देहरादून
पूर्वोत्तर भारत में बाघों की आबादी नई ऊँचाई पर

पूर्वोत्तर भारत में अरुणाचल प्रदेश राज्य जो अभी तक अपने ऊँचे पहाड़ों और शाँत परिदृश्यों के लिए जाना जाता है जल्द ही सफेद-बाघों के लिए भी जाना जाने लगेगा।  हाल के एक अध्ययन में भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून के शोधकर्ताओं ने पूर्वी हिमालय की ३६३० मीटर ऊँचाई की पहाड़ियों पर इन शाही बिल्लियों के होने के साक्ष्य का पहला फोटो प्रस्तुत किया था।

इतनी ऊँचाई पर बाघों का होना कोई आश्चर्य की बात नहीं है। भूटान और उत्तराखण्ड में पहले भी इतनी ऊँचाई पर बाघों को देखा गया है । वन्यजीव संरक्षण सोसायटी के प्रसिद्ध जीवविज्ञानी डॉ. उल्लास कारंत  कहते हैं कि, “आमतौर पर बाघ  इतनी ऊँचाई पर नहीं रहते हैं किन्तु  घाटियों में बढ़ती आबादी एवं चहलकदमी के चलते अमूमन वह इतनी  ऊँचाई तक पहुँच जाते हैं।” सौ सालों से पहले भारतीय सेना के कप्तान एफ.एम. बैली ने पहली बार अरुणाचल प्रदेश की मिश्मी पहाड़ियों पर स्थित ऊँचाई वाले जंगलों में बाघों का होना बताया था। ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कार्पोरेशन (बीबीसी) ने २०१० में भूटान में ४००० मीटर से भी अधिक की ऊँचाई पर बाघों की पहली फुटेज को अपनी डाक्यूमेंट्री श्रृंखला “लॉस्ट लैंड ऑफ दि टायगर्स” के लिए फिल्माया था।

राज्य में स्थित दिबांग वन्यजीव अभयारण्य के आसपास भी बाघों के निशान  मिले हैं, हालाँकि यह अभयारण्य बाघों के लिए नहीं बनाया गया था। २०१२ में इसी अभयारण्य के पास स्थित अंगरिम घाटी में स्थित सूखी पानी की टंकी में गिरे दो बंगाल टाइगर शावकों को बचाया गया था। इस घटना के कारण ही वहाँ बाघों की उपस्थिति का पता लगाने के लिए राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए), डब्ल्यूआईआई और राज्य के पर्यावरण व वन विभाग द्वारा प्रारंभिक जाँच की गई थी। वर्तमान अध्ययन को एनटीसीए द्वारा वित्तीय सहायता मिली है। पिछले तीन सालों में दिबांग वन्यजीव अभयारण्य, मिश्मी हिल्स और उसके आसपास के इलाकों में गहन कैमरा ट्रैप के ज़रिए बाघों की आवाजाही को कैमरे में कैद किया गया है । अध्ययन के नतीजे हाल ही में थ्रेटन्ड टैक्सा  पत्रिका में प्रकाशित भी हुए हैं।

शोधकर्ताओं ने इन शाही बिल्लियों को कैमरे में कैद करने के लिए दोनों क्षेत्रों में १०८ कैमरे लगाए। प्रत्येक बाघ की पहचान उसके शरीर की धारियों से होती है जो कि हमारी उंगलियों के निशान की तरह भिन्नता बतलाती है। आमतौर पर दो कैमरों को एक-दूसरे के सामने लगाया जाता है ताकि दोनों ओर से बाघों के शरीर पर स्थित धारियों के पैटर्न को कैद किया एवं गणना में दोहराव न हो। हालाँकि इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने ज़्यादा व्यापक क्षेत्र का पता लगाने के लिए केवल एक कैमरे का ही इस्तेमाल किया था, क्योंकि इस अध्ययन का प्रारंभिक उद्देश्य उस क्षेत्र में बाघ उपस्थित है या नहीं यह लगाना था।

कैमरों ने बाघों की ४२ तस्वीरों को कैद किया गया  जिसमें ९ व्यस्क और दो शावक बाघ थे। ये तस्वीरें भारत में अब तक ज्ञात सबसे अधिक ऊँचाई पर स्थित बाघों की उपस्थिति का पहला प्रमाण हैं। ११ बाघों की उपस्थित मिश्मी घाटी को राज्य के अन्य बाघ अभयारण्यों में सबसे ज़्यादा बाघ होने का गौरव प्रदान करती है।

दिलचस्प बात है कि मिश्मी घाटी और उसके आसपास के अल्पाइन जंगलों में चकत्तेदार हिरण, सांभर और गौर जैसे पशुओं के रहने के स्थान नहीं हैं जो खासतौर से इन बाघों का भोजन होते हैं। बाघों के मल का विश्लेषण करने पर पाया गया कि ये बाघ मिश्मी ताकिन (एक तरह की हिरण) का शिकार करते हैं, यह बकरी-मृग पूर्वोत्तर भारत, म्यांमार और चीन की मूलनिवासी लुप्तप्राय पशु है। अभी तक शोधकर्ता इन बाघों की पारिस्थितिकी व्यवहार का निर्धारण नहीं कर पाए हैं।

अगर यह  सच है कि इस क्षेत्र में बाघ हैं, तो उन्हें विलुप्त होने से बचाने और उनके संरक्षण के प्रभावी प्रयास किए जाने चाहिए। लेखकों का सुझाव है कि, “हिमालय में इतनी ऊँचाई वाले मॉन्टेन आवासों में बाघ की उपस्थिति बाघों और उनके आवासों के संरक्षण के लिए अवसर और चुनौतियाँ प्रस्तुत करती हैं। सबसे पहली प्राथमिकता यह सुनिश्चित करना होनी चाहिए कि संभावित आबादी की आनुवंशिक विशिष्टता की पहचान कर उनकी निगरानी और सुरक्षा की जाए। इसके अतिरिक्त अन्य संभावित क्षेत्रों में भी बाघों की उपस्थिति की पहचान कर सर्वे किया जाना चाहिए।” परिणामों के अनुसार इस क्षेत्र की सुरक्षा और भविष्य में इसे बाघ आरक्षित क्षेत्र के रूप में लक्षित करना चाहिए, इससे न केवल उस क्षेत्र में पाए गए बाघों को बल्कि अन्य पेड़-पौधों और वन्यजीवों  को भी बचाया जा सकेगा।

Hindi

Recent Stories

लिखा गया
Research Matters
Industrial Pollution

हाइड्रोजन आधारित प्रक्रियाओं में उन्नत उत्प्रेरकों और नवीकरणीय ऊर्जा के समावेश से स्टील उद्योग में कार्बन विमुक्ति के आर्थिक और औद्योगिक रूप से व्यवहार्य समाधानों का विकास ।

लिखा गया
Research Matters
Representative image of rust: By peter731 from Pixabay

दो वैद्युत-रासायनिक तकनीकों के संयोजन से, शोधकर्ता औद्योगिक धातुओं पर लेपित आवरण पर संक्षारण की दर को कुशलतापूर्वक मापने में सफल रहे।

लिखा गया
Research Matters
प्रतिनिधि चित्र श्रेय: पिक्साहाइव

उत्तम आपदा प्रबंधन एवं आर्थिक सुरक्षा की दृष्टि से, राज्य की वित्त व्यवस्था पर आपदा के प्रभाव का आकलन करने हेतु ‘डिजास्टर इंटेंसिटी इंडेक्स’ का उपयोग करते शोधकर्ता

लिखा गया
Research Matters
Lockeia gigantus trace fossils found from Fort Member. Credit: Authors

ಜೈ ನಾರಾಯಣ್ ವ್ಯಾಸ್ ವಿಶ್ವವಿದ್ಯಾಲಯದ ಸಂಶೋಧಕರು ಜೈಸಲ್ಮೇರ್ ನಗರದ ಬಳಿಯ ಜೈಸಲ್ಮೇರ್ ರಚನೆಯಲ್ಲಿ ಲಾಕಿಯಾ ಜೈಗ್ಯಾಂಟಸ್ ಪಳೆಯುಳಿಕೆಗಳನ್ನು ಕಂಡುಹಿಡಿದಿದ್ದಾರೆ. ಇದು ಭಾರತದಿಂದ ಇಂತಹ ಪಳೆಯುಳಿಕೆಗಳ ಮೊದಲ ದಾಖಲೆ ಮಾತ್ರವಲ್ಲ, ಇದುವರೆಗೆ ಪತ್ತೆಯಾದ ಅತಿದೊಡ್ಡ ಲಾಕಿಯಾ ಕುರುಹುಗಳು.

लिखा गया
Research Matters
ಇಂಡೋ-ಬರ್ಮೀಸ್ ಪ್ಯಾಂಗೊಲಿನ್ (ಮನಿಸ್ ಇಂಡೋಬರ್ಮಾನಿಕಾ). ಕೃಪೆ: ವಾಂಗ್ಮೋ, ಎಲ್.ಕೆ., ಘೋಷ್, ಎ., ಡೋಲ್ಕರ್, ಎಸ್. ಮತ್ತು ಇತರರು.

ಕಳ್ಳತನದಿಂದ ಸಾಗಾಟವಾಗುತ್ತಿದ್ದ ಹಲವು ಪ್ರಾಣಿಗಳ ನಡುವೆ ಪ್ಯಾಂಗೋಲಿನ್ ನ ಹೊಸ ಪ್ರಭೇದವನ್ನು ಪತ್ತೆ ಮಾಡಲಾಗಿದೆ.

लिखा गया
Research Matters
ಸ್ಪರ್ಶರಹಿತ ಬೆರಳಚ್ಚು ಸಂವೇದಕದ ಪ್ರಾತಿನಿಧಿಕ ಚಿತ್ರ

ಸಾಧಾರಣವಾಗಿ, ಫೋನ್ ಅನ್ನು ಅನ್ಲಾಕ್ ಮಾಡುವಾಗ ಅಥವಾ ಕಛೇರಿಯಲ್ಲಿ ಬಯೋಮೆಟ್ರಿಕ್ ಸ್ಕ್ಯಾನರುಗಳನ್ನು ಬಳಸುವಾಗ, ನಿಮ್ಮ ಬೆರಳನ್ನು ಸ್ಕ್ಯಾನರಿನ ಮೇಲ್ಮೈಗೆ ಒತ್ತ ಬೇಕಾಗುತ್ತದೆ. ಬೆರಳಚ್ಚುಗಳನ್ನು ಸೆರೆಹಿಡಿಯುವುದು ಹೀಗೆ. ಆದರೆ, ಹೊಸ ಸಂಶೋಧನೆಯೊಂದು ಈ ಪ್ರಕ್ರಿಯೆಯನ್ನು ಇನ್ನಷ್ಟು ಸ್ವಚ್ಛ, ಸುಲಭ ಮತ್ತು ಹೆಚ್ಚು ನಿಖರವಾಗಿಸುವ ವಿಧಾನವನ್ನು ರೂಪಿಸಿದೆ. ಸಾಧನವನ್ನು ಮುಟ್ಟದೆಯೇ ಬೆರಳಚ್ಚನ್ನು ಸಂಗ್ರಹಿಸುವ ಮಾರ್ಗವನ್ನು ಹುಡುಕಿದೆ.

लिखा गया
Research Matters
ಮೈಕ್ರೋಸಾಫ್ಟ್ ಡಿಸೈನರ್ ನ ಇಮೇಜ್ ಕ್ರಿಯೇಟರ್ ಬಳಸಿ ಚಿತ್ರ ರಚಿಸಲಾಗಿದೆ

ಐಐಟಿ ಬಾಂಬೆಯ ಸಂಶೋಧಕರು ಶಾಕ್‌ವೇವ್-ಆಧಾರಿತ ಸೂಜಿ-ಮುಕ್ತ ಸಿರಿಂಜ್ ಅನ್ನು ಅಭಿವೃದ್ಧಿಪಡಿಸಿದ್ದಾರೆ. ಈ ಮೂಲಕ ಸೂಜಿಗಳಿಲ್ಲದೆ ಔಷಧಿಗಳನ್ನು ಪೂರೈಸುವ ಮಾರ್ಗವನ್ನು ಕಂಡುಹಿಡಿದಿದ್ದಾರೆ.

लिखा गया
Research Matters
ಅತ್ಯಂತ ಪ್ರಾಚೀನ ವಸ್ತುವಿನ ಅಧ್ಯಯನ

ಹಯಾಬುಸಾ ಎಂದರೆ ವೇಗವಾಗಿ ಚಲಿಸುವ ಜಪಾನೀ ಬೈಕ್ ನೆನಪಿಗೆ ತಕ್ಷಣ ಬರುವುದು ಅಲ್ಲವೇ? ಆದರೆ ಜಪಾನಿನ ಬಾಹ್ಯಾಕಾಶ ಸಂಸ್ಥೆ - (ಜಾಕ್ಸ, JAXA) ತನ್ನ ಒಂದು ನೌಕೆಯ ಹೆಸರು ಹಯಾಬುಸಾ 2 ಎಂದು ಇಟ್ಟಿದ್ದಾರೆ. ಈ ನೌಕೆಯನ್ನು ಜಪಾನಿನ ಬಾಹ್ಯಾಕಾಶ ಸಂಸ್ಥೆ ಸೌರವ್ಯೂಹದಾದ್ಯಂತ ಸಂಚರಿಸಿ ರುಯ್ಗು (Ryugu) ಕ್ಷುದ್ರಗ್ರಹವನ್ನು ಸಂಪರ್ಕ ಸಾಧಿಸುವ ಉದ್ದೇಶದಿಂದ  ಡಿಸೆಂಬರ್ 2014 ರಲ್ಲಿ ಉಡಾವಣೆ ಮಾಡಿತ್ತು. ಇದು ಸುಮಾರು ಮೂವತ್ತು ಕೋಟಿ (300 ಮಿಲಿಯನ್) ಕಿಲೋಮೀಟರ್ ದೂರ ಪ್ರಯಾಣಿಸಿ 2018 ರಲ್ಲಿ ರುಯ್ಗು ಕ್ಷುದ್ರಗ್ರಹವನ್ನು ಸ್ಪರ್ಶಿಸಿತ್ತು. ಅಲ್ಲಿಯೇ ಕೆಲ ತಿಂಗಳು ಇದ್ದು ಮಾಹಿತಿ ಮತ್ತು ವಸ್ತು ಸಂಗ್ರಹಣೆ ಮಾಡಿ, 2020 ಯಲ್ಲಿ ಯಶಸ್ವಿಯಾಗಿ ಹಿಂತಿರುಗಿತ್ತು.

लिखा गया
Research Matters
ಕಾಂಕ್ರೀಟ್‌ ಪರೀಕ್ಷೆಗೆ ಪ್ರೋಬ್‌

ಕಾಂಕ್ರೀಟ್‌ನಲ್ಲಿ ಹುದುಗಿರುವ ರೆಬಾರ್‌ಗಳಲ್ಲಿನ ತುಕ್ಕು ಪ್ರಮಾಣವನ್ನು ಮಾಪಿಸಲು ವಿಜ್ಞಾನಿಗಳು ಒಂದು ಹೊಸ ತಪಾಸಕವನ್ನು ಅಭಿವೃದ್ಧಿಪಡಿಸಿದ್ದಾರೆ.

लिखा गया
Research Matters
‘ದ್ವಿಪಾತ್ರ’ದಲ್ಲಿ ಮೈಕ್ರೋ ಆರ್‌ಎನ್‌ಎ

ವೈರಲ್ ಸೋಂಕುಗಳು ಮತ್ತು ಸ್ವಯಂ ನಿರೋಧಕ ಕಾಯಿಲೆಗಳಲ್ಲಿ ಮೈಕ್ರೋ ಆರ್‌ಎನ್‌ಎ ‘ದ್ವಿಪಾತ್ರ’ದಲ್ಲಿ ಕೆಲಸ ಮಾಡುತ್ತದೆ. 

लिखा गया
Research Matters
ರೀಚಾರ್ಜ್ ಮಾಡಬಹುದಾದ ಬ್ಯಾಟರಿಗಳು

ಐಐಟಿ ಬಾಂಬೆ ಯ ಬ್ಯಾಟರಿ ಪ್ರೋಟೋಟೈಪಿಂಗ್ ಲ್ಯಾಬ್ ನ ಸಂಶೋಧಕರು ಇಂಧನ (ಶಕ್ತಿ) ಶೇಖರಣಾ ಸಾಧನವಾಗಿರುವ ರೀಚಾರ್ಜ್ ಮಾಡಬಹುದಾದ ಬ್ಯಾಟರಿಗಳ ಬಗ್ಗೆ ಅಧ್ಯಯನ ನಡೆಸುತ್ತಿದ್ದಾರೆ. 

Loading content ...
Loading content ...
Loading content ...
Loading content ...
Loading content ...