मुंबई
निर्माण विविधताओं का शुद्धतम आकलन इलेक्ट्रॉनिक परिपथ के प्रदर्शन को उत्कृष्ट  बना  सकता है

सिलिकॉन आधारित इलेक्ट्रॉनिक परिपथ लगातार छोटे हो रहे हैं। टीएसएमसी नामक ताइवानी उत्पादक वर्तमान में मात्र 7 नैनोमीटर की सूक्ष्मतम आकृति वाले परिपथ (सर्किट) के साथ चिपें बनाती हैं, जिसमें इस प्रकार के लाखों घटक एक अकेली चिप में भरे होते हैं। इस प्रकार के अति-सघन परिपथों की उत्पादन प्रक्रिया जटिल है। विश्व स्तरीय नियंत्रण के बावजूद भी यहाँ नैनो स्तरीय आयाम  पर छोटे-छोटे उच्चावचन (फ़्लक्चुएशन) दिखाई देते हैं। इस प्रकार विभिन्न चिपों में एवं यहाँ तक कि एक ही चिप में भी स्थित प्रत्येक ट्रांजिस्टर दूसरे से किंचित भिन्न होता है। एक परिपथ युक्तिकार (डिज़ाइनर) को इन परिवर्तनों का निश्चित रूप से ध्यान रखना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि दसियों लाख उत्पादित चिपों में से प्रत्येक अपेक्षानुकूल कार्य कर रही है। इस प्रकार, निर्माण प्रक्रिया में इस तरह के नैनो-स्तरीय वैविध्य का ध्यान रखने के लिए एक मॉडल आवश्यक है।

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मुंबई (आईआईटी बॉम्बे) के विद्युत अभियांत्रिकी विभाग की डॉ. अमिता रावत एवं प्राध्यापक उदयन गांगुली ने आईएमईसी ल्यूवेन, बेल्जियम के वैज्ञानिकों के साथ मिलकर, विनिर्माण वैविध्य (मैन्युफैक्चरिंग वेरिएशन) से व्युत्पन्न इलेक्ट्रॉनिक परिपथ के प्रदर्शन में होने वाले परिवर्तन के आकलन के लिए अपनी पूर्व प्रस्तावित पद्धति को प्रायोगिक रूप से सत्यापित किया है। यह पहली बार है जब भौतिकी आधारित मॉडलिंग का उपयोग करते हुए, पूर्वानुमानित वैविध्य का प्रायोगिक सत्यापन सूचना में आया है। इन पूर्वानुमानों को परिपथ निर्माण सॉफ्टवेयरों के साथ एकीकृत किया जा सकता है, जिससे  यह बेहतर प्रदर्शन वाले परिपथ निर्माण को संभव बना सकता  है। यह कार्य आंशिक रूप से नैनो संरचना प्रयोगशाला (आईआईटीबीएनएफ लैब), भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मुंबई, मानव संसाधन एवं विकास मंत्रालय (एमएचआरडी) एवं विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के द्वारा वित्त पोषित किया गया।

इलेक्ट्रॉनिक परिपथों के मूलभूत निर्माण घटक एम.ओ.एस.एफ.ई.टी. अर्थात धातु-ऑक्साइड-अर्धचालक फील्ड इफेक्ट ट्रांजिस्टर होते हैं। अपने  ध्रुवों (टर्मिनल) के मध्य में स्थित  एक सेमीकंडक्टर चैनल के साथ यह एक त्रि-ध्रुवीय उपकरण  है। विद्युत धारा संचालन क्षमता में वृद्धि के लिए अर्धचालक में परमाणु अशुद्धि अर्थात अपमिश्रक (डोपेंट) मिलाये जाते हैं। तीसरा ध्रुव, जिसे गेट कहते हैं, धातु अथवा पॉलीसिलिकॉन का बनाया जाता है एवं एक ऑक्साइड परत के द्वारा चैनल से  इसका विद्युत-रोधन (इन्सुलेशन) किया जाता है। चैनल में विद्युत धारा के नियंत्रण के लिए गेट वोल्टेज का उपयोग किया जाता है।

चैनल, गेट, इंटरकनेक्ट्स एवं अन्य परिपथ घटकों को अंकित करने के लिए यूवी प्रकाश के द्वारा अर्धचालक चिपों पर नमूने (पैटर्न) अंकित किए जाते हैं। रेखाओं एवं रिक्तियों के साथ 10 नैनोमीटर से छोटे ये नमूने लगभग 1 नैनोमीटर के उतार-चढ़ाव (फ़्लक्चुएशन) की ओर प्रवृत्त होते हैं। दाता परमाणुओं (डोपेन्ट  एटम) को भली-भांति अवस्थित करना भी यहां चुनौतीपूर्ण हो जाता है। गेट की धातु में नैनो-स्तरीय क्रिस्टल्स होते हैं जो समान रूप से एक ही दिशा में उन्मुख नहीं होते अतएव धातु क्रिस्टल एवं गेट विद्युतरोधी के मध्य विभिन्न अंतराफलक निर्मित करते हैं। ये स्थानीय भौतिक विविधताएं ट्रांजिस्टर के विद्युतीय गुणों को उल्लेखनीय रूप से प्रभावित कर सकती हैं।

"उदाहरण के रूप में, विविधता, कि धातु कैसे निक्षेपित (डिपॉजिट) होता  है, उस गेट विभव को प्रभावित करती है, जिस पर ट्रांज़िस्टर विद्युत धारा का संचालन प्रारम्भ करता है," अध्ययन की प्रमुख लेखक डॉ. रावत स्पष्ट करती है।  

जैसे ही इलेक्ट्रॉनिक परिपथ के मूलभूत  घटक परमाण्विक स्तर पर पहुंचते हैं, घटकों के आयाम  की तुलना में भौतिक वैविध्य अधिक प्रभावी हो जाता है। वाणिज्यिक उपयोग के प्रारूप  एवं सिमुलेशन सॉफ्टवेयरों में ट्रांजिस्टर के विद्युतीय गुणों में सामान्य विविधता के आधार पर, परिपथ प्रदर्शन का मूल्यांकन यथार्थ नहीं होता है एवं यह अयथार्थता ट्रांजिस्टर के संकुचन के साथ उत्तरोत्तर  बढ़ती चली जाती है। "हम विद्युतीय वैविध्य के लिए प्रक्रिया-विशिष्ट भौतिकी आधारित आकलन प्रदान करते हैं। यह परिपथ प्रदर्शन के अधिक सटीक मूल्यांकन को सक्षम करता है," डॉ. रावत बताती हैं। "युक्तिकार (डिजाइनर) इस बात का भी अंदाजा लगा सकते हैं कि एक से दूसरी विनिर्माण प्रक्रिया में स्थानांतरण करने पर यह विविधता कैसे परिवर्तित होती है," वह आगे कहती हैं।

परिपथ के प्रदर्शन पर भौतिक विविधताओं का प्रभाव जानने के लिए अभियंताओं को सर्वप्रथम ट्रांजिस्टर के विद्युतीय गुणों पर इसके प्रभाव का मूल्यांकन करना आवश्यक है। वर्तमान में, विद्युतीय गुणों में इस वैविध्य को खोजने के लिए, कुछ  सैकड़ों  ट्रांजिस्टर की संरचनाओं का अध्ययन करने हेतु संगणनात्मक (कम्प्यूटेशनल) विधियों का उपयोग किया जाता है। प्रत्येक ट्रांजिस्टर के मापदंडों (पैरामीटर) की गणना करने के लिए घंटों तक कीमती अनुरूपण (सिमुलेशन) के साथ, यह प्रक्रिया संगणनात्मक रूप से महंगी एवं अत्यधिक समय खाने वाली है है। "साथ ही यह विधि ट्रांजिस्टर की विद्युत विविधताओं को इसकी संरचनात्मक विविधताओं से जोड़ने वाला एक सरल, सहज ज्ञान युक्त मॉडल प्रदान नहीं करती है, जो परिपथ युक्तिकारों के लिए आवश्यक है," प्राध्यापक गांगुली टिप्पणी करते हैं।

"हमारे दल ने पिछले 9 वर्षों में तीन विद्यावाचस्पति शोध प्रबंधों के साथ इन विविधताओं की सैद्धांतिक मॉडलिंग विकसित की है। यह यात्रा आई ई ई ई  नैनो टेक्नोलॉजी पत्रिका के एक पत्रिका लेख में लिपिबद्ध है। अब हमारा यह कार्य प्रायोगिक सत्यापन के चरण पर पहुँच चुका है," प्रा. गांगुली कहते हैं।

शोधकर्ताओं ने एक गणितीय मॉडल बनाया है, जो भौतिक मापदंडों जैसे कि प्रतिमान -रेखाओं (पैटर्न लाइन) में उतार-चढ़ाव  या धातु के नैनो-क्रिस्टल अभिविन्यास,  में परिवर्तन के आधार पर ट्रांजिस्टर के विद्युतीय गुणों में विविधता की सटीक भविष्यवाणी करता है । यही मॉडल अन्य किसी भी निर्माण प्रक्रिया के लिए काम करता है। उन्होंने इस  ट्रांजिस्टर वैविध्यआँकड़े का उपयोग वाणिज्यिक निर्माण-युक्ति एवं अनुरूपण सॉफ्टवेअर में उपयोग किए जाने हेतु 'विविधता अवगत' (वेरिएबिलिटी-अवेयर) ट्रांजिस्टर मॉडल का सृजन करने के लिए किया। अत: इस मॉडल के उपयोग से निर्मित परिपथ, विनिर्माण प्रक्रिया के कारण उत्पन्न वास्तविक वैविध्य को ग्रहण करते हैं, एवं युक्तिकार परिपथ प्रदर्शन का सटीक आकलन प्राप्त कर सकते हैं। "हमारे मंच की शोभा यह है कि परिपथ प्रदर्शन का पूर्वानुमान लागत में विशेष वृद्धि किए बिना वाणिज्यिक रूप से उपलब्ध कराया जा सकता है, प्रा. रावत टिप्पणी कराते हैं।

"बेहतर प्रदर्शन वाले परिपथों की रचना  को आसान बनाने के साथ-साथ, प्रस्तावित पद्धति,  ढलाई (फाउंड्री) दल को उनकी प्रक्रिया सुधार हेतु प्रतिपुष्टि  भी दे सकती है," डॉ रावत कहती है। प्रक्रिया युक्तिकार यह निर्धारित कर सकता है कि, किन प्रक्रिया आश्रित आगम (इनपुट), इच्छित भौतिक विविधता युक्त मापदंड देते हैं। "यह परिपथ युक्तिकार एवं प्रक्रिया दल के मध्य एक सेतु निर्मित करने जैसा है।"

वर्तमान अध्ययन में शोधकर्ताओं ने 14 नैनोमीटर प्रौद्योगिकी प्रक्रिया हेतु भौतिक विविधताओं के पूर्वानुमान के लिए अपने मॉडल को उपयोग किया है। उन्होंने इन परिणामों की तुलना प्रायोगिक मापन से प्राप्त भौतिक विविधताओं से की और इन में अत्यधिक समानता पाई। उन्होंने ट्रांजिस्टर के विद्युतीय गुणों में भी विविधता का आकलन किया, जो कि 14 नैनोमीटर प्रौद्योगिकी के साथ निर्मित 250 ट्रांजिस्टरों के समूह के प्रायोगिक मापन से प्राप्त विविधताओं के सदृश था। निकृष्टतम या श्रेष्ठ प्रकरण त्रुटियां स्वीकार्य सीमा के अंदर थीं। "ऐसा विस्तृत प्रयोगात्मक सत्यापन पहले कभी प्रतिवेदित नहीं हुआ  है,” डॉ रावत प्रतिक्रिया देती है।

शोधकर्ताओं ने परिपथ रचना  सॉफ्टवेयर के साथ जोड़े जाने हेतु इस संरचना को एक प्रौद्योगिकी पैकेज के रूप में प्रदान करने की योजना बनाई है।

"हमें ढलाई केन्द्रों  के साथ सहयोग की आवश्यकता है ताकि उनके द्वारा उपयोग की जाने वाली विनिर्माण प्रक्रिया के नवीनतम आंकड़ों तक पहुँच हो सके। हम प्रक्रिया-विशिष्ट पैकेज बना सकते हैं और ढलाई केंद्र से इसकी मान्यता प्राप्त  करा सकते हैं। यह एक उद्योग मानक के रूप में विकसित हो सकता है,"डॉ रावत सूचित करती है। 

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