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2021 के संपादकीय चुनें लेख

जैसा कि हम 2022 में कदम रख रहे हैं, यह समय है कि हम उन लेखों पर चिंतन करें जिन्हें हमने पिछले वर्ष प्रकाशित किया था। हमें खुशी है कि आप हमारे द्वारा प्रकाशित इन लेखों के साथ हमसे जुड़े। यह कहना कठिन हैं कि 'इनमे से सर्वश्रेष्ठ लेख कौन सा हैं...', क्योंकि प्रत्येक का अपना अलग प्रभाव रहा। रिसर्च मैटर्स की संपादकीय टीम ने पाँच रोमांचक लेखों को (वरीयता के किसी विशेष क्रम में न रखकर) चुना है। हमारे चुने हुए लेख कर्क रोग की चिकित्सा, पर्यावरण, विज्ञान तथा अभियांत्रिकी क्षेत्र से जुडे हैं। हमें उम्मीद है कि आप हमेशा की तरह उन्हें रोचक पाएंगे।

1. कर्क रोग आक्रमण: मिश्रित कोशिकाएं अधिक प्रगति करती हैं

कर्क रोग सामूहिक रूप से उन कोशिकाओं का एक ऐसा मिश्रण होता है जिनके गुण एक दूसरे से तनिक भिन्न होते हैं। कोशिकाएं आकार और लचीलेपन या कठोरता में भिन्न होती हैं। कुछ प्रकार के कर्क रोग में, विभिन्न प्रकार की कोशिकाएँ एक साथ एकत्रित होकर चलती हैं। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मुंबई के शोधकर्ताओं ने पाया है कि विभिन्न कर्क रोग कोशिकाओं के मिश्रण वाले असामान्य दल, एकरूपी कोशिकाओं वाले अनुशासित दलों की तुलना में अधिक आक्रामक होते हैं। शोधकर्ताओं ने स्वयं के विकसित किए कंप्यूटर मॉडल चलाए और पाया कि सामान्यतः छोटी और नरम कोशिकाएं सबसे अधिक आक्रामक होती हैं। उन्होंने यह भी बताया कि कर्क रोग स्टेम कोशिकाओं से मिलती-जुलती छोटी कोशिकाएं प्राय​: आक्रमण में सबसे  अग्रणी पाई जाती हैं। 

2.  पिघले हुए लोहे के ठंडा होने की गति से उसके गुणों का निर्धारण होता है

ढलवाँ लोहे (कास्ट आयरन) का एक अधिक नमनीय प्रकार, जिसे गोलाकार ग्रेफाइट लोहा (स्फेरॉइडल ग्रेफाइट आयरन) कहा जाता है। इसका उपयोग मोटर वाहन के भागों को बनाने के लिए वृहद रूप से किया जाता है। लोहे का लचीलापन, कठोरता और गुणवत्ता इस बात से निर्धारित होती है कि सांचों में लोहा कितनी तेजी से ठंडा होता है। इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने पिघले हुए गोलाकार ग्रेफाइट लोहे को ठंडा करने की दिशा में एक नवीन मॉडल का प्रस्ताव दिया हैं। यह मॉडल, बेहतर गुणवत्ता वाले ढलवाँ लोहा बनाने के लिए, लौह-उद्योगों में शीतलन प्रक्रिया को अनुकूलित कर सकता है।

3. राज्य द्धारा किये जा रहे विकास में महिलाओं की भूमिका: विरोधाभासों की एक कहानी

इस अध्ययन में मानवविज्ञानी शोधकर्ता ने जो प्रयोग किया उसे मानवविज्ञानी विस्तारित केस स्टडी विधि कहते हैं। इस पद्धति में शोधकर्ता किसी एक व्यक्ति का यथासंभव विस्तार से अध्ययन करता है और इस व्यक्ति के लेंस के माध्यम से सामान्य- सामाजिक-राजनीतिक वास्तविकताओं को सामने लाता है।

4. चक्रवात फैलिन से समुद्री मछुआरा समुदाय की बहाली

इस अध्ययन में, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मुंबई के शोधकर्ताओं ने इस बात को ढूंढ निकाला कि चक्रवात के बाद तटीय क्षेत्र में रहने वाले समुद्री मछुआरा समुदायों ने अपनी आर्थिक स्थिति की पुनर्स्थापना कैसे की। चक्रवातों की बढ़ती संख्या के सम्मुख जिनसे बड़ी संख्या में लोग असुरक्षित हैं, विभिन्न बहाली उपायों की सफलता का आकलन करने में ऐसे अध्ययन महत्त्वपूर्ण हैं।

5. अनभिव्यक्त समझे जाने वाले ग्राही पाए गए अभिव्यक्त !

एक नवीन अध्ययन में, शोधार्थियों के एक समूह ने दर्शाया कि ये ग्राही एक अणु के माध्यम से, जो कभी इस संकेतन को रोकने वाला समझा जाता था, संकेतन करते हैं। यह खोज शोथ (इन्फ़्लेमेशन) एवं कर्करोग (कैंसर) सहित अनेक दशाओं के विरुद्ध औषधियों के अभिकल्पन (डिज़ाइन) में क्रांति ला सकती है।   

हम रिसर्च मैटर्स में हमारे साथ आपके निरंतर जुड़ाव और भविष्य की शानदार यात्रा की आशा करते हैं।


संपादकीय टिप्पणी: यह लेख कुछ कमियों के कारण बदला गया है। त्रुटि के लिये खेद है।

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