मुंबई
मार्गों की सतही गुणवत्ता के वर्गीकरण  के लिए एक स्वचालित प्रणाली

छायाचित्र : अनन्या 

कई वाहन चालक द्रुतगामी मार्ग के धोखे में उन्हें गड्ढों से भरे मार्ग पर ले जाने के लिए, अपने नेवीगेशन सिस्टम पर खीज उठे होंगे। यह छिपा हुआ नहीं है कि हमारे देश के विभिन्न भागों में मार्गों की स्थिति  बेहतर दिन देख चुकी है। यहाँ तक कि जब मार्ग के एक भाग का जीर्णोद्धार किया जाता है तब दूसरे भाग पर स्थानांतरित किया गया भारी यातायात इसे और अधिक विकृत कर देता है। एक विश्वसनीय प्रणाली के अभाव में, मार्ग की स्थिति के निरंतर अन्वीक्षण के स्थान पर, नागरिक प्राधिकारियों को मार्ग के जीर्णोद्धार के साथ कुश्ती लड़ने के लिए छोड़ दिया जाता है।

एक नूतन अध्ययन में, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मुंबई (आई.आई.टी. मुंबई) के शोधकर्ताओं ने रोडकेयर नामक एक नवीन प्रयुक्ति विकसित की है, जो मार्ग की सतही गुणवत्ता के अनुवीक्षण के लिए जनसमूह से एकत्रित आँकड़ों का उपयोग करती है। यह प्रयुक्ति चालकों को अप्रिय मार्ग की स्थिति के बारे में न केवल प्रारम्भिक चेतावनी दे सकती है और गंतव्य के लिए सर्वाधिक सुगम मार्ग सुझा सकती है, बल्कि समय के साथ मार्ग की गुणवत्ता में हुये परिवर्तन को देख पाने में नगर अधिकारियों की सहायता भी करती है। यह अध्ययन मानव संसाधन और विकास मंत्रालय, भारत सरकार एवं ओसवाल फाउंडेशन, मुंबई द्वारा वित्त पोषित किया गया था।

मार्ग की स्थिति का सर्वेक्षण करने के लिए प्रयुक्त वर्तमान तंत्र अधिक समय लेते हैं एवं इनमें विशिष्ट वाहनों के उपयोग की आवश्यकता होती है, जो विकासशील देशों में उपलब्ध सीमित बजट के अंदर खरीद पाना मुश्किल है। इसके स्थान पर, रोडकेयर एक स्मार्ट फोन प्रयुक्ति है जो नियमित यात्रियों के द्वारा यात्रा करते समय, मार्ग संबंधी आँकड़ों को साझा करने के लिए उपयोग की जा सकती है। फोन-एप इन आँकड़ों के आधार पर, मार्ग के विभिन्न भागों की गुणवत्ता को उपतंसयन अर्थात बंपीनेस के आधार पर  'अच्छा', 'मध्यम' अथवा 'अप्रिय' के रूप में वर्गीकृत करती है। उदाहरण के लिए, यदि कोई वाहन मार्ग के एक भाग पर निर्विघ्न रूप से आरोहण कर सकता है, भले ही मार्ग थोड़ा-बहुत ऊबड़-खाबड़ हो, तो मार्ग को 'अच्छे मार्ग' के रूप में वर्गीकृत किया जाएगा।

रोडकेयर प्रयुक्ति एक प्रकार के सांख्यिकीय अलगोरिद्म पर चलती है जिसे गहन तंत्रिका जाल अर्थात डीप न्यूरल नेटवर्क कहते हैं, तथा यह आँकड़ों के मध्य के संबंधों को समझ सकता है, और स्पष्ट निर्देशों की आवश्यकता के बिना इसे वर्गीकृत कर सकता है। रोडकेयर के लिए, शोधकर्ताओं ने फोन से प्राप्त दो प्रकार के आँकड़ों का उपयोग किया: एक्सेलेरोमीटर आँकड़े, जो फोन की गति के संबंध में सूचना देते हैं, एवं जीपीएस आंकड़े, जो अक्षांश और देशांतर निर्देशांकों के वाहक होते है। ये आँकड़े मुंबई में 20 टैक्सी चालकों के द्वारा छह महीने में साझा किये गए, जब वे विभिन्न प्रकार के मार्गों पर होने वाली अपनी दैनिक यात्रा पर गए।

शोधकर्ताओं ने एक्सेलेरोमीटर एवं जीपीएस से प्राप्त 'अच्छे', 'मध्यम' और 'अप्रिय' मार्ग के आँकड़ों के नमूने आंकड़ा-संग्रह अर्थात डाटा-सेट से अलगोरिद्म को भेजे। अलगोरिद्म तब आँकड़ों एवं मार्ग की सतही गुणवत्ता के मध्य सम्बन्धों को हल कर पाने में सक्षम पाया गया। जब कोई उपयोगकर्ता रोडकेयर एप को चलाता है, तो मार्ग की दशा की नियतकालिक भविष्यवाणी के लिए अलगोरिद्म ज्ञात कड़ियों का उपयोग करता है। इसके साथ ही, रोडकेयर जीपीएस आँकड़ों में निहित दिक-सूचना से यात्रा की दिशा प्राप्त करता है, एवं उपयोगकर्ता को केवल उस मार्ग के गुणवत्ता आँकड़े प्रदान करता है, जिस पर वह है, विपरीत पथ के नहीं।  

ज्ञात मार्ग आँकड़ों के साथ इस मॉडल का परीक्षण करने पर, शोधकर्ताओं ने पाया कि अच्छे मार्गों के केवल 3% दोष-पूर्ण वर्गीकरण के साथ, यह संतोषजनक रूप से मार्ग की स्थितियों का अनुमान लगा सकता है। वे स्पष्ट करते हैं कि यह दोष-पूर्ण वर्गीकरण उन मार्गों से उत्पन्न होता है जो अच्छी अथवा अप्रिय, किसी भी श्रेणी में भली-भांति नहीं आते हैं।

रोडकेयर किसी भी स्थिति में पड़े हुये फोन से प्राप्त आँकड़ों के साथ काम करता है। "क्योंकि हम आँकड़ों को जनसमूह से एकत्र करते हैं, फोन के किसी भी दिशा-स्थिति अर्थात ओरिएंटेशन में होने की स्वच्छंदता महत्वपूर्ण होती है। अतएव, हमारे अलगोरिद्म इस प्रकार से विकसित किए जाते हैं कि ये फोन की दिशा-स्थिति से स्वतंत्र रह सकें।" ये कहना है आई आई टी मुंबई के प्राध्यापक भास्करन रामन का, जो इस अध्ययन में रत शोधकर्ताओं में से एक हैं। इसके अतिरिक्त, शोधकर्ताओं ने विभिन्न प्रकार के फोनों से आँकड़ों को एकत्र किया, यह सुनिश्चित करते हुए कि अलगोरिद्म विभिन्न फोन मॉडलों की परवाह किए बिना भली-भांति काम करता है।

रोडकेयर द्वारा की गई भविष्यवाणियाँ गूगल मानचित्र पर रंगीन रेखाओं वाले मार्गों को चिह्नित करके दर्शाई जाती है। हरी रेखा 'अच्छे' मार्गों को इंगित करती है, बैगनी 'मध्यम’ मार्गों को और लाल 'अप्रिय’ मार्गों के लिए है।
 

अच्छे (हरा), मध्यम (बैगनी) एवं अप्रिय (लाल) मार्गों के लिए मार्ग गुणवत्ता दृश्य 
छायाचित्र : कर्तव्य कोठारी (रोडकेयर दल)

कुछ दशाओं में, शोधकर्ताओं ने देखा कि 'अप्रिय' अवस्था में स्थित मार्ग भी 'अच्छे' चिन्हित कर दिये गए। उनका कहना है, कि यह मार्ग के भाग में 'अप्रिय' के साथ साथ 'अच्छे' पैवंद उपस्थित होने के कारण हुआ, जिसमें 'अच्छे' की गिनती 'अप्रिय' श्रेणी की गिनती पर थोड़ी भारी थी। इस समस्या के निदान हेतु केवल तीन वर्गों के स्थान पर, उन्होंने 11 - अंकीय श्रेणीकरण पर आधारित वृद्धिशील श्रेणीकरण को प्रस्तुत किया - जिसमें '0' अत्यंत अच्छे को एवं '10' अत्यंत अप्रिय को चिन्हित करता है। जैसे-जैसे अवस्थाएं अच्छे से अप्रिय की ओर जाती हैं, दृश्य में रंग भी गहरे हरे से लाल में परिवर्तित होते जाते हैं। यह इस दृश्य के द्वारा और सूक्ष्म जानकारी व्यक्त किए जाने की अनुमति देता है।

11-अंकीय श्रेणीकरण पर आधारित मार्ग गुणवत्ता दृश्य, छायाचित्र : कर्तव्य कोठारी (रोडकेयर दल)

रोडकेयर प्रयुक्ति चालकों द्वारा उपलब्ध कराए गए आँकड़ों के आधार पर नवीनतम मार्ग स्थितियों को लगातार अपडेट करती है। अत: इसका उपयोग नगर-अधिकारियों द्वारा समय के साथ मार्ग की गुणवत्ता के मूल्यांकन में परिवर्तन को अंकित करने के लिए किया जा सकता है। यदि किसी मार्ग की गुणवत्ता विकृत होती है तो वे इस पर विचार कर सकते हैं और समय पर इसके रखरखाव को सुनिश्चित करने के लिए अपने संसाधनों को निर्देशित कर सकते हैं। अब तक, रोडकेयर ने पंद्रह महीनों के अंदर 25 चालकों द्वारा दिए गए आँकड़ों का उपयोग किया है।

इसके अतिरिक्त, रोडकेयर एक निर्विघ्न सवारी के लिए वैकल्पिक मार्ग सुझा सकता है। "कई परिदृश्यों में, नियमित यात्रियों को एक निर्विघ्न मार्ग अच्छा लग सकता है, एक द्रुतगामी मार्ग, भले ही वह लंबा हो,” प्राध्यापक रामन कहते हैं। "यह केवल आराम के लिए, या स्वास्थ्य कारणों से हो सकता है जिसमें वे लंबे समय तक ऊबड़-खाबड़ मार्गों का सामना नहीं कर सकते, अथवा वाणिज्यिक कारणों से जैसे कि भंगुर उपकरणों के परिवहन के लिए। इन परिस्थितियों में, मार्ग की गुणवत्ता की जानकारी होना महत्वपूर्ण हो जाता है।”

आगामी चरण में, शोधकर्ता रोडकेयर के गूगल मानचित्र के साथ संयोजन को श्रेष्ठतम बनाने पर काम कर रहे हैं। "हमने हाल ही में इसे देखने के लिए एक प्लेटफॉर्म बनाया है, जिसे हम मुंबई के मार्गों पर एकत्र आँकड़ों के साथ, जनता के लिए खोलने की योजना बना रहे हैं। हमारे पास गायरोस्कोप जैसे अन्य संवेदकों के आँकड़ों का उपयोग करके अपने अलगोरिद्म को और बेहतर बनाने की भी योजना है," प्राध्यापक रामन कहते हैं।

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