मुम्बई
उच्च संवेदनशील गैलियम नाइट्राइड बायोसेंसर के लिए संशोधित मॉडल

चित्र: फोटोमिक्स कंपनी, पिक्सेल्स

इलेक्ट्रोकेमिकल बायोसेंसर ऐसे मापन प्रणाली के रूप में काम करते हैं जो कुछ विशिष्ट अणुओं की एकाग्रता के लिए आनुपातिक विद्युत प्रवाह उत्पन्न करते हैं। इनका उपयोग कैंसर या अन्य बीमारियों का जल्दी पता लगाने, प्रदूषण को मापने या खाद्य संदूषण को पहचानने में किया जा सकता है। गैलियम नाइट्राइड (GaN) उच्च घनत्व वाले इलेक्ट्रॉनिक सर्किट के उत्पादन के लिए अर्धचालक उद्योग में नए पदार्थो में से एक है। ये विद्युत (इलेक्ट्रिक) संचालित वाहनों में नियंत्रण सर्किट के लिए पसंदीदा   पदार्थ के रूप में उभरकर आया है, जिससे गैलियम नाइट्राइड प्रौद्योगिकी के विकास को बढ़ावा मिला है। चूंकि गैलियम नाइट्राइड ट्रांजिस्टर मजबूत होने के साथ उच्च वोल्टेज बनाए रखते हैं, और तेजी से बदल सकते (स्विच करते) हैं इसलिए ये उच्च शक्ति और उच्च आवृत्ति अनुप्रयोगों के लिए उपयुक्त हैं। यह  गुण, इनके आवेश (चार्ज) में सूक्ष्म बदलावों को पकड़ लेते हैं, जिससे ये इलेक्ट्रोकेमिकल बायोसेंसर के लिए एक अच्छे विकल्प बन जाते हैं।

गैलियम नाइट्राइड उपकरणों की निर्माण प्रक्रिया महंगी एवं कठिन है और यह अभी भी उभर रही है। इन बायोसेंसर के लिए प्रयास एवं त्रुटि ( ट्रायल एंड एरर ) को कम करने के लिए आवश्यक सटीक गणितीय मॉडल अभी तक उपलब्ध नहीं हैं। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मुंबई के शोधकर्ताओं ने गैलियम नाइट्राइड बायोसेंसर के लिए एक मॉडल विकसित किया है जो वर्तमान में उपलब्ध मॉडलों की तुलना में अधिक सटीक है। मॉडल ट्रांजिस्टर के सतह आवेश पर कार्य करता है जो ट्रांजिस्टर एवं विलयन के अंतराफलक (इंटरफेस) पर  होता है। विलयन में विश्लेष्य पदार्थ -बायोमोलेक्यूल होता है, जिसे पहले मॉडल में नहीं स्वीकार किया जाता था। यह शोधकार्य आईईईई सेंसर्स लेटर्स नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।

एक गैलियम नाइट्राइड बायोसेंसर, तीन-टर्मिनल नैनो उपकरण पर आधारित होता है जिसे 'बायो-हाई इलेक्ट्रॉन मोबिलिटी ट्रांजिस्टर' कहा जाता है, जिसे संक्षिप्त में बायोएचईएमटी (bioHEMT) के रूप में जाना जाता है। इसके दो टर्मिनल, जिन्हें सोर्स और ड्रेन कहा जाता है, अर्धचालक (सेमीकंडक्टर) पदार्थ में एक धारा वाहक चैनल से जुड़े होते हैं। तीसरा टर्मिनल, जिसे गेट कहा जाता है, वह चैनल में प्रवाहित  धारा को नियंत्रित करता है। गेट बायोरिकॉग्निशन एलिमेंट (संसूचक) की एक परत से लेपित होता है और विश्लेष्य पदार्थ विलयन के संपर्क में रहता है। विश्लेष्य पदार्थ और संसूचक अणुओं के बीच प्रतिक्रिया के परिणामस्वरूप विद्युत आवेग होता है जो गेट वोल्टेज को बदलता है, जिससे ट्रांजिस्टर के माध्यम से बहने वाली धारा बदल जाती है। धारा में परिवर्तन बायोमार्कर सांद्रता के समानुपातीक होता है और इसलिए इसका उपयोग इसे मापने के लिए किया जा सकता है। वर्तमान अध्ययन के लेखक प्राध्यापक सिद्धार्थ तल्लूर ने बताया कि, "HEMTs द्वारा बायोमार्कर सांद्रता में बहुत ही छोटे परिवर्तनों का भी पता लगाना संभव हो पाया है और इनका उपयोग बहुत सूक्ष्म विसंगतियों का पता लगाने के लिए प्रारंभिक चेतावनी सेंसर के रूप में किया जा सकता है।"

गेट और विश्लेष्य विलयन के इंटरफेस पर चार्ज की एक पतली दोहरी परत बनती है। पिछले मॉडल में इस परत को डाइलेक्ट्रिक के रूप में वर्णित किया है। डाइलेक्ट्रिक एक विद्युत अचालक है जिस पर चार्ज जमा होता है। वास्तव में, दोहरी परत इस तरह कार्य करती है जैसे चार्ज संग्रह कर रही है, यानी कैपेसिटर के रूप में कार्य करती है। “दोहरी परत में चार्ज, ट्रांजिस्टर में धारा प्रवाह को प्रभावित करते हैं। इस प्रकार, यदि इनके योगदान का हिसाब नहीं रखा जाए, तो इसके परिणाम स्वरूप विश्लेष्य पदार्थ  एकाग्रता का गलत अनुमान हो सकता है," प्राध्यापक ताल्लुर बताते हैं। एक अपूर्ण मॉडल के आधार पर डिज़ाइन किया गया परिणामी उपकरण अपेक्षित रूप से बायोमार्कर एकाग्रता में सूक्ष्म परिवर्तनों का पता लगाने में सक्षम नहीं हो सकता है। "एक परिशुद्ध मॉडल डिजाइनरों को सेंसर उपकरण मापदंडों (पैरामीटरों) को बेहतर बनाकर सटीक विनिर्देशन के अनुसार निर्माण करने में मदद कर सकता है। यह विकास लागत को कम करेगा और इससे नई गैलियम नाइट्राइड तकनीक को अपनाने में आसानी होगी," प्राध्यापक ताल्लुर कहते हैं।

शोधकर्ताओं द्वारा बनाए गए मॉडल में, उन्होंने एक गणितीय अभिव्यक्ति व्युत्पन्न की जो बायोसेंसर के विद्युत और भौतिक गुणों, बायोमार्कर एकाग्रता और गेट पर लगाए गए वोल्टेज के आधार पर उपकरण के माध्यम से धारा की गणना करती है। उन्होंने सिलिकॉन उपकरणों के लिए उपयोग की जाने वाली पद्धति के समान कार्यविधि का अनुसरण किया। उन्होंने इस समीकरण को प्राप्त करते समय इंटरफ़ेस पर चार्ज परत को माना है। अपने मॉडल को प्रदर्शित करने के लिए, उन्होंने इसका इस्तेमाल एक उपकरण के, प्रोस्टेट-विशिष्ट एंटीजन नामक एक अणु का पता लगाने के कार्य को दिखाने के लिए किया, जिसकी एकाग्रता प्रोस्टेट कैंसर के मामलों में बढ़ जाती है। शोधकर्ताओं ने विभिन्न अणु सांद्रता के लिए, गेट पर बदलते वोल्टेज के साथ, उपकरण के माध्यम से प्रवाहित हो रही धारा की गणना की।

शोधकर्ताओं ने अपने मॉडल को, एक कम्प्यूटेशनल मॉडल द्वारा परिकलित धारा के परिमाण के साथ मान्य किया जो इंटरफ़ेस पर चार्ज परत के प्रभाव को ध्यान में रखता है। कम्प्यूटेशनल मॉडल बायोसेंसर के व्यवहार का एक स्वतंत्र विश्लेषण करता है और डिवाइस में धारा के मान की गणना करता है। शोधकर्ताओ द्वारा प्रस्तावित विश्लेषणात्मक मॉडल द्वारा गणना किए गए मानों और कम्प्यूटेशनल विधि द्वारा गणना किए गए मानों में अच्छी समरूपता पायी गयी।

शोधकर्ताओं ने अपने मॉडल का उपयोग बायोसेंसर की संवेदनशीलता के पूर्वानुमान के लिए किया, जो कि  लक्षित अणु एकाग्रता में एक विशिष्ट परिवर्तन के लिए धारा में हुए बदलाव की मात्रा का एक माप है  है। अधिक संवेदनशीलता से यह अभिप्राय है कि बायोसेंसर द्वारा अणु एकाग्रता में एक सूक्ष्म से बदलाव का भी पता लग सकता है। उन्होंने पाया कि उनके मॉडल द्वारा अनुमानित संवेदनशीलता मान पिछले मॉडल द्वारा अनुमानित संवेदनशीलता मान से लगभग 20% कम है जो इंटरफ़ेस पर चार्ज परत के प्रभाव को नहीं मानती। उन्होंने अपने मॉडल का उपयोग करके अनुमानित संवेदनशीलता मान की तुलना समान सेटअप में अन्य टीमों द्वारा प्रयोगात्मक रूप से मापी गई संवेदनशीलता मान के साथ भी की। उन्होंने पाया कि परिकलित संवेदनशीलता मान ने प्रयोगात्मक रूप से मापे गए मान से 10% विचलन दिखाया है।

“हम एक सरल विश्लेषणात्मक सूत्र प्रस्तुत करते हैं जिससे रूपरेखाकारों को केवल एक समीकरण का उपयोग करके उपकरणों के प्रदर्शन को अनुकूलित करने में मदद मिलेगी। साथ ही उपकरण रचना को अनुकूलित करने के लिए कीमती संगणकीय (कम्प्यूटेशनल) तकनीकों का उपयोग करने की आवश्यकता नहीं होगी," प्राध्यापक ताल्लुर टिप्पणी करते हैं।

शोधकर्ताओं का कहना है कि मॉडल को और विस्तृत करके  बायोसेंसर की संवेदनशीलता का सटीक अनुमान लगा कर,  “प्रारंभिक चेतावनी बायोमार्कर” चिन्हित अनेक प्रकार के कैंसर और विभिन्न बीमारियों का पता लगा सकते हैं। गैलियम नाइट्राइड उपकरण कठिन परिस्थितियों जैसे अत्यधिक संक्षारक और उच्च तापमान वाले वातावरण में काम कर सकते हैं। यह कारण ही इन पर्दाथो को लंबे सेवा जीवन वाले, मजबूत और विश्वसनीय, उच्च संवेदनशीलता पर्यावरण निगरानी सेंसर विकसित करने के लिए एक आकर्षक विकल्प बनाते है, जैसे कि पानी की गुणवत्ता की जांच के लिए कृषि सेंसर्स आदि। "विभिन्न उद्योगों में गैलियम नाइट्राइड आधारित चिप्स के बढ़ते उपयोग के साथ, आने वाले वर्षों में गैलियम नाइट्राइड आधारित बायोसेंसर्स की कई अनुप्रयोगो में उल्लेखनीय वृद्धि  की उम्मीद है," प्राध्यापक ताल्लुर  निष्कर्ष निकालते हुए कहते  हैं।

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