मुंबई
जटिल रासायनिक अभिक्रियाएँ अब होंगी वीडियो के रूप में दर्ज़

प्रकाश संश्लेषण जैसी जैविक और रासायनिक अभिक्रियाएँ परमाणुओं के बीच इलेक्ट्रॉनों की गतिविधि का परिणाम हैं। यह चार्ज कैसे वितरित होता है और वह किस दिशा में चलता है, ये बातें रासायनिक अभिक्रिया के विभिन्न चरणों को इंगित कर सकती हैं। यह अंतर्दृष्टि हमें इन जटिल अभिक्रियाओं को बेहतर ढंग से समझने में मदद कर सकती है। संभवतः, इस ज्ञान का उपयोग कर रसायनों और दवाओं को बनाने के और भी तेज़ और कुशल तरीके तैयार किये जा सकते हैं। अब तक, चार्ज के वितरण में परिवर्तन केवल गणितीय रूप से व्यक्त किए जा सकते थे, लेकिन प्रयोगों के माध्यम से उन्हें देख पाना संभव नहीं था।

हाल ही के एक अध्ययन में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मुंबई (आई आई टी बॉम्बे) के प्राध्यापक गोपाल दीक्षित और उनके दल ने जर्मनी और फ्रांस के कुछ शोधकर्ताओं के साथ मिलकर पहली बार रासायनिक अभिक्रिया के दौरान चार्ज के वितरण में हो रहे परिवर्तन को एक वीडियो में दर्ज़ करके दिखाया है। फ़िज़िकल रिव्यू लेटर्स नाम की एक पत्रिका में प्रकाशित इस अध्ययन में शोधकर्ता दर्शाते हैं कि कैसे लघु एक्स-रे कम्पनों का उपयोग करके कैप्चर की गईं परमाणुओं और इलेक्ट्रॉनों की अनुक्रमिक स्थिर छवियों में चार्ज के वितरण में परिवर्तन के परिमाण और दिशा के बारे में जानकारी मौजूद होती है। विश्लेषणात्मक साधनों का उपयोग करके उन्होंने दिखाया कि इस जानकारी का इस्तेमाल इलेक्ट्रॉनिक प्रवाह की कल्पना करने के लिए कैसे किया जा सकता है, जो चार्ज के वितरण में परिवर्तन को इंगित करने वाली एक मात्रा  है।

परमाणु एक मिलीमीटर के लगभग दस-लाखवें हिस्से जितने बड़े होते हैं। इनमें इलेक्ट्रॉन मौजूद होते हैं जो घने नाभिक के चारों ओर घूमते रहते हैं। एक्स-रे प्रकीर्णन एक तकनीक है जिसका उपयोग इन छोटे इलेक्ट्रॉनों की छवियों को अल्ट्राफास्ट गति से दर्ज़ करने के लिए किया जाता है। एक बहुत ही छोटा एक्स-रे कम्पन, जो एक सेकंड के लगभग बिलियन बिलियनवें भाग जितनी देर तक रहता है, उसे परमाणुओं या अणुओं पर चमकाया जाता है और बिखरे हुए प्रकाश को दर्ज़ कर लिया जाता है। तत्पश्चात चलते इलेक्ट्रॉन की एक छवि दर्ज़ किए गए सिग्नल के गणितीय विश्लेषण का उपयोग करके बनाई जाती है, जिसके परिणामस्वरूप इलेक्ट्रॉन की एक स्थिर तस्वीर तैयार होती है।

चलते इलेक्ट्रॉनों का वीडियो बनाने के लिए शोधकर्ता समय-समाधित एक्स-रे प्रकीर्णन का उपयोग करते हैं। लेज़र कम्पनों का उपयोग करते हुए वे किसी परमाणु या अणु में इलेक्ट्रॉनों को उत्तेजित करते हैं और उसे अस्थिर बना देते हैं। तत्पश्चात जब इलेक्ट्रॉन स्थिर हो रहा होता है, वे बार-बार लघु एक्स-रे कम्पनों का इस्तेमाल कर बिखरे हुए क्रमिक सिग्नलों को दर्ज़ करते हैं। इन सिग्नलों के सामूहिक विश्लेषण के परिणामस्वरूप इलेक्ट्रॉन की गतिविधि का एक वीडियो तैयार होता है।

वर्तमान अध्ययन में शोधकर्ता गणितीय रूप से दर्शाते हैं कि समय-समाधित एक्स-रे प्रकीर्णन से प्राप्त आंकड़ों से हमें चार्ज के वितरण के साथ-साथ इस वितरण के विकास के बारे में भी जानकारी मिलती है। वे दर्शाते हैं कि प्रकीर्णन सम्बंधित डेटा का इस्तेमाल कर इस वितरण की एक तस्वीर बनाई जा सकती है। इसे प्रदर्शित करने के लिए उन्होंने कंप्यूटर मॉडल का उपयोग कर एक्स-रे प्रकीर्णन के डेटा उत्पन्न किये। इस कंप्यूटर सिमुलेशन में उन्होंने बेंज़ीन के एक अणु में इलेक्ट्रॉनों को उत्तेजित करने के लिए लेजर कम्पन का उपयोग किया। जब इलेक्ट्रॉन पुनः स्थिर हो रहे थे, उन्होंने सिम्युलेटेड समय-समाधित एक्स-रे प्रकीर्णन के डेटा को एकत्र किया। उन्होंने इलेक्ट्रॉन की गतिविधि और विद्युत प्रवाह के वीडियो बनाते के लिए उत्पन्न एक्स-रे प्रकीर्णन डेटा का उपयोग किया।

जब इलेक्ट्रॉन में गतिविधि चल रही होती है, ऐसे में विद्युत प्रवाह में समयोचित अंतर्दृष्टि रासायनिक अभिक्रिया के दौरान चल रहे इलेक्ट्रॉनों के प्रवाह को पदांकित करने की संभावना को खोलता है। भविष्य में यह शोधकर्ताओं को रासायनिक अभिक्रियाओं का प्रारूप गढ़ने या वांछनीय यौगिक पदार्थों को प्राप्त करने के लिए योग्य उत्प्रेरक चुनने में मदद कर सकता है।

प्रयोगों में प्रवाह की तस्वीर गढ़कर शोधकर्ता आगे का रास्ता गढ़ सकते हैं। व्यावहारिक रूप से देखा जाए तो एक्स-रे कम्पन की लम्बाई में कमी और उनके उत्पन्न होने की द्रुत गति तेज अभिक्रियाओं की जांच की सीमा तय कर सकती है।

"हमें उम्मीद है कि यह काम वैज्ञानिकों को और भी प्रयोग करने, और इलेक्ट्रॉनिक प्रवाह के डेटा को दर्ज़ करने के लिए प्रेरित करेगा," प्राध्यापक दीक्षित ने अपनी बात पूरी करते हुए कहा।

 


इस लेख में जिन शोधकर्ताओं के काम को सम्मिलित किया गया है, उन्हें यह लेख पढ़ाया भी गया है, जो लेख की सटीकता को सुनिश्चित करता है।
 

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