद्योग में कार्बन विमुक्ति के आर्थिक और औद्योगिक रूप से व्यवहार्य समाधानों का विकास ।

लिखा गया
Research Matters
Representative image of rust: By peter731 from Pixabay

दो वैद्युत-रासायनिक तकनीकों के संयोजन से, शोधकर्ता औद्योगिक धातुओं पर लेपित आवरण पर संक्षारण की दर को कुशलतापूर्वक मापने में सफल रहे।

लिखा गया
Research Matters
प्रतिनिधि चित्र श्रेय: पिक्साहाइव

उत्तम आपदा प्रबंधन एवं आर्थिक सुरक्षा की दृष्टि से, राज्य की वित्त व्यवस्था पर आपदा के प्रभाव का आकलन करने हेतु ‘डिजास्टर इंटेंसिटी इंडेक्स’ का उपयोग करते शोधकर्ता

लिखा गया
Research Matters
Lockeia gigantus trace fossils found from Fort Member. Credit: Authors

ಜೈ ನಾರಾಯಣ್ ವ್ಯಾಸ್ ವಿಶ್ವವಿದ್ಯಾಲಯದ ಸಂಶೋಧಕರು ಜೈಸಲ್ಮೇರ್ ನಗರದ ಬಳಿಯ ಜೈಸಲ್ಮೇರ್ ರಚನೆಯಲ್ಲಿ ಲಾಕಿಯಾ ಜೈಗ್ಯಾಂಟಸ್ ಪಳೆಯುಳಿಕೆಗಳನ್ನು ಕಂಡುಹಿಡಿದಿದ್ದಾರೆ. ಇದು ಭಾರತದಿಂದ ಇಂತಹ ಪಳೆಯುಳಿಕೆಗಳ ಮೊದಲ ದಾಖಲೆ ಮಾತ್ರವಲ್ಲ, ಇದುವರೆಗೆ ಪತ್ತೆಯಾದ ಅತಿದೊಡ್ಡ ಲಾಕಿಯಾ ಕುರುಹುಗಳು.

लिखा गया
Research Matters
ಇಂಡೋ-ಬರ್ಮೀಸ್ ಪ್ಯಾಂಗೊಲಿನ್ (ಮನಿಸ್ ಇಂಡೋಬರ್ಮಾನಿಕಾ). ಕೃಪೆ: ವಾಂಗ್ಮೋ, ಎಲ್.ಕೆ., ಘೋಷ್, ಎ., ಡೋಲ್ಕರ್, ಎಸ್. ಮತ್ತು ಇತರರು.

ಕಳ್ಳತನದಿಂದ ಸಾಗಾಟವಾಗುತ್ತಿದ್ದ ಹಲವು ಪ್ರಾಣಿಗಳ ನಡುವೆ ಪ್ಯಾಂಗೋಲಿನ್ ನ ಹೊಸ ಪ್ರಭೇದವನ್ನು ಪತ್ತೆ ಮಾಡಲಾಗಿದೆ.

लिखा गया
Research Matters
ಸ್ಪರ್ಶರಹಿತ ಬೆರಳಚ್ಚು ಸಂವೇದಕದ ಪ್ರಾತಿನಿಧಿಕ ಚಿತ್ರ

ಸಾಧಾರಣವಾಗಿ, ಫೋನ್ ಅನ್ನು ಅನ್ಲಾಕ್ ಮಾಡುವಾಗ ಅಥವಾ ಕಛೇರಿಯಲ್ಲಿ ಬಯೋಮೆಟ್ರಿಕ್ ಸ್ಕ್ಯಾನರುಗಳನ್ನು ಬಳಸುವಾಗ, ನಿಮ್ಮ ಬೆರಳನ್ನು ಸ್ಕ್ಯಾನರಿನ ಮೇಲ್ಮೈಗೆ ಒತ್ತ ಬೇಕಾಗುತ್ತದೆ. ಬೆರಳಚ್ಚುಗಳನ್ನು ಸೆರೆಹಿಡಿಯುವುದು ಹೀಗೆ. ಆದರೆ, ಹೊಸ ಸಂಶೋಧನೆಯೊಂದು ಈ ಪ್ರಕ್ರಿಯೆಯನ್ನು ಇನ್ನಷ್ಟು ಸ್ವಚ್ಛ, ಸುಲಭ ಮತ್ತು ಹೆಚ್ಚು ನಿಖರವಾಗಿಸುವ ವಿಧಾನವನ್ನು ರೂಪಿಸಿದೆ. ಸಾಧನವನ್ನು ಮುಟ್ಟದೆಯೇ ಬೆರಳಚ್ಚನ್ನು ಸಂಗ್ರಹಿಸುವ ಮಾರ್ಗವನ್ನು ಹುಡುಕಿದೆ.

लिखा गया
Research Matters
ಮೈಕ್ರೋಸಾಫ್ಟ್ ಡಿಸೈನರ್ ನ ಇಮೇಜ್ ಕ್ರಿಯೇಟರ್ ಬಳಸಿ ಚಿತ್ರ ರಚಿಸಲಾಗಿದೆ

ಐಐಟಿ ಬಾಂಬೆಯ ಸಂಶೋಧಕರು ಶಾಕ್‌ವೇವ್-ಆಧಾರಿತ ಸೂಜಿ-ಮುಕ್ತ ಸಿರಿಂಜ್ ಅನ್ನು ಅಭಿವೃದ್ಧಿಪಡಿಸಿದ್ದಾರೆ. ಈ ಮೂಲಕ ಸೂಜಿಗಳಿಲ್ಲದೆ ಔಷಧಿಗಳನ್ನು ಪೂರೈಸುವ ಮಾರ್ಗವನ್ನು ಕಂಡುಹಿಡಿದಿದ್ದಾರೆ.

लिखा गया
Research Matters
ಅತ್ಯಂತ ಪ್ರಾಚೀನ ವಸ್ತುವಿನ ಅಧ್ಯಯನ

ಹಯಾಬುಸಾ ಎಂದರೆ ವೇಗವಾಗಿ ಚಲಿಸುವ ಜಪಾನೀ ಬೈಕ್ ನೆನಪಿಗೆ ತಕ್ಷಣ ಬರುವುದು ಅಲ್ಲವೇ? ಆದರೆ ಜಪಾನಿನ ಬಾಹ್ಯಾಕಾಶ ಸಂಸ್ಥೆ - (ಜಾಕ್ಸ, JAXA) ತನ್ನ ಒಂದು ನೌಕೆಯ ಹೆಸರು ಹಯಾಬುಸಾ 2 ಎಂದು ಇಟ್ಟಿದ್ದಾರೆ. ಈ ನೌಕೆಯನ್ನು ಜಪಾನಿನ ಬಾಹ್ಯಾಕಾಶ ಸಂಸ್ಥೆ ಸೌರವ್ಯೂಹದಾದ್ಯಂತ ಸಂಚರಿಸಿ ರುಯ್ಗು (Ryugu) ಕ್ಷುದ್ರಗ್ರಹವನ್ನು ಸಂಪರ್ಕ ಸಾಧಿಸುವ ಉದ್ದೇಶದಿಂದ  ಡಿಸೆಂಬರ್ 2014 ರಲ್ಲಿ ಉಡಾವಣೆ ಮಾಡಿತ್ತು. ಇದು ಸುಮಾರು ಮೂವತ್ತು ಕೋಟಿ (300 ಮಿಲಿಯನ್) ಕಿಲೋಮೀಟರ್ ದೂರ ಪ್ರಯಾಣಿಸಿ 2018 ರಲ್ಲಿ ರುಯ್ಗು ಕ್ಷುದ್ರಗ್ರಹವನ್ನು ಸ್ಪರ್ಶಿಸಿತ್ತು. ಅಲ್ಲಿಯೇ ಕೆಲ ತಿಂಗಳು ಇದ್ದು ಮಾಹಿತಿ ಮತ್ತು ವಸ್ತು ಸಂಗ್ರಹಣೆ ಮಾಡಿ, 2020 ಯಲ್ಲಿ ಯಶಸ್ವಿಯಾಗಿ ಹಿಂತಿರುಗಿತ್ತು.

लिखा गया
Research Matters
ಕಾಂಕ್ರೀಟ್‌ ಪರೀಕ್ಷೆಗೆ ಪ್ರೋಬ್‌

ಕಾಂಕ್ರೀಟ್‌ನಲ್ಲಿ ಹುದುಗಿರುವ ರೆಬಾರ್‌ಗಳಲ್ಲಿನ ತುಕ್ಕು ಪ್ರಮಾಣವನ್ನು ಮಾಪಿಸಲು ವಿಜ್ಞಾನಿಗಳು ಒಂದು ಹೊಸ ತಪಾಸಕವನ್ನು ಅಭಿವೃದ್ಧಿಪಡಿಸಿದ್ದಾರೆ.

लिखा गया
Research Matters
‘ದ್ವಿಪಾತ್ರ’ದಲ್ಲಿ ಮೈಕ್ರೋ ಆರ್‌ಎನ್‌ಎ

ವೈರಲ್ ಸೋಂಕುಗಳು ಮತ್ತು ಸ್ವಯಂ ನಿರೋಧಕ ಕಾಯಿಲೆಗಳಲ್ಲಿ ಮೈಕ್ರೋ ಆರ್‌ಎನ್‌ಎ ‘ದ್ವಿಪಾತ್ರ’ದಲ್ಲಿ ಕೆಲಸ ಮಾಡುತ್ತದೆ. 

लिखा गया
Research Matters
ರೀಚಾರ್ಜ್ ಮಾಡಬಹುದಾದ ಬ್ಯಾಟರಿಗಳು

ಐಐಟಿ ಬಾಂಬೆ ಯ ಬ್ಯಾಟರಿ ಪ್ರೋಟೋಟೈಪಿಂಗ್ ಲ್ಯಾಬ್ ನ ಸಂಶೋಧಕರು ಇಂಧನ (ಶಕ್ತಿ) ಶೇಖರಣಾ ಸಾಧನವಾಗಿರುವ ರೀಚಾರ್ಜ್ ಮಾಡಬಹುದಾದ ಬ್ಯಾಟರಿಗಳ ಬಗ್ಗೆ ಅಧ್ಯಯನ ನಡೆಸುತ್ತಿದ್ದಾರೆ. 

Loading content ...
Loading content ...
Loading content ...
Loading content ...
Loading content ...