मुंबई
कर्क रोग आक्रमण: मिश्रित कोशिकाएं अधिक प्रगति करती हैं

हमारे शरीर में जीवित कोशिकाएं इसे जीवित रखने के लिए एक दूसरे के साथ सामंजस्य बिठाकर काम करती हैं। कभी-कभी, हानिकारक रसायनों या तीव्र  विकीरण के संपर्क में आने के कारण, या आंतरिक दोहराव के दौरान भी, कुछ कोशिकाओं के अंदर के जीन क्षतिग्रस्त हो सकते हैं।  यदा कदा, क्षति कोशिकाओं को उनके सामान्य व्यवहार से विचलित कर देती है और असामान्य बना देती है । असामान्य कोशिकाएं संख्या में बढ़ जाती हैं और एक ऐसा दल बनाती हैं जो सीमाओं का सम्मान किये बिना स्वस्थ कोशिकाओं के लिए निर्धारित पोषक तत्वों को भी सोख लेता है। इन कोशिकाओं को हम कर्क रोग कहते हैं। धीरे-धीरे गोपनीय रूप से से ये कोशिकाएं नए क्षेत्रों पर आक्रमण करती हैं और शरीर के अन्य भागों में फैल जाती हैं। इस स्तर पर, कर्क रोग को आमतौर पर लाइलाज माना जाता है।

कर्क रोग सामूहिक रूप से उन कोशिकाओं का एक ऐसा मिश्रण होता है जिनके गुण एक दूसरे से तनिक भिन्न होते हैं। कोशिकाएं आकार और लचीलेपन या कठोरता में भिन्न होती हैं। कुछ प्रकार के कर्क रोग में, विभिन्न प्रकार की कोशिकाएँ एक साथ एकत्रित होकर चलती हैं। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान बॉम्बे (आई.आई.टी. बॉम्बे) के शोधकर्ताओं ने पाया है कि विभिन्न कर्क रोग कोशिकाओं के मिश्रण वाले असामान्य दल, एकरूपी कोशिकाओं वाले अनुशासित दलों की तुलना में अधिक आक्रामक होते हैं । शोधकर्ताओं ने  स्वयं के विकसित किए कंप्यूटर मॉडल चलाए और पाया कि सामान्यतः छोटी और नरम कोशिकाएं सबसे अधिक आक्रामक होती हैं। उन्होंने यह भी बताया कि कर्क रोग स्टेम कोशिकाओं से मिलती-जुलती छोटी कोशिकाएं प्राय​: आक्रमण में सबसे  अग्रणी पाई जाती हैं। उनका अध्ययन ‘द कंपनी ऑफ बायोलॉजिस्ट्स जर्नल ऑफ सैल साइंस’ में प्रकाशित हुआ है। इस शोध कार्य को विज्ञान और प्रौद्योगिकी अनुसंधान बोर्ड (एस.ई.आर.बी.), विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय, भारत सरकार से वित्त पोषण प्राप्त हुआ है।

हमारे शरीर की सभी कोशिकाएं प्रोटीन और अन्य रसायनों से बने मैट्रिक्स में अंतर्निहित हैं। जैसे-जैसे कर्क रोग बढ़ता है, कर्क रोग कोशिकाएं नए ऊतकों पर आक्रमण करना शुरू कर देती हैं। कोशिकाओं के लिए घने चिपचिपे मैट्रिसेस से गुजरना सरल नहीं होता है। कर्क रोग कोशिकाएं मैट्रिक्स को नरम करने और इसके माध्यम से बाहर निकलने में सहायता करने के लिए कई किण्वकों का स्राव करती हैं।

शोधकर्ताओं ने दो प्रकार के स्तन कर्क रोग कोशिकाओं को चुना जो आक्रमण के लिए  व्यग्र थे। उन्होंने विश्लेषण किया कि प्रत्येक प्रकार की कोशिका कितनी बड़ी है और प्रत्येक कोशिका अपनी पड़ोसी कोशिका से कितनी मजबूती से जुड़ी हुई है। इसके अतिरिक्त, उन्होंने मापा कि कोशिकाएं कितनी तेजी से आसपास घूमती हैं और वे कितनी कठोर हैं। कंप्यूटर अनुकरण का उपयोग करते हुए उन्होंने  अवलोकन किया कि कैसे ये कोशिकाएं चारों ओर घूमती हैं और शरीर के नए  भागों पर आक्रमण करती हैं। उन्होंने कोशिकाओं के आकार और कठोरता या एक दूसरे के प्रति उनकी चिपचिपाहट को नियंत्रित किया। साथ ही, अनुकरण में उन्होंने विभिन्न प्रकार की कोशिकाओं को अलग-अलग अनुपात में मिलाया। उन्होंने प्रत्येक कोशिका की कुल यात्रा की गणना की। उन्होंने अवलोकन किया कि प्रत्येक कोशिका अपने मूल स्थान से कितनी दूर जाती है, जिसे कोशिका का स्थानान्तरण कहा जाता है।

प्रत्येक कोशिका द्वारा यात्रा की जाने वाली दूरी की तुलना में कोशिका स्थानान्तरण आक्रामकता का एक बेहतर संकेतक है। जिस प्रकार फुटबॉल खिलाड़ी गेंद को चारों ओर पास करने के बाद भी प्रतिद्वंद्वी की रक्षा को बेधने में असफल हो सकते हैं, उसी प्रकार कोशिकाएं भी चारों ओर घूमने के बाद भी नए क्षेत्र पर आक्रमण करने में विफल हो सकती हैं। । शोधकर्ताओं ने पाया कि कोशिका स्थानान्तरण उन समूहों में अधिकतम था जिनमें आकार और कठोरता में एक दूसरे से भिन्न कोशिकाएं उपस्थित थीं।  रोचक बात यह है कि कोशिकाओं के समूह जिनमें अकेले आकार या अकेले कठोरता में भिन्न कोशिकाएं शामिल थीं, वे बहुत कुशल आक्रमणकारी नहीं थे। उन्होंने पाया कि विभिन्न आकारों और कठोरता की कोशिकाओं का संयोजन सबसे आक्रामक संयोजन था।

शोधकर्ताओं ने कोशिकाओं के पांच अलग-अलग समूह बनाए। यह जानने के लिए कि क्या किसी विशेष आकार या कठोरता का कोई विशिष्ट संयोजन सबसे आक्रामक था, उन्होंने प्रत्येक समूह की आक्रामकता का परीक्षण किया। प्रत्येक समूह की सभी कोशिकाएँ एक समान थीं, परंतु उनका आकार या कठोरता अन्य समूहों की कोशिकाओं से भिन्न थी। उन्होंने पाया कि प्रत्येक समूह की आक्रामकता में नगण्य अंतर था।

कोशिकाओं का विषमांगी मिश्रण आक्रमण करने में इतना कुशल क्यों है? प्रदान की गई व्याख्या फ़ुटबॉल में एक बहुत ही सफल रणनीति की याद दिलाती है जिसे 'टोटल फ़ुटबॉल' कहा जाता है। डच फ़ुटबॉल टीम को 1970 के दशक में इसका अभ्यास करने के लिए जाना जाता था। गठन (फॉर्मेशन) के विपरीत, जहां खिलाड़ी निश्चित स्थिति में खेलते हैं, टोटल फ़ुटबॉल में खिलाड़ी स्वच्छंदता के साथ बढ़ते हुए दूसरे खिलाड़ी के स्थान से भी खेल सकते हैं, जिससे प्रतिद्वंद्वी के बचाव पर आक्रमण का प्रभावी दबाव बना रहता है। हम यहां कोशिकाओं के साथ जो देखते हैं वह इस रणनीति के समान है। "विषमता इस बात की  सक्षमता देती है कि समग्र रूप से चल रहे कोशिका समूह के भीतर प्रत्येक कोशिका निरन्तर स्थान बदलती रहे। इससे समस्त कोशिका समूह की कुल आक्रामकता बढ़ती है, ” डॉ सेन बताते हैं, जिनके नेतृत्व में वर्तमान शोध किया गया।

कर्क रोग के गुच्छे में कर्क रोग स्टेम कोशिकाएं होती हैं जो सामान्य स्टेम कोशिकाओं के प्रकार ही संख्या में असीमित रूप से बढ़ सकती हैं। प्रायोगिक अध्ययनों से ज्ञात हुआ है कि इनमें से कुछ स्टेम कोशिकाएं अपेक्षाकृत नरम और आकार में छोटी होती हैं और मोर्चे पर अग्रणी होती हैं। इन अनुकरण अध्ययनों में भी आक्रमण के अग्रणी मोर्चे पर यही छोटी कोशिकाएँ पाई गईं। समूह की कम आक्रामक कोशिकाएं इन अधिक आक्रामक नेता कोशिकाओं का अनुसरण करती हैं और आक्रमण को मजबूत करती हैं।

कहावत के अनुसार जिस प्रकार एक समूह में विविधता एक जटिल समस्या को हल करने की क्षमता प्रदान करती है, उसी प्रकार विभिन्न आकारों और कठोरता वाली कोशिकाओं का मिश्रण कर्क रोग का आक्रमण करने के लिए सबसे कुशल संयोजन है। इस विषम समूह में, आक्रमण के समय कोशिकाएं एक दूसरे के साथ अर्न्तक्रिया में रहती हैं। एक दिन हम कर्क रोग कोशिकाओं को मारने के लिए इस अर्न्तक्रिया का लाभ उठाने में सक्षम हो सकते हैं। हम इस परस्पर क्रिया में हस्तक्षेप करने और उनके आक्रमण को रोकने के लिए एक रणनीति विकसित कर सकते हैं। संभवतया तब हम आक्रमण के अंतिम चरण में भी कर्क रोग को मात देने में सक्षम हो पायेंगे।

Hindi

Recent Stories

लिखा गया
Industrial Pollution

हाइड्रोजन आधारित प्रक्रियाओं में उन्नत उत्प्रेरकों और नवीकरणीय ऊर्जा के समावेश से स्टील उद्योग में कार्बन विमुक्ति के आर्थिक और औद्योगिक रूप से व्यवहार्य समाधानों का विकास ।

लिखा गया
Representative image of rust: By peter731 from Pixabay

दो वैद्युत-रासायनिक तकनीकों के संयोजन से, शोधकर्ता औद्योगिक धातुओं पर लेपित आवरण पर संक्षारण की दर को कुशलतापूर्वक मापने में सफल रहे।

लिखा गया
प्रतिनिधि चित्र श्रेय: पिक्साहाइव

उत्तम आपदा प्रबंधन एवं आर्थिक सुरक्षा की दृष्टि से, राज्य की वित्त व्यवस्था पर आपदा के प्रभाव का आकलन करने हेतु ‘डिजास्टर इंटेंसिटी इंडेक्स’ का उपयोग करते शोधकर्ता

लिखा गया
Lockeia gigantus trace fossils found from Fort Member. Credit: Authors

ಜೈ ನಾರಾಯಣ್ ವ್ಯಾಸ್ ವಿಶ್ವವಿದ್ಯಾಲಯದ ಸಂಶೋಧಕರು ಜೈಸಲ್ಮೇರ್ ನಗರದ ಬಳಿಯ ಜೈಸಲ್ಮೇರ್ ರಚನೆಯಲ್ಲಿ ಲಾಕಿಯಾ ಜೈಗ್ಯಾಂಟಸ್ ಪಳೆಯುಳಿಕೆಗಳನ್ನು ಕಂಡುಹಿಡಿದಿದ್ದಾರೆ. ಇದು ಭಾರತದಿಂದ ಇಂತಹ ಪಳೆಯುಳಿಕೆಗಳ ಮೊದಲ ದಾಖಲೆ ಮಾತ್ರವಲ್ಲ, ಇದುವರೆಗೆ ಪತ್ತೆಯಾದ ಅತಿದೊಡ್ಡ ಲಾಕಿಯಾ ಕುರುಹುಗಳು.

लिखा गया
ಇಂಡೋ-ಬರ್ಮೀಸ್ ಪ್ಯಾಂಗೊಲಿನ್ (ಮನಿಸ್ ಇಂಡೋಬರ್ಮಾನಿಕಾ). ಕೃಪೆ: ವಾಂಗ್ಮೋ, ಎಲ್.ಕೆ., ಘೋಷ್, ಎ., ಡೋಲ್ಕರ್, ಎಸ್. ಮತ್ತು ಇತರರು.

ಕಳ್ಳತನದಿಂದ ಸಾಗಾಟವಾಗುತ್ತಿದ್ದ ಹಲವು ಪ್ರಾಣಿಗಳ ನಡುವೆ ಪ್ಯಾಂಗೋಲಿನ್ ನ ಹೊಸ ಪ್ರಭೇದವನ್ನು ಪತ್ತೆ ಮಾಡಲಾಗಿದೆ.

लिखा गया
ಸ್ಪರ್ಶರಹಿತ ಬೆರಳಚ್ಚು ಸಂವೇದಕದ ಪ್ರಾತಿನಿಧಿಕ ಚಿತ್ರ

ಸಾಧಾರಣವಾಗಿ, ಫೋನ್ ಅನ್ನು ಅನ್ಲಾಕ್ ಮಾಡುವಾಗ ಅಥವಾ ಕಛೇರಿಯಲ್ಲಿ ಬಯೋಮೆಟ್ರಿಕ್ ಸ್ಕ್ಯಾನರುಗಳನ್ನು ಬಳಸುವಾಗ, ನಿಮ್ಮ ಬೆರಳನ್ನು ಸ್ಕ್ಯಾನರಿನ ಮೇಲ್ಮೈಗೆ ಒತ್ತ ಬೇಕಾಗುತ್ತದೆ. ಬೆರಳಚ್ಚುಗಳನ್ನು ಸೆರೆಹಿಡಿಯುವುದು ಹೀಗೆ. ಆದರೆ, ಹೊಸ ಸಂಶೋಧನೆಯೊಂದು ಈ ಪ್ರಕ್ರಿಯೆಯನ್ನು ಇನ್ನಷ್ಟು ಸ್ವಚ್ಛ, ಸುಲಭ ಮತ್ತು ಹೆಚ್ಚು ನಿಖರವಾಗಿಸುವ ವಿಧಾನವನ್ನು ರೂಪಿಸಿದೆ. ಸಾಧನವನ್ನು ಮುಟ್ಟದೆಯೇ ಬೆರಳಚ್ಚನ್ನು ಸಂಗ್ರಹಿಸುವ ಮಾರ್ಗವನ್ನು ಹುಡುಕಿದೆ.

लिखा गया
ಮೈಕ್ರೋಸಾಫ್ಟ್ ಡಿಸೈನರ್ ನ ಇಮೇಜ್ ಕ್ರಿಯೇಟರ್ ಬಳಸಿ ಚಿತ್ರ ರಚಿಸಲಾಗಿದೆ

ಐಐಟಿ ಬಾಂಬೆಯ ಸಂಶೋಧಕರು ಶಾಕ್‌ವೇವ್-ಆಧಾರಿತ ಸೂಜಿ-ಮುಕ್ತ ಸಿರಿಂಜ್ ಅನ್ನು ಅಭಿವೃದ್ಧಿಪಡಿಸಿದ್ದಾರೆ. ಈ ಮೂಲಕ ಸೂಜಿಗಳಿಲ್ಲದೆ ಔಷಧಿಗಳನ್ನು ಪೂರೈಸುವ ಮಾರ್ಗವನ್ನು ಕಂಡುಹಿಡಿದಿದ್ದಾರೆ.

लिखा गया
ಅತ್ಯಂತ ಪ್ರಾಚೀನ ವಸ್ತುವಿನ ಅಧ್ಯಯನ

ಹಯಾಬುಸಾ ಎಂದರೆ ವೇಗವಾಗಿ ಚಲಿಸುವ ಜಪಾನೀ ಬೈಕ್ ನೆನಪಿಗೆ ತಕ್ಷಣ ಬರುವುದು ಅಲ್ಲವೇ? ಆದರೆ ಜಪಾನಿನ ಬಾಹ್ಯಾಕಾಶ ಸಂಸ್ಥೆ - (ಜಾಕ್ಸ, JAXA) ತನ್ನ ಒಂದು ನೌಕೆಯ ಹೆಸರು ಹಯಾಬುಸಾ 2 ಎಂದು ಇಟ್ಟಿದ್ದಾರೆ. ಈ ನೌಕೆಯನ್ನು ಜಪಾನಿನ ಬಾಹ್ಯಾಕಾಶ ಸಂಸ್ಥೆ ಸೌರವ್ಯೂಹದಾದ್ಯಂತ ಸಂಚರಿಸಿ ರುಯ್ಗು (Ryugu) ಕ್ಷುದ್ರಗ್ರಹವನ್ನು ಸಂಪರ್ಕ ಸಾಧಿಸುವ ಉದ್ದೇಶದಿಂದ  ಡಿಸೆಂಬರ್ 2014 ರಲ್ಲಿ ಉಡಾವಣೆ ಮಾಡಿತ್ತು. ಇದು ಸುಮಾರು ಮೂವತ್ತು ಕೋಟಿ (300 ಮಿಲಿಯನ್) ಕಿಲೋಮೀಟರ್ ದೂರ ಪ್ರಯಾಣಿಸಿ 2018 ರಲ್ಲಿ ರುಯ್ಗು ಕ್ಷುದ್ರಗ್ರಹವನ್ನು ಸ್ಪರ್ಶಿಸಿತ್ತು. ಅಲ್ಲಿಯೇ ಕೆಲ ತಿಂಗಳು ಇದ್ದು ಮಾಹಿತಿ ಮತ್ತು ವಸ್ತು ಸಂಗ್ರಹಣೆ ಮಾಡಿ, 2020 ಯಲ್ಲಿ ಯಶಸ್ವಿಯಾಗಿ ಹಿಂತಿರುಗಿತ್ತು.

लिखा गया
ಕಾಂಕ್ರೀಟ್‌ ಪರೀಕ್ಷೆಗೆ ಪ್ರೋಬ್‌

ಕಾಂಕ್ರೀಟ್‌ನಲ್ಲಿ ಹುದುಗಿರುವ ರೆಬಾರ್‌ಗಳಲ್ಲಿನ ತುಕ್ಕು ಪ್ರಮಾಣವನ್ನು ಮಾಪಿಸಲು ವಿಜ್ಞಾನಿಗಳು ಒಂದು ಹೊಸ ತಪಾಸಕವನ್ನು ಅಭಿವೃದ್ಧಿಪಡಿಸಿದ್ದಾರೆ.

लिखा गया
‘ದ್ವಿಪಾತ್ರ’ದಲ್ಲಿ ಮೈಕ್ರೋ ಆರ್‌ಎನ್‌ಎ

ವೈರಲ್ ಸೋಂಕುಗಳು ಮತ್ತು ಸ್ವಯಂ ನಿರೋಧಕ ಕಾಯಿಲೆಗಳಲ್ಲಿ ಮೈಕ್ರೋ ಆರ್‌ಎನ್‌ಎ ‘ದ್ವಿಪಾತ್ರ’ದಲ್ಲಿ ಕೆಲಸ ಮಾಡುತ್ತದೆ. 

लिखा गया
ರೀಚಾರ್ಜ್ ಮಾಡಬಹುದಾದ ಬ್ಯಾಟರಿಗಳು

ಐಐಟಿ ಬಾಂಬೆ ಯ ಬ್ಯಾಟರಿ ಪ್ರೋಟೋಟೈಪಿಂಗ್ ಲ್ಯಾಬ್ ನ ಸಂಶೋಧಕರು ಇಂಧನ (ಶಕ್ತಿ) ಶೇಖರಣಾ ಸಾಧನವಾಗಿರುವ ರೀಚಾರ್ಜ್ ಮಾಡಬಹುದಾದ ಬ್ಯಾಟರಿಗಳ ಬಗ್ಗೆ ಅಧ್ಯಯನ ನಡೆಸುತ್ತಿದ್ದಾರೆ. 

Loading content ...
Loading content ...
Loading content ...
Loading content ...
Loading content ...