मुंबई
Photo by Sebastian Kanczok on Unsplash

इस अध्ययन के माध्यम से हम इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों से निकलने वाली ऊष्मा से प्रयोज्य विद्युत बनाने की ओर एक महत्वपूर्ण कदम उठा रहे हैं।

अमूमन हमारे इलेक्ट्रॉनिक उपकरण प्रयोग में लाये जाने पर गर्म हो जाते हैं। इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के तापमान में यह वृद्धि ‘इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस इंजीनियरिंग’ क्षेत्र में एक चिंता का विषय है, जिससे न केवल उपकरणों की उम्र कम होती है किन्तु ऊर्जा का अपव्यय भी होता है। इस ऊर्जा अपव्यय को कम करने हेतु भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मुंबई के शोधकर्ता कंप्यूटर एवं मोबाइल फ़ोन इत्यादि इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों से उत्पन्न उष्णता से विद्युत उत्पादित करने का प्रयत्न कर रहे हैं। नेचर साइंटिफिक रिपोर्ट में प्रकाशित अनुसन्धान में शोधकर्ता इलेक्ट्रॉन प्रकीर्णन (स्कैटरिंग) के माध्यम से इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों से उत्पन्न गर्मी के संचयन पर प्रकाश डालते है।

इस अध्ययन के प्रमुख अन्वेषक एवं आईआईटीबी के विद्युत अभियांत्रिकी विभाग में पीएच.डी. कर रहे श्री अनिकेत सिंघा के अनुसार "भविष्य में आने वाली एवं वर्तमान शक्तिशाली कम्प्यूटर चिप्स में अमूमन भारी मात्रा में ऊष्मा उत्पन्न हो जाती है जिसके कारण कई बार चिप में असामयिक खराबियां आ जाती हैं। अनुमानित आंकड़े बताते हैं कि कंप्यूटर चिप्स की अगली कुछ पीढ़ियों के बाद, एक चिप से उत्पन्न होने वाली ऊष्मा एक परमाणु रिएक्टर के बराबर हो सकती है।"  

अर्धचालक आधिरित इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में अत्यधिक ऊष्मा अपव्यय की समस्या का समाधान करने हेतु शोधकर्ताओं ने इस अध्ययन में उपकरणों से उत्पन्न ऊष्मा को थर्मोइलेक्ट्रिक प्रभाव की अवधारणा का उपयोग करते हुए प्रयोज्य विद्युत में परिवर्तित करने का प्रयास किया है। थर्मोइलेक्ट्रिक प्रभाव एक ऐसी भौतिकीय  परिघटना है जहां दो किनारों के बीच तापमान में अंतर के कारण वोल्टेज में अंतर बनता है जिसके साथ ही विद्युत् का प्रवाह संभव हो जाता है। 

विद्युत् के प्रवाह में इलेक्ट्रॉन एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। केवल वह ही इलेक्ट्रान ऊर्जा प्रवाह में सहायक बन सकते हैं जो कि एक विशेष सीमा से ऊपर ऊर्जा होने के कारण आचरण मुक्त हैं। थर्मोइलेक्ट्रीसिटी के प्रवाह में इलेक्ट्रान गर्म छोर में ऊष्मा प्राप्त कर शीत छोर की ओर प्रवाह करते हैं। किन्तु क्या होगा यदि इनमे से कुछ इलेक्ट्रान विपरीत दिशा में प्रवाह करने लगें? निश्चित रूप से यह उत्पन्न थर्माइलेक्ट्रिसिटी की मात्रा को प्रभावित करेगा।

अनेक पुराने शोध यह बताते हैं कि अर्धचालकों के गर्म और शीत छोर के बीच एक 'ऊर्जा निस्यंदन रोध' (एनर्जी फिल्टरिंग बॅरियर) जोड़कर हम इलेक्ट्रॉन्स का विपरीत दिशा में, अर्थात ठन्डे से गर्म छोर की ओर, प्रवाह रोक सकते हैं। यह 'ऊर्जा निस्यंदन रोध' न केवल इलेक्ट्रॉनों के प्रवाह को बनाए रखने में उपयोगी है अपितु प्रतिरोध को कम करने में भी मदद करती है। ऊर्जा निस्यंदन (फ़िल्टरिंग) एक ऐसी प्रक्रिया है जहां केवल कुछ विशिष्ट ऊर्जा से  कम इलेक्ट्रॉनस को अवरोध से गुजरने की अनुमति प्राप्त होती है, जिस कारणवश केवल एक ही  दिशा में इलेक्ट्रॉनों का प्रवाह  संभव होता है। हालांकि यह ध्यान में रखना आवश्यक है कि  एक अत्यधिक पतली ऊर्जा बाधा से ज्यादातर इलेक्ट्रॉन्स ठन्डे छोर की ओर प्रवाह करने लगेंगे जबकि एक अत्याधिक चौड़े अवरोध से इलेक्ट्रॉनिक तरंगो के बिखरने का खतरा है, दोनों ही स्तिथियों में ऊर्जा बाधा इलेक्ट्रॉन प्रवाह को प्रतिकूल रूप से प्रभावित कर सकती है।

इस अध्ययन में, शोधकर्ताओं ने कुशल ऊर्जा निस्यंदन हेतु एक उपयुक्त चौड़ाई की ऊर्जा निस्यंदन बाधा बनाकर ऊर्जा बाधा के प्रतिकूल प्रभावों को कम करने का प्रयास किया है।

लेकिन एक बाधा ऊर्जा निस्यंदन एवं थर्मोइलेक्ट्रिक प्रदर्शन के लिए लाभकारी कैसे हो सकती है? क्या यह बाधा थर्मोइलेक्ट्रिक तरंगों के चालन को प्रभावित नहीं करती? शोधकर्ताओं का कहना है कि "अर्धचालक की ख़ासियत यह है कि इसमें अशुद्धिकरण करके ऊर्जा के प्रवाह को बढ़ाया जा सकता है "। इस अध्ययन ऊर्जा अवरोध एवं अशुद्धीकरण की सहायता से ऊर्जा फ़िल्टरिंग प्रक्रिया में सुधार करने का प्रयास किया गया है।

श्री सिंघा कहते हैं कि, "गणितीय उपकरण और क्वांटम यांत्रिकी की मदद से, हमने थर्मोइलेक्ट्रिक प्रदर्शन पर इलेक्ट्रॉनिक तरंगों के बिखरने की सूक्ष्म भूमिका को सफलतापूर्वक उजागर किया है और इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि कुछ प्रकार की इलेक्ट्रॉनिक तरंगों के बिखरने में हम ऊर्जा फ़िल्टरिंग का उपयोग समुन्नत ऊर्जा निष्पादन के लिए कर सकते हैं।”

हालाँकि प्रयोगात्मक अध्ययनों में इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में होने वाले ऊष्मा अपव्यय को सुचारु रूप से प्रयोग में लाने की संभावनाओं को दिखाया है, किन्तु इसे वास्तव में करने की सैद्धांतिक और गणितीय समझ की कमी के कारण उपकरण प्रायोगिकों के लिए यह बताना अत्यंत कठिन था की असल में इसे कैसे किया जा सकता है। वर्तमान अध्ययन इस कठिनाई को हल करने की कोशिश करता है।  श्री सिंघा बताते हैं कि, "इस शोध का सबसे शानदार हिस्सा यह है कि गणितीय समीकरणों के योग और निष्कर्ष से निकाले गए परिणाम भौतिक मापदंडों के किसी विशेष समूह से स्वतंत्र हैं, और सभी अर्धचालक पदार्थों के लिए मान्य हैं।”

शोधकर्ताओं का मानना है कि यह अध्ययन भौतिक वैज्ञानिकों के लिए अत्यधिक मूल्यवान है। इस अध्ययन के माध्यम से वैज्ञानिक किसी भी अर्धचालक पदार्थ के लिए अनुकूल पथ का चयन कर सकते हैं जिससे वह अधिकतम मात्रा में ऊर्जा अपव्यय का संरक्षण कर सकें। चूंकि अधिकांश इलेक्ट्रॉनिक उपकरण आज अर्धचालकों पर आधारित हैं, इस अध्ययन में एक अर्धचालक के तीन मूल गुणों को ध्यान में रखा गया है - पदार्थ का घनत्व, इलेक्ट्रॉन की गति (अभिगमन वेग), एवं इलेक्ट्रॉनों द्वारा अपनी सामान्य ऊर्जा में वापस आने का समय।

अंत में श्री सिंघा कहते हैं कि "प्रस्तावित गणितीय तंत्र की सहायता से आप आसानी से किसी भी अर्धचालक पदार्थ के लिए ऊर्जा निस्यंदन रोध की अनुकूल ऊंचाई निर्धारित कर सकते हैं, बशर्ते कि आप पहले से ही ऊर्जा  निर्भरता के तीन परिमण जानते हों।”

Hindi
Audio
The SoundCloud content at https://soundcloud.com/researchmatters/are-we-wasting-heat is not available, or it is set to private.

Recent Stories

लिखा गया
Industrial Pollution

हाइड्रोजन आधारित प्रक्रियाओं में उन्नत उत्प्रेरकों और नवीकरणीय ऊर्जा के समावेश से स्टील उद्योग में कार्बन विमुक्ति के आर्थिक और औद्योगिक रूप से व्यवहार्य समाधानों का विकास ।

लिखा गया
Representative image of rust: By peter731 from Pixabay

दो वैद्युत-रासायनिक तकनीकों के संयोजन से, शोधकर्ता औद्योगिक धातुओं पर लेपित आवरण पर संक्षारण की दर को कुशलतापूर्वक मापने में सफल रहे।

लिखा गया
प्रतिनिधि चित्र श्रेय: पिक्साहाइव

उत्तम आपदा प्रबंधन एवं आर्थिक सुरक्षा की दृष्टि से, राज्य की वित्त व्यवस्था पर आपदा के प्रभाव का आकलन करने हेतु ‘डिजास्टर इंटेंसिटी इंडेक्स’ का उपयोग करते शोधकर्ता

लिखा गया
Lockeia gigantus trace fossils found from Fort Member. Credit: Authors

ಜೈ ನಾರಾಯಣ್ ವ್ಯಾಸ್ ವಿಶ್ವವಿದ್ಯಾಲಯದ ಸಂಶೋಧಕರು ಜೈಸಲ್ಮೇರ್ ನಗರದ ಬಳಿಯ ಜೈಸಲ್ಮೇರ್ ರಚನೆಯಲ್ಲಿ ಲಾಕಿಯಾ ಜೈಗ್ಯಾಂಟಸ್ ಪಳೆಯುಳಿಕೆಗಳನ್ನು ಕಂಡುಹಿಡಿದಿದ್ದಾರೆ. ಇದು ಭಾರತದಿಂದ ಇಂತಹ ಪಳೆಯುಳಿಕೆಗಳ ಮೊದಲ ದಾಖಲೆ ಮಾತ್ರವಲ್ಲ, ಇದುವರೆಗೆ ಪತ್ತೆಯಾದ ಅತಿದೊಡ್ಡ ಲಾಕಿಯಾ ಕುರುಹುಗಳು.

लिखा गया
ಇಂಡೋ-ಬರ್ಮೀಸ್ ಪ್ಯಾಂಗೊಲಿನ್ (ಮನಿಸ್ ಇಂಡೋಬರ್ಮಾನಿಕಾ). ಕೃಪೆ: ವಾಂಗ್ಮೋ, ಎಲ್.ಕೆ., ಘೋಷ್, ಎ., ಡೋಲ್ಕರ್, ಎಸ್. ಮತ್ತು ಇತರರು.

ಕಳ್ಳತನದಿಂದ ಸಾಗಾಟವಾಗುತ್ತಿದ್ದ ಹಲವು ಪ್ರಾಣಿಗಳ ನಡುವೆ ಪ್ಯಾಂಗೋಲಿನ್ ನ ಹೊಸ ಪ್ರಭೇದವನ್ನು ಪತ್ತೆ ಮಾಡಲಾಗಿದೆ.

लिखा गया
ಸ್ಪರ್ಶರಹಿತ ಬೆರಳಚ್ಚು ಸಂವೇದಕದ ಪ್ರಾತಿನಿಧಿಕ ಚಿತ್ರ

ಸಾಧಾರಣವಾಗಿ, ಫೋನ್ ಅನ್ನು ಅನ್ಲಾಕ್ ಮಾಡುವಾಗ ಅಥವಾ ಕಛೇರಿಯಲ್ಲಿ ಬಯೋಮೆಟ್ರಿಕ್ ಸ್ಕ್ಯಾನರುಗಳನ್ನು ಬಳಸುವಾಗ, ನಿಮ್ಮ ಬೆರಳನ್ನು ಸ್ಕ್ಯಾನರಿನ ಮೇಲ್ಮೈಗೆ ಒತ್ತ ಬೇಕಾಗುತ್ತದೆ. ಬೆರಳಚ್ಚುಗಳನ್ನು ಸೆರೆಹಿಡಿಯುವುದು ಹೀಗೆ. ಆದರೆ, ಹೊಸ ಸಂಶೋಧನೆಯೊಂದು ಈ ಪ್ರಕ್ರಿಯೆಯನ್ನು ಇನ್ನಷ್ಟು ಸ್ವಚ್ಛ, ಸುಲಭ ಮತ್ತು ಹೆಚ್ಚು ನಿಖರವಾಗಿಸುವ ವಿಧಾನವನ್ನು ರೂಪಿಸಿದೆ. ಸಾಧನವನ್ನು ಮುಟ್ಟದೆಯೇ ಬೆರಳಚ್ಚನ್ನು ಸಂಗ್ರಹಿಸುವ ಮಾರ್ಗವನ್ನು ಹುಡುಕಿದೆ.

लिखा गया
ಮೈಕ್ರೋಸಾಫ್ಟ್ ಡಿಸೈನರ್ ನ ಇಮೇಜ್ ಕ್ರಿಯೇಟರ್ ಬಳಸಿ ಚಿತ್ರ ರಚಿಸಲಾಗಿದೆ

ಐಐಟಿ ಬಾಂಬೆಯ ಸಂಶೋಧಕರು ಶಾಕ್‌ವೇವ್-ಆಧಾರಿತ ಸೂಜಿ-ಮುಕ್ತ ಸಿರಿಂಜ್ ಅನ್ನು ಅಭಿವೃದ್ಧಿಪಡಿಸಿದ್ದಾರೆ. ಈ ಮೂಲಕ ಸೂಜಿಗಳಿಲ್ಲದೆ ಔಷಧಿಗಳನ್ನು ಪೂರೈಸುವ ಮಾರ್ಗವನ್ನು ಕಂಡುಹಿಡಿದಿದ್ದಾರೆ.

लिखा गया
ಅತ್ಯಂತ ಪ್ರಾಚೀನ ವಸ್ತುವಿನ ಅಧ್ಯಯನ

ಹಯಾಬುಸಾ ಎಂದರೆ ವೇಗವಾಗಿ ಚಲಿಸುವ ಜಪಾನೀ ಬೈಕ್ ನೆನಪಿಗೆ ತಕ್ಷಣ ಬರುವುದು ಅಲ್ಲವೇ? ಆದರೆ ಜಪಾನಿನ ಬಾಹ್ಯಾಕಾಶ ಸಂಸ್ಥೆ - (ಜಾಕ್ಸ, JAXA) ತನ್ನ ಒಂದು ನೌಕೆಯ ಹೆಸರು ಹಯಾಬುಸಾ 2 ಎಂದು ಇಟ್ಟಿದ್ದಾರೆ. ಈ ನೌಕೆಯನ್ನು ಜಪಾನಿನ ಬಾಹ್ಯಾಕಾಶ ಸಂಸ್ಥೆ ಸೌರವ್ಯೂಹದಾದ್ಯಂತ ಸಂಚರಿಸಿ ರುಯ್ಗು (Ryugu) ಕ್ಷುದ್ರಗ್ರಹವನ್ನು ಸಂಪರ್ಕ ಸಾಧಿಸುವ ಉದ್ದೇಶದಿಂದ  ಡಿಸೆಂಬರ್ 2014 ರಲ್ಲಿ ಉಡಾವಣೆ ಮಾಡಿತ್ತು. ಇದು ಸುಮಾರು ಮೂವತ್ತು ಕೋಟಿ (300 ಮಿಲಿಯನ್) ಕಿಲೋಮೀಟರ್ ದೂರ ಪ್ರಯಾಣಿಸಿ 2018 ರಲ್ಲಿ ರುಯ್ಗು ಕ್ಷುದ್ರಗ್ರಹವನ್ನು ಸ್ಪರ್ಶಿಸಿತ್ತು. ಅಲ್ಲಿಯೇ ಕೆಲ ತಿಂಗಳು ಇದ್ದು ಮಾಹಿತಿ ಮತ್ತು ವಸ್ತು ಸಂಗ್ರಹಣೆ ಮಾಡಿ, 2020 ಯಲ್ಲಿ ಯಶಸ್ವಿಯಾಗಿ ಹಿಂತಿರುಗಿತ್ತು.

लिखा गया
ಕಾಂಕ್ರೀಟ್‌ ಪರೀಕ್ಷೆಗೆ ಪ್ರೋಬ್‌

ಕಾಂಕ್ರೀಟ್‌ನಲ್ಲಿ ಹುದುಗಿರುವ ರೆಬಾರ್‌ಗಳಲ್ಲಿನ ತುಕ್ಕು ಪ್ರಮಾಣವನ್ನು ಮಾಪಿಸಲು ವಿಜ್ಞಾನಿಗಳು ಒಂದು ಹೊಸ ತಪಾಸಕವನ್ನು ಅಭಿವೃದ್ಧಿಪಡಿಸಿದ್ದಾರೆ.

लिखा गया
‘ದ್ವಿಪಾತ್ರ’ದಲ್ಲಿ ಮೈಕ್ರೋ ಆರ್‌ಎನ್‌ಎ

ವೈರಲ್ ಸೋಂಕುಗಳು ಮತ್ತು ಸ್ವಯಂ ನಿರೋಧಕ ಕಾಯಿಲೆಗಳಲ್ಲಿ ಮೈಕ್ರೋ ಆರ್‌ಎನ್‌ಎ ‘ದ್ವಿಪಾತ್ರ’ದಲ್ಲಿ ಕೆಲಸ ಮಾಡುತ್ತದೆ. 

लिखा गया
ರೀಚಾರ್ಜ್ ಮಾಡಬಹುದಾದ ಬ್ಯಾಟರಿಗಳು

ಐಐಟಿ ಬಾಂಬೆ ಯ ಬ್ಯಾಟರಿ ಪ್ರೋಟೋಟೈಪಿಂಗ್ ಲ್ಯಾಬ್ ನ ಸಂಶೋಧಕರು ಇಂಧನ (ಶಕ್ತಿ) ಶೇಖರಣಾ ಸಾಧನವಾಗಿರುವ ರೀಚಾರ್ಜ್ ಮಾಡಬಹುದಾದ ಬ್ಯಾಟರಿಗಳ ಬಗ್ಗೆ ಅಧ್ಯಯನ ನಡೆಸುತ್ತಿದ್ದಾರೆ. 

Loading content ...
Loading content ...
Loading content ...
Loading content ...
Loading content ...