मुम्बई
बढिया फेस शील्ड, प्रभावी बचाव: जल विकर्षक लेप है कोविड 19 के प्रकोप का प्रभावी नियंत्रक

फेस शील्ड या मुखावरण, वायुजनित रोग-वाहक द्रव बूंदों से हमें प्राथमिक सुरक्षा प्रदान करता है। ये मुखावरण बंद जगहों जैसे एयरक्राफ्ट केबिन और कार्यालयों में अधिक प्रभावी होते हैं क्योकि यहाँ पर बोलते, साँस लेते, खांसते या छींकते समय मुंह से निकली द्रव बूंदों के संपर्क में आने की संभावना अधिक होती है। कोविड-19 महामारी के समय इन मुखावरणों का महत्व बढ़ा है। प्लेक्सीग्लास प्लास्टिक या पॉलीइथाइलीन टेरेफ्थेलेट (PET) पदार्थ से बने साधारण मुखावरण सार्वजनिक रूप से उपयोग के लिए उपलब्ध हैं।

प्लास्टिक हाइड्रोफिलिक पदार्थ है; इसका अर्थ यह है कि पानी की छोटी-छोटी बूंदें इसकी सतह पर चिपकने की प्रवृति रखती हैं। अध्ययनों से पता चलता है कि कोविड-19 के समय सार्स-कोव-2 (SARS-CoV-2) वायरस संहित सांस की द्रव बूंदें अलग-अलग सतहों पर कुछ घंटों से लेकर कुछ दिनों तक जीवित रह सकती हैं। जब व्यक्ति अनजाने में ऐसी सतहों को छूते हैं, तो वे संक्रामक संचरण द्वारा संक्रमण के लिए अतिसंवेदनशील हो जाते हैं। मुखावरण की हाइड्रोफिलिक प्रकृति से संक्रामक पदार्थ के संचरण की संभावना और भी बढ़ जाती है, जिसके लिए उसे बार-बार स्वच्छीकरण एवं प्रक्षालन की आवश्यकता होती है।

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मुंबई के मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के शोधकर्ताओं के एक दल ने मुखावरण पर एक जल विकर्षक (हाइड्रोफोबिक) परत के साथ लेपन कर उसकी दक्षता बढ़ाने के लिए एक नई तकनीक का प्रस्ताव दिया है। यह प्रस्तावित मुखावरण सांस की द्रव बूंदों के लिए एक अवरोध के रूप में कार्य करता है और उन्हें पीछे उछाल कर हटा देता है; जिसके परिणाम स्वरुप सतह से संक्रामक पदार्थ संचरण की सम्भावना कम हो जाती है। शोधकर्ताओं ने अपने प्रयोगों के परिणामों को फिजिक्स ऑफ फ्लूड्स नामक पत्रिका में प्रकाशित किया है। इस परियोजना को औद्योगिक अनुसंधान और परामर्श केंद्र (IRCC) एवं भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मुंबई द्वारा वित्त पोषित किया गया था।

निष्कासित द्रव बूंदें आकार में लगभग 50-200 माइक्रोन (एक माइक्रोन एक मिलीमीटर का एक हजारवां भाग) जितनी छोटी होती हैं, और इसलिए, इन्हें प्रत्यक्ष आंखों से नहीं देखा जा सकता है। शोधकर्ताओं का दल कोविड-19 के प्रसार को रोकने में सहायता प्रदान करने के लिए सुरक्षात्मक उपकरणों को अधिक प्रभावी बनाना चाहता था। इस कड़ी में उन्होंने सर्व प्रथम मुखावरण की दक्षता में सुधार करने का लक्ष्य रखा।

जब पानी की एक बूंद किसी सतह पर गिरती है, तो छोटी बूंद की ऊर्जा (गतिज ऊर्जा) और सतह तनाव (प्रतिरोधक बल) द्रव बूंद को परे धकेलने से पहले सतह पर समतल करने की प्रवृति रखती है। यदि सतह में पानी को आकर्षित करने के लिए उच्च आकर्षण (उच्च नमनीयता) है, तो मुखावरण की पीईटी सतह पर छोटी बूंद फैल कर सतह से चिपक जाती है। जब सतह झुकी हुई होती है (जैसे कि जब कोई उपयोग कर्ता मुखावरण पहनता है) तो गुरुत्वाकर्षण बल फैलती हुई छोटी द्रव बूंद पर अपना प्रभाव डालता है और यह नीचे गिर जाती है। बहती हुई द्रव बूंद मुखावरण की दृश्यता को प्रभावित करती है और संक्रामक पदार्थ के संचरण की संभावना को बढ़ाती है।

द्रव बूंदों को सतह पर चिपकने से रोकने के लिए शोधकर्ताओं को एक जल विकर्षक (हाइड्रोफोबिक) पदार्थ से मुखावरण को लेपित करने का नवीन विचार आया। उन्होंने ऑटोमोबाइल विंडशील्ड को लेपन करने के लिए उपयोग किए जाने वाले व्यावसायिक रूप से उपलब्ध एवं सस्ते स्प्रे को तैयार किया। स्प्रे की परत में सिलिका सूक्ष्म कण (नैनोपार्टिकल्स) होते हैं जो इसको उच्च जल विकर्षक (सुपरहाइड्रोफोबिक) बनाते हैं जिससे खराब मौसम की स्थिति के समय भी विंडस्क्रीन साफ रहती है।

शोधकर्ताओं ने इस जल विकर्षक (हाइड्रोफोबिक) लेपन से मुखावरण को लेपित किया और प्रदर्शित किया कि मुखावरण छोटे वायरस वाली द्रव बूंदों को रोक सकता है। उन्होंने पाया कि मुखावरण पर गिरने वाली पानी की बूंदें सतह से उछलती हैं और इस प्रकार लेपित क्षेत्र पानी के जमाव से मुक्त रहता है जिससे संक्रामक पदार्थ के संचय की संभावना समाप्त हो जाती है।

शोधकर्ताओं के दल ने मिश्रित लेपित मुखावरण के विकर्षक गुणों को स्थापित करने के लिए प्रयोगशाला में अनेक प्रयोग किए। अध्ययन की एक और नई विशेषता मुखावरण की सतह पर छोटी द्रव बूंदो की परस्पर क्रिया का मूल्यांकन कर पाना भी है।

वर्तमान मूल्यांकन विधियां सतहों पर एरोसोल की परस्पर क्रिया की कल्पना करने के लिए लेजर तकनीकों का उपयोग करती हैं। यह विधि इस अंतः क्रिया की समग्र छवि प्रदान करती है। अध्ययन के सह-लेखक प्राध्यापक रजनीश भारद्वाज कहते हैं कि, "हमारे अध्ययन में, हम दिखाते हैं कि मुखावरण की लेपित सतह के संपर्क में आने के बाद अकेली द्रव बूंदें कैसे व्यवहार करती हैं।" उनके प्रयोगों से यह भी पता चलता है कि ये परत मुखावरण की पारदर्शिता को प्रभावित नहीं करती है।

शोधकर्ताओं ने परत और बिना परत वाले दोनों मुखावरणों की नमनीयता, सतह का खुरदरापन और प्रकाशीय संचरण आदि गुणों का आकलन किया। उन्होंने विआयनीकृत विखनिजीकृत (डिमिनरलाइज्ड), शुद्ध जल बूंदों के साथ परत का मूल्यांकन और विवरणीकरण किया। एक उच्च गति, उच्च-रिज़ॉल्यूशन कैमरा जो सॉफ्टवेयर और विश्लेषणात्मक उपकरणों से संयोजित था, ने यह विवरण दिया कि छोटी द्रव बूंद सतह पर कैसे परस्पर क्रिया करती हैं।

यह पूछे जाने पर कि क्या विआयनीकृत पानी एक वास्तविक श्वसन द्रव बूंद का स्थान ले सकता है, अध्ययन के सह-लेखक प्राध्यापक अमित अग्रवाल कहते हैं कि, “पिछले कई अध्ययनों से ज्ञात होता है कि श्वसन की द्रव बूंदें बहुत छोटी होने के कारण, उनमें लार और लवण की मात्रा बहुत कम या लगभग न के बराबर होती है। इसलिए विआयनीकृत पानी एक वास्तविक श्वसन बूंद के लिए संरचना और गुणों में एक उचित विकल्प के रूप में माना जा सकता है।"

शोधकर्ताओं ने गिरने वाली छोटी द्रव बूंद के प्रभाव की गतिशीलता को परिभाषित और विश्लेषण करने के लिए वेबर और रेनॉल्ड्स नंबरों का उपयोग किया। समग्र विशेषताओं में छोटी द्रव बूंद का आकार, गतिज ऊर्जा, वेग, उनकी चिपचिपाहट, सतह का तनाव और अन्य भौतिक गुण सम्मिलित हैं। दल ने द्रव बूंदों के अलग अलग वेग के लिए अलेपित और लेपित दोनों सतहों के मूल्यांकन की भी तुलना की है।

मूल्यांकन में पाया गया कि लेपित सतह में अलेपित सतह की अपेक्षा बहुत कम नमनीयता या गीलापन था। लेपन (कोटिंग) ने सतह से द्रव बूंदों को रोकने के वांछित प्रभाव को प्राप्त करते हुए, छोटी बूंद के गतिज प्रतिक्षेप की सहायता की। अध्ययन से यह भी ज्ञात होता है कि द्रव बूंद लगभग 12 मिलीसेकंड में मुखावरण की सतह से उछलती है और गिरते हुए एक परवलयिक प्रक्षेपवक्र बनाती है। इसके अतिरिक्त, बूँदें जितनी बड़ी होती हैं, उतनी ही तेजी से उछलती हैं और कई बार अनेक बूंदों में विभाजित हो जाती हैं।

शोधकर्ताओं के दल ने द्रव बूंदों के 0.1 मीटर/सेकंड से 1 मीटर/सेकंड तक के वेग के लिए लेपित मुखावरण के प्रदर्शन का भी मूल्यांकन किया, जिसमें वर्षा जैसी स्थितियों को भी सम्मिलित किया गया जहां जल बूंदें सतह पर उच्च गति से गिरती हैं। "वर्षा जैसी परिस्थितियों में भी परत द्रव बूंदों को पीछे उछाल कर हटा देती है, और इससे मुखावरण की दृश्यता भी प्रभावित नहीं होती है," लेखकों ने अच्छे मुखावरण के अतिरिक्त लाभ पर प्रकाश डालते हुए कहा।

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