मुंबई
यदि आप शारीरिक पीड़ा से ग्रसित हैं तो आर्थिक पुरस्कार से मनोदशा में सुधार की संभावना न्यून है।

हम सभी अपने जीवन में थोड़ी-बहुत शारीरिक पीड़ा का अनुभव करते है। पीड़ा हमारी मनोदशा को प्रभावित करती है। शोधों से ज्ञात हुआ है कि दीर्घावधि पीड़ा से रोग-निरूपित (डाइग्नोस्ड) लोग बहुधा नकारात्मक मनोदशा का अनुभव करते हैं। क्या यह उन लोगों पर भी समान रूप से प्रयुक्त होगा जिनकी पीड़ा इतनी गंभीर ही नहीं कि उनको उप-नैदानिक (सब क्लीनिकल) रूप से एक चिकित्सक से परामर्श एवं निदान लेना पड़े?

फ्रायबोर्ग विश्वविद्यालय, स्विट्जरलेंड, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मुंबई (आईआईटी बॉम्बे), भारत, ज़्यूरिख विश्वविद्यालय, स्विट्जरलेंड, एवं हावर्ड विश्वविद्यालय, यूएसए ने संयुक्त रूप से एक शोधपत्र प्रकाशित किया है, जो स्पष्ट करता है कि प्रतिदिन थोड़ी-बहुत मात्रा में शारीरिक पीड़ा का अनुभव करने वाले विश्वविद्यालयीन छात्रों की मनोदशा एवं व्यवहार को आर्थिक पुरस्कार कैसे प्रभावित करता है। शोधकर्ताओं ने पाया कि आर्थिक पुरस्कार पीड़ा सहने वाले छात्रों की मनोदशा को नहीं सुधारता; जो यह दर्शाता है कि पीड़ा का समग्र मनोदशा पर एक नकारात्मक प्रभाव होता है। यह शोधपत्र नेचर के हयूमेनेटीस एंड सोशल साइंसेस कम्युनिकेशन में प्रकाशित किया गया था।

इस अध्ययन में 79 छात्र दो समूहों में वर्गीकृत किए गए, एक वह जिसमें प्रतिभागियों को कोई पीड़ा नहीं थी एवं दूसरा उप-नैदानिक प्रतिभागियों का। उप-नैदानिक समूह के प्रतिभागियों द्वारा अनुभव की जाने वाली कुछ वेदनाएं शिरोवेदना, पीठ वेदना, भुजा अथवा पाद वेदना, स्नायु संकुचन एवं उर:शूल (चेस्ट पेन) हैं। शोधकर्ताओं ने फ्रायबोर्ग पुरस्कार कार्य नामक विधि का चयन किया, जिसका उपयोग पूर्व में भी इसी प्रकार के अध्ययन हेतु किया गया था। पूर्व शोध कार्य में यह देखा गया था कि दीर्घावधि पीड़ा से निरूपित लोग इन कार्यों पर दयनीय प्रदर्शन करते हैं। आर्थिक पुरस्कार पाकर भी वेदनारहित व्यक्तियों की तुलना में उनकी मनोस्थिति में विशेष सुधार नहीं देखा गया था।

फ्रायबोर्ग पुरस्कार कार्य में, प्रतिभागियों को एक पटल पर तीन पीले रंग के वृत्त (अल्प कठिनाई) अथवा सात पीले रंग के वृत्त (उच्च कठिनाई) दिखाये जाते हैं। अल्प समय के पश्चात उन्हें हरे रंग का एक वृत्त दिखाया जाता है। प्रतिभागियों को चयन करना होता है कि, क्या हरा वृत्त उसी स्थान पर है जहाँ पूर्व में दिखाये गए पीले वृत्तों में से कोइ स्थित था। यह एक चक्र पूर्ण कर लेने पर प्रतिभागियों को उनका रोकड़ पुरस्कार अर्थात अर्जित धन दिखाया जाता है। ऐसे बारह चक्रों में दिया गया कार्य पूर्ण होता है।

प्रतिभागियों को या तो कोई पुरस्कार प्राप्त नहीं हुआ या वे एक लघु अथवा एक बृहद पुरस्कार से प्रोत्साहित किये गए। पुरस्कार राशि कार्य की जटिलता पर आधारित थी। अल्प कठिनाई युक्त कार्य सम्पन्न करने वाले प्रतिभागियों ने उच्च कठिनाई युक्त कार्य करने वालों की तुलना में लघु पुरस्कार प्राप्त किया। पुरस्कारों से वंचित होने की स्थिति में पटल, परिणाम पटल को लुप्त (स्किप) करते हुये आगामी परीक्षण पर केन्द्रित होता है।

शोधकर्ताओं ने परीक्षण के पूर्व एवं बारह चरणों की समाप्ति पर प्रतिभागियों की मनोदशा का आकलन किया। प्रतिभागियों की मनोदशा के आकलन हेतु उन्हें ० से १०० के मापन पर स्वयं को मूल्यांकित करने हेतु कहा गया, जहाँ ० प्रतिकूल एवं १०० उत्तम मनोदशा को दर्शाता है। यद्यपि अंकों के स्थान पर उन्हें प्रसन्न एवं खिन्न मुखाकृतियाँ दिखाई गयीं।

पूर्व अध्ययन बताते हैं कि आर्थिक पुरस्कार, नैदानिक रूप से पीड़ा निरूपित प्रतिभागियों के प्रदर्शन एवं मनोदशा में सुधार नहीं करते। अतएव शोधकर्ताओं की अवधारणा थी कि उप-नैदानिक समूह के प्रतिभागियों में, पीड़ा रहित प्रतिभागियों की तुलना में आर्थिक पुरस्कार का प्रभाव न्यून होना चाहिये। शोध दल ने यह परीक्षण भी किया कि पीड़ा, मनो-प्रतिक्रिया एवं व्यवहार के मध्य होने वाली अंत: क्रिया पर कार्य की जटिलता का क्या प्रभाव था।

अध्ययन हेतु शोधकर्ताओं द्वारा स्विट्जरलैंड के उन विश्वविद्यालयीन छात्रों का चयन किया गया, जो अवसाद अथवा अन्य मनोरोगों से ग्रसित नहीं थे। उप-नैदानिक प्रतिभागियों ने एक प्रश्नावली के माध्यम से महत्वपूर्ण पीड़ा लक्षणों को व्यक्त किया। उप-नैदानिक एवं पीड़ा रहित समूहों को कार्य की जटिलता के आधार पर आगे भी दो समूहों में विभाजित किया गया। समस्त चुने गए प्रतिभागियों को कोई एक कार्य करना था - अल्प कठिनाई युक्त या उच्च कठिनाई युक्त।
 


चित्र 1: अल्प कठिनाई युक्त (03 वृत्तीय) फ्रायबोर्ग पुरस्कार कार्य के परीक्षण का आरेखीय निरूपण। छायाचित्र सौजन्य शोधपत्र लेखक)

अध्ययन से प्राप्त परिणामों के विश्लेषण हेतु सांख्यिकीय सॉफ्टवेअर का उपयोग किया गया। परीक्षण किये जाने से पूर्व, पीड़ा रहित एवं उप-नैदानिक समूहों की मनोदशाओं में कोई महत्वपूर्ण अंतर नहीं देखा गया था। पूर्व प्रतिपादित अवधारणा के अतिरिक्त लेखकों को यह अपेक्षा थी कि यदि प्रतिभागियों को अधिक धन मिले तो उनकी मनोदशा में सुधार होगा। विश्लेषण ने दर्शाया कि वास्तव में पीड़ा अनुभव न करने वाले प्रतिभागियों का मनोदशा औसतांक लघु पुरस्कार की तुलना में बृहद पुरस्कार पाने की स्थिति में अधिक था। यद्यपि ऐसा उप-नैदानिक पीड़ा समूह में नहीं देखा गया। यहाँ पुरस्कार पर आधारित कोई विशिष्ट अंतर प्रतिभागियों की मनोदशा में नहीं देखा गया। इसके अतिरिक्त, शोध दल ने पाया कि सभी प्रतिभागी उच्च कठिनाई युक्त कार्य की तुलना में अल्प कठिनाई युक्त कार्य हेतु अधिक सटीक थे।

“शोधकर्ताओं का कहना है कि एक उप-नैदानिक जन-समुदाय में पुरस्कार - पीड़ा सम्बन्ध कैसे काम करता है, इसका परीक्षण करने वाला यह अपने आप में प्रथम अध्ययन है।” यह बहुमूल्य जानकारी देता है कि दवाओं के अतिरिक्त प्रभाव के बिना पीड़ा किस प्रकार पुरस्कार प्रक्रिया को प्रभावित करती है। आगामी चरणों के परिपेक्ष्य में मानविकी एवं सामाजिक विज्ञान विभागान्तर्गत संज्ञानात्मक एवं व्यावहारपरक तंत्रिका विज्ञान प्रयोगशाला (Cognitive and Behavioural Neuroscience Lab), आईआईटी, मुंबई की प्राध्यापक रश्मि गुप्ता कहती हैं कि “संस्कृति-जन्य असमानताओं के अन्वेषण हेतु इसी अध्ययन को भारतीय विश्वविद्यालय के छात्रों के साथ करने की योजना है।”

Hindi

Recent Stories

लिखा गया
Industrial Pollution

हाइड्रोजन आधारित प्रक्रियाओं में उन्नत उत्प्रेरकों और नवीकरणीय ऊर्जा के समावेश से स्टील उद्योग में कार्बन विमुक्ति के आर्थिक और औद्योगिक रूप से व्यवहार्य समाधानों का विकास ।

लिखा गया
Representative image of rust: By peter731 from Pixabay

दो वैद्युत-रासायनिक तकनीकों के संयोजन से, शोधकर्ता औद्योगिक धातुओं पर लेपित आवरण पर संक्षारण की दर को कुशलतापूर्वक मापने में सफल रहे।

लिखा गया
प्रतिनिधि चित्र श्रेय: पिक्साहाइव

उत्तम आपदा प्रबंधन एवं आर्थिक सुरक्षा की दृष्टि से, राज्य की वित्त व्यवस्था पर आपदा के प्रभाव का आकलन करने हेतु ‘डिजास्टर इंटेंसिटी इंडेक्स’ का उपयोग करते शोधकर्ता

लिखा गया
Lockeia gigantus trace fossils found from Fort Member. Credit: Authors

ಜೈ ನಾರಾಯಣ್ ವ್ಯಾಸ್ ವಿಶ್ವವಿದ್ಯಾಲಯದ ಸಂಶೋಧಕರು ಜೈಸಲ್ಮೇರ್ ನಗರದ ಬಳಿಯ ಜೈಸಲ್ಮೇರ್ ರಚನೆಯಲ್ಲಿ ಲಾಕಿಯಾ ಜೈಗ್ಯಾಂಟಸ್ ಪಳೆಯುಳಿಕೆಗಳನ್ನು ಕಂಡುಹಿಡಿದಿದ್ದಾರೆ. ಇದು ಭಾರತದಿಂದ ಇಂತಹ ಪಳೆಯುಳಿಕೆಗಳ ಮೊದಲ ದಾಖಲೆ ಮಾತ್ರವಲ್ಲ, ಇದುವರೆಗೆ ಪತ್ತೆಯಾದ ಅತಿದೊಡ್ಡ ಲಾಕಿಯಾ ಕುರುಹುಗಳು.

लिखा गया
ಇಂಡೋ-ಬರ್ಮೀಸ್ ಪ್ಯಾಂಗೊಲಿನ್ (ಮನಿಸ್ ಇಂಡೋಬರ್ಮಾನಿಕಾ). ಕೃಪೆ: ವಾಂಗ್ಮೋ, ಎಲ್.ಕೆ., ಘೋಷ್, ಎ., ಡೋಲ್ಕರ್, ಎಸ್. ಮತ್ತು ಇತರರು.

ಕಳ್ಳತನದಿಂದ ಸಾಗಾಟವಾಗುತ್ತಿದ್ದ ಹಲವು ಪ್ರಾಣಿಗಳ ನಡುವೆ ಪ್ಯಾಂಗೋಲಿನ್ ನ ಹೊಸ ಪ್ರಭೇದವನ್ನು ಪತ್ತೆ ಮಾಡಲಾಗಿದೆ.

लिखा गया
ಸ್ಪರ್ಶರಹಿತ ಬೆರಳಚ್ಚು ಸಂವೇದಕದ ಪ್ರಾತಿನಿಧಿಕ ಚಿತ್ರ

ಸಾಧಾರಣವಾಗಿ, ಫೋನ್ ಅನ್ನು ಅನ್ಲಾಕ್ ಮಾಡುವಾಗ ಅಥವಾ ಕಛೇರಿಯಲ್ಲಿ ಬಯೋಮೆಟ್ರಿಕ್ ಸ್ಕ್ಯಾನರುಗಳನ್ನು ಬಳಸುವಾಗ, ನಿಮ್ಮ ಬೆರಳನ್ನು ಸ್ಕ್ಯಾನರಿನ ಮೇಲ್ಮೈಗೆ ಒತ್ತ ಬೇಕಾಗುತ್ತದೆ. ಬೆರಳಚ್ಚುಗಳನ್ನು ಸೆರೆಹಿಡಿಯುವುದು ಹೀಗೆ. ಆದರೆ, ಹೊಸ ಸಂಶೋಧನೆಯೊಂದು ಈ ಪ್ರಕ್ರಿಯೆಯನ್ನು ಇನ್ನಷ್ಟು ಸ್ವಚ್ಛ, ಸುಲಭ ಮತ್ತು ಹೆಚ್ಚು ನಿಖರವಾಗಿಸುವ ವಿಧಾನವನ್ನು ರೂಪಿಸಿದೆ. ಸಾಧನವನ್ನು ಮುಟ್ಟದೆಯೇ ಬೆರಳಚ್ಚನ್ನು ಸಂಗ್ರಹಿಸುವ ಮಾರ್ಗವನ್ನು ಹುಡುಕಿದೆ.

लिखा गया
ಮೈಕ್ರೋಸಾಫ್ಟ್ ಡಿಸೈನರ್ ನ ಇಮೇಜ್ ಕ್ರಿಯೇಟರ್ ಬಳಸಿ ಚಿತ್ರ ರಚಿಸಲಾಗಿದೆ

ಐಐಟಿ ಬಾಂಬೆಯ ಸಂಶೋಧಕರು ಶಾಕ್‌ವೇವ್-ಆಧಾರಿತ ಸೂಜಿ-ಮುಕ್ತ ಸಿರಿಂಜ್ ಅನ್ನು ಅಭಿವೃದ್ಧಿಪಡಿಸಿದ್ದಾರೆ. ಈ ಮೂಲಕ ಸೂಜಿಗಳಿಲ್ಲದೆ ಔಷಧಿಗಳನ್ನು ಪೂರೈಸುವ ಮಾರ್ಗವನ್ನು ಕಂಡುಹಿಡಿದಿದ್ದಾರೆ.

लिखा गया
ಅತ್ಯಂತ ಪ್ರಾಚೀನ ವಸ್ತುವಿನ ಅಧ್ಯಯನ

ಹಯಾಬುಸಾ ಎಂದರೆ ವೇಗವಾಗಿ ಚಲಿಸುವ ಜಪಾನೀ ಬೈಕ್ ನೆನಪಿಗೆ ತಕ್ಷಣ ಬರುವುದು ಅಲ್ಲವೇ? ಆದರೆ ಜಪಾನಿನ ಬಾಹ್ಯಾಕಾಶ ಸಂಸ್ಥೆ - (ಜಾಕ್ಸ, JAXA) ತನ್ನ ಒಂದು ನೌಕೆಯ ಹೆಸರು ಹಯಾಬುಸಾ 2 ಎಂದು ಇಟ್ಟಿದ್ದಾರೆ. ಈ ನೌಕೆಯನ್ನು ಜಪಾನಿನ ಬಾಹ್ಯಾಕಾಶ ಸಂಸ್ಥೆ ಸೌರವ್ಯೂಹದಾದ್ಯಂತ ಸಂಚರಿಸಿ ರುಯ್ಗು (Ryugu) ಕ್ಷುದ್ರಗ್ರಹವನ್ನು ಸಂಪರ್ಕ ಸಾಧಿಸುವ ಉದ್ದೇಶದಿಂದ  ಡಿಸೆಂಬರ್ 2014 ರಲ್ಲಿ ಉಡಾವಣೆ ಮಾಡಿತ್ತು. ಇದು ಸುಮಾರು ಮೂವತ್ತು ಕೋಟಿ (300 ಮಿಲಿಯನ್) ಕಿಲೋಮೀಟರ್ ದೂರ ಪ್ರಯಾಣಿಸಿ 2018 ರಲ್ಲಿ ರುಯ್ಗು ಕ್ಷುದ್ರಗ್ರಹವನ್ನು ಸ್ಪರ್ಶಿಸಿತ್ತು. ಅಲ್ಲಿಯೇ ಕೆಲ ತಿಂಗಳು ಇದ್ದು ಮಾಹಿತಿ ಮತ್ತು ವಸ್ತು ಸಂಗ್ರಹಣೆ ಮಾಡಿ, 2020 ಯಲ್ಲಿ ಯಶಸ್ವಿಯಾಗಿ ಹಿಂತಿರುಗಿತ್ತು.

लिखा गया
ಕಾಂಕ್ರೀಟ್‌ ಪರೀಕ್ಷೆಗೆ ಪ್ರೋಬ್‌

ಕಾಂಕ್ರೀಟ್‌ನಲ್ಲಿ ಹುದುಗಿರುವ ರೆಬಾರ್‌ಗಳಲ್ಲಿನ ತುಕ್ಕು ಪ್ರಮಾಣವನ್ನು ಮಾಪಿಸಲು ವಿಜ್ಞಾನಿಗಳು ಒಂದು ಹೊಸ ತಪಾಸಕವನ್ನು ಅಭಿವೃದ್ಧಿಪಡಿಸಿದ್ದಾರೆ.

लिखा गया
‘ದ್ವಿಪಾತ್ರ’ದಲ್ಲಿ ಮೈಕ್ರೋ ಆರ್‌ಎನ್‌ಎ

ವೈರಲ್ ಸೋಂಕುಗಳು ಮತ್ತು ಸ್ವಯಂ ನಿರೋಧಕ ಕಾಯಿಲೆಗಳಲ್ಲಿ ಮೈಕ್ರೋ ಆರ್‌ಎನ್‌ಎ ‘ದ್ವಿಪಾತ್ರ’ದಲ್ಲಿ ಕೆಲಸ ಮಾಡುತ್ತದೆ. 

लिखा गया
ರೀಚಾರ್ಜ್ ಮಾಡಬಹುದಾದ ಬ್ಯಾಟರಿಗಳು

ಐಐಟಿ ಬಾಂಬೆ ಯ ಬ್ಯಾಟರಿ ಪ್ರೋಟೋಟೈಪಿಂಗ್ ಲ್ಯಾಬ್ ನ ಸಂಶೋಧಕರು ಇಂಧನ (ಶಕ್ತಿ) ಶೇಖರಣಾ ಸಾಧನವಾಗಿರುವ ರೀಚಾರ್ಜ್ ಮಾಡಬಹುದಾದ ಬ್ಯಾಟರಿಗಳ ಬಗ್ಗೆ ಅಧ್ಯಯನ ನಡೆಸುತ್ತಿದ್ದಾರೆ. 

Loading content ...
Loading content ...
Loading content ...
Loading content ...
Loading content ...