बेंगलुरु
Wiping off fossil fuels could save 3.6 million lives

वायु प्रदूषण विश्व में अनुमानित ७० लाख मृत्युओं के लिए जिम्मेदार है, और अकेले भारत में ही इसके कारण १० लाख से अधिक लोग प्रतिवर्ष मारे जाते हैं। जीवाश्म एवं जैव ईंधन का प्रयोग, कृषि, और औद्योगिक गतिविधियाँ पर्यावरण में हानिकारक ग्रीनहाउस गैसों एवं प्रदूषणकारी कणों में बढ़ोतरी के मुख्य कारक हैं। यह प्रदूषक न केवल ग्लोबल वार्मिंग को  बढ़ावा देते हैं किंतु हमारे स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक होते हैं। साथ ही यह वर्षा चक्र को बिगाड़ने अर्थात बारिश को कम करने एवं सूखे का कारण बनते हैं। वायु प्रदूषण को कम करने के लिए जीवाश्म ईंधन के उपयोग को समाप्त करना ही एक स्पष्ट तरीका है। हालाँकि, इससे क्या अंतर हो सकता है यह एक बड़ा प्रश्न है।

हाल ही के एक अध्ययन में अंतरराष्ट्रीय शोधकर्ताओं के एक समूह ने जीवाश्म ईंधन से संबंधित वायु प्रदूषण के कारण होने वाली मौतों की संख्या ३६ लाख तक आंकी है। अगर विश्व में जीवाश्म ईंधन का उपयोग बंद हो जाए, तो दुनिया भर में कई जीवन बचाए जा सकते हैं जिसमें  भारत के ६९२,००० और चीन में लगभग १५ लाख व्यक्ति शामिल हैं। इसके अतिरिक्त इस अध्ययन में यह भी पाया गया कि सभी मानवीय गतिविधियों के कारण होने वाले वायु प्रदूषण से छुटकारा पाने पर विश्व में लगभग ५५ लाख लोगों के प्राणों की रक्षा हो सकती है। अध्ययन के निष्कर्ष प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेस  में प्रकाशित हुए हैं।

शोधकर्ताओं ने सार्वजनिक स्वास्थ्य और जल चक्र पर वायु प्रदूषण के प्रभाव की गणना के लिए एक जलवायु मॉडल का उपयोग किया। इस अध्ययन में प्रदूषकों के उत्सर्जन, अवस्था, एवं  वातावरण को प्रभावित करने वाली अन्य घटनाओं के बीच परस्पर संबंध को ध्यान में रखा गया। शोधकर्ताओं ने सार्वजनिक स्वास्थ्य और जलवायु पर उनके प्रभाव का अनुमान लगाने के लिए ओजोन और २.५ माइक्रोमीटर (पीएम-२.५) से छोटे कणिका तत्व की सांद्रता की गणना एक काल्पनिक परिदृश्य में की है, जहाँ जीवाश्म ईंधन के कारण कोई उत्सर्जन नहीं होता है, एवं अन्य गतिविधियों के कारण भी कम से कम प्रदूषकों का उत्सर्जन होता है।

इस अध्ययन में जीवाश्म ईंधन और अन्य मानवीय गतिविधियों का नियंत्रण करने पर वैश्विक स्तर पर कितनी जाने बचायी जा सकती है, इसका एक व्यापक अनुमान दिया गया है। अध्ययन के अनुसार, मानव गतिविधियों से चीन में लगभग २२ लाख और भारत में ११ लाख मृत्यु होती हैं जिन्हें रोका जा सकता है। दोनों देशों में वायु प्रदूषण के कारण लगभग ६९ लाख और ५५ लाख साल तक जीने योग्य सालों को खो दिया। अन्य देशों जैसे संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस, और बांग्लादेश में वायु प्रदूषण के कारण होने वाली मानव मृत्यु में सार्थक कमी थी।

वायु प्रदूषण के कारण मृत्यु दर [डेटा स्रोत]

वायु प्रदूषण के प्रमुख कारकों को नियंत्रित करने से (जो अलग-अलग देशों में अलग-अलग है) सबसे अधिक स्वास्थ्य लाभ प्राप्त किया गया है।

“जीवाश्म ऊर्जा उत्सर्जन खत्म करने से, दक्षिण एशिया और अफ्रीका की तुलना में उत्तरी अमेरिका अपेक्षाकृत ज्यादा स्वास्थ्य लाभ है। शोधकर्ताओं का कहना है कि घरों में नियमित ऊर्जा के इस्तेमाल और बायोमास के प्रयोग से यूरोप और पूर्वी एशिया को बहुत फायदा हो सकता है”।

मानवजनित वायु प्रदूषण से बचने वाली मृत्यु दर (गहरे लाल रंग, ज़्यादा जोखिम वाले मृत्यु दर को इंगित करता है)। क्रेडिट: मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट, रसायन विज्ञान की छवि।

जीवाश्म ईंधन के उपयोग करने से वायु प्रदूषण के कारण होनी वाली मृत्यु दर (गहरे लाल रंग, ज़्यादा जोखिम वाले मृत्यु दर को इंगित करता है)। क्रेडिट: मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट, रसायन विज्ञान की छवि।

पिछले अध्ययनों के विपरीत, जो जीवाश्म ईंधन के प्रयोग को खत्म करने की विभिन्न संभावनाओं के बारे में जलवायु परिवर्तन पर अंतर सरकारी पैनल (आईपीसीसी) द्वारा प्रयोग किए गए मार्गों पर आधारित हैं, वर्तमान अध्ययन २०५० तक जीवाश्म ईंधन के प्रयोग को खत्म करने को लेकर विचार करता है। अध्ययन में, धूल के कणों पर प्रदूषण के साथ हवा के रासायनिक प्रभाव का भी विश्लेषण किया भी किया है। शोधकर्ताओं का कहना है कि जीवाश्म ईंधन को खत्म करने से पेरिस समझौते के लक्ष्य को हासिल करने में मदद मिल सकती है, जो विश्व में औसत तापमान वृद्धि को पूर्व-औद्योगिक स्तरों से २ डिग्री सेल्सियस अधिक तक सीमित की कामना करता है।

एरोसोल, जो वायुमंडल में निलंबित बहुत छोटे कण हैं, पृथ्वी तक पहुंचने वाली सूर्य की रोशनी को अवशोषित करते हैं और इस प्रकार वाष्पीकरण और वर्षा को सीमित करते हैं। सभी मानवीय गतिविधियों के कारण होने वाले ऐसे उत्सर्जन को समाप्त करने से वर्षा में वृद्धि होगी और अशांत जल चक्र में सुधार होगा।

लेखकों का कहना है कि “चूँकि एरोसोल, जलीय चक्र को प्रभावित करते हैं, इसलिए इस तंत्र में मानवजनित उत्सर्जन को हटाने से भारत के घनी आबादी वाले क्षेत्रों में १०–७०% और उत्तरी चीन में १०–३०% और मध्य अमेरिका, पश्चिम अफ्रीका में १०–४०% तक वर्षा बढ़ सकती है। इस प्रकार यह, पानी और खाद्य सुरक्षा में मुख्य रूप से योगदान दे रहे हैं”।

भारत में, फेफड़े के कैंसर, फेफड़े के संक्रमण, हृदय रोग, और वायु प्रदूषण के कारण होने वाले रोग, मृत्यु के प्रमुख कारण हैं। ऐसे मामलों में जहां बीमारियाँ ज्यादा घातक प्रतीक नहीं होती हैं, लेकिन इनसे औसतन विश्व स्तर पर आयु संभावित २.९ साल कम हो रही है। इसलिए, वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के कदम सार्वजनिक स्वास्थ्य और जलवायु को अत्यधिक रूप से प्रभावित कर सकते हैं।

अध्ययन के महत्व के बारे मे लेखकों ने कहा कि, "जीवाश्म ईंधन का प्रयोग ख़त्म करना और अन्य मानवजनित उत्सर्जन में कमी करना; जन स्वास्थ्य, क्षेत्रीय जलवायु, जल आपूर्ति और खाद्य उत्पादन पर होने वाले नकारात्मक प्रभावों का समाधान करने के लिए आवश्यक होगा"।

Hindi

Recent Stories

लिखा गया
Research Matters
Industrial Pollution

हाइड्रोजन आधारित प्रक्रियाओं में उन्नत उत्प्रेरकों और नवीकरणीय ऊर्जा के समावेश से स्टील उद्योग में कार्बन विमुक्ति के आर्थिक और औद्योगिक रूप से व्यवहार्य समाधानों का विकास ।

लिखा गया
Research Matters
Representative image of rust: By peter731 from Pixabay

दो वैद्युत-रासायनिक तकनीकों के संयोजन से, शोधकर्ता औद्योगिक धातुओं पर लेपित आवरण पर संक्षारण की दर को कुशलतापूर्वक मापने में सफल रहे।

लिखा गया
Research Matters
प्रतिनिधि चित्र श्रेय: पिक्साहाइव

उत्तम आपदा प्रबंधन एवं आर्थिक सुरक्षा की दृष्टि से, राज्य की वित्त व्यवस्था पर आपदा के प्रभाव का आकलन करने हेतु ‘डिजास्टर इंटेंसिटी इंडेक्स’ का उपयोग करते शोधकर्ता

लिखा गया
Research Matters
Lockeia gigantus trace fossils found from Fort Member. Credit: Authors

ಜೈ ನಾರಾಯಣ್ ವ್ಯಾಸ್ ವಿಶ್ವವಿದ್ಯಾಲಯದ ಸಂಶೋಧಕರು ಜೈಸಲ್ಮೇರ್ ನಗರದ ಬಳಿಯ ಜೈಸಲ್ಮೇರ್ ರಚನೆಯಲ್ಲಿ ಲಾಕಿಯಾ ಜೈಗ್ಯಾಂಟಸ್ ಪಳೆಯುಳಿಕೆಗಳನ್ನು ಕಂಡುಹಿಡಿದಿದ್ದಾರೆ. ಇದು ಭಾರತದಿಂದ ಇಂತಹ ಪಳೆಯುಳಿಕೆಗಳ ಮೊದಲ ದಾಖಲೆ ಮಾತ್ರವಲ್ಲ, ಇದುವರೆಗೆ ಪತ್ತೆಯಾದ ಅತಿದೊಡ್ಡ ಲಾಕಿಯಾ ಕುರುಹುಗಳು.

लिखा गया
Research Matters
ಇಂಡೋ-ಬರ್ಮೀಸ್ ಪ್ಯಾಂಗೊಲಿನ್ (ಮನಿಸ್ ಇಂಡೋಬರ್ಮಾನಿಕಾ). ಕೃಪೆ: ವಾಂಗ್ಮೋ, ಎಲ್.ಕೆ., ಘೋಷ್, ಎ., ಡೋಲ್ಕರ್, ಎಸ್. ಮತ್ತು ಇತರರು.

ಕಳ್ಳತನದಿಂದ ಸಾಗಾಟವಾಗುತ್ತಿದ್ದ ಹಲವು ಪ್ರಾಣಿಗಳ ನಡುವೆ ಪ್ಯಾಂಗೋಲಿನ್ ನ ಹೊಸ ಪ್ರಭೇದವನ್ನು ಪತ್ತೆ ಮಾಡಲಾಗಿದೆ.

लिखा गया
Research Matters
ಸ್ಪರ್ಶರಹಿತ ಬೆರಳಚ್ಚು ಸಂವೇದಕದ ಪ್ರಾತಿನಿಧಿಕ ಚಿತ್ರ

ಸಾಧಾರಣವಾಗಿ, ಫೋನ್ ಅನ್ನು ಅನ್ಲಾಕ್ ಮಾಡುವಾಗ ಅಥವಾ ಕಛೇರಿಯಲ್ಲಿ ಬಯೋಮೆಟ್ರಿಕ್ ಸ್ಕ್ಯಾನರುಗಳನ್ನು ಬಳಸುವಾಗ, ನಿಮ್ಮ ಬೆರಳನ್ನು ಸ್ಕ್ಯಾನರಿನ ಮೇಲ್ಮೈಗೆ ಒತ್ತ ಬೇಕಾಗುತ್ತದೆ. ಬೆರಳಚ್ಚುಗಳನ್ನು ಸೆರೆಹಿಡಿಯುವುದು ಹೀಗೆ. ಆದರೆ, ಹೊಸ ಸಂಶೋಧನೆಯೊಂದು ಈ ಪ್ರಕ್ರಿಯೆಯನ್ನು ಇನ್ನಷ್ಟು ಸ್ವಚ್ಛ, ಸುಲಭ ಮತ್ತು ಹೆಚ್ಚು ನಿಖರವಾಗಿಸುವ ವಿಧಾನವನ್ನು ರೂಪಿಸಿದೆ. ಸಾಧನವನ್ನು ಮುಟ್ಟದೆಯೇ ಬೆರಳಚ್ಚನ್ನು ಸಂಗ್ರಹಿಸುವ ಮಾರ್ಗವನ್ನು ಹುಡುಕಿದೆ.

लिखा गया
Research Matters
ಮೈಕ್ರೋಸಾಫ್ಟ್ ಡಿಸೈನರ್ ನ ಇಮೇಜ್ ಕ್ರಿಯೇಟರ್ ಬಳಸಿ ಚಿತ್ರ ರಚಿಸಲಾಗಿದೆ

ಐಐಟಿ ಬಾಂಬೆಯ ಸಂಶೋಧಕರು ಶಾಕ್‌ವೇವ್-ಆಧಾರಿತ ಸೂಜಿ-ಮುಕ್ತ ಸಿರಿಂಜ್ ಅನ್ನು ಅಭಿವೃದ್ಧಿಪಡಿಸಿದ್ದಾರೆ. ಈ ಮೂಲಕ ಸೂಜಿಗಳಿಲ್ಲದೆ ಔಷಧಿಗಳನ್ನು ಪೂರೈಸುವ ಮಾರ್ಗವನ್ನು ಕಂಡುಹಿಡಿದಿದ್ದಾರೆ.

लिखा गया
Research Matters
ಅತ್ಯಂತ ಪ್ರಾಚೀನ ವಸ್ತುವಿನ ಅಧ್ಯಯನ

ಹಯಾಬುಸಾ ಎಂದರೆ ವೇಗವಾಗಿ ಚಲಿಸುವ ಜಪಾನೀ ಬೈಕ್ ನೆನಪಿಗೆ ತಕ್ಷಣ ಬರುವುದು ಅಲ್ಲವೇ? ಆದರೆ ಜಪಾನಿನ ಬಾಹ್ಯಾಕಾಶ ಸಂಸ್ಥೆ - (ಜಾಕ್ಸ, JAXA) ತನ್ನ ಒಂದು ನೌಕೆಯ ಹೆಸರು ಹಯಾಬುಸಾ 2 ಎಂದು ಇಟ್ಟಿದ್ದಾರೆ. ಈ ನೌಕೆಯನ್ನು ಜಪಾನಿನ ಬಾಹ್ಯಾಕಾಶ ಸಂಸ್ಥೆ ಸೌರವ್ಯೂಹದಾದ್ಯಂತ ಸಂಚರಿಸಿ ರುಯ್ಗು (Ryugu) ಕ್ಷುದ್ರಗ್ರಹವನ್ನು ಸಂಪರ್ಕ ಸಾಧಿಸುವ ಉದ್ದೇಶದಿಂದ  ಡಿಸೆಂಬರ್ 2014 ರಲ್ಲಿ ಉಡಾವಣೆ ಮಾಡಿತ್ತು. ಇದು ಸುಮಾರು ಮೂವತ್ತು ಕೋಟಿ (300 ಮಿಲಿಯನ್) ಕಿಲೋಮೀಟರ್ ದೂರ ಪ್ರಯಾಣಿಸಿ 2018 ರಲ್ಲಿ ರುಯ್ಗು ಕ್ಷುದ್ರಗ್ರಹವನ್ನು ಸ್ಪರ್ಶಿಸಿತ್ತು. ಅಲ್ಲಿಯೇ ಕೆಲ ತಿಂಗಳು ಇದ್ದು ಮಾಹಿತಿ ಮತ್ತು ವಸ್ತು ಸಂಗ್ರಹಣೆ ಮಾಡಿ, 2020 ಯಲ್ಲಿ ಯಶಸ್ವಿಯಾಗಿ ಹಿಂತಿರುಗಿತ್ತು.

लिखा गया
Research Matters
ಕಾಂಕ್ರೀಟ್‌ ಪರೀಕ್ಷೆಗೆ ಪ್ರೋಬ್‌

ಕಾಂಕ್ರೀಟ್‌ನಲ್ಲಿ ಹುದುಗಿರುವ ರೆಬಾರ್‌ಗಳಲ್ಲಿನ ತುಕ್ಕು ಪ್ರಮಾಣವನ್ನು ಮಾಪಿಸಲು ವಿಜ್ಞಾನಿಗಳು ಒಂದು ಹೊಸ ತಪಾಸಕವನ್ನು ಅಭಿವೃದ್ಧಿಪಡಿಸಿದ್ದಾರೆ.

लिखा गया
Research Matters
‘ದ್ವಿಪಾತ್ರ’ದಲ್ಲಿ ಮೈಕ್ರೋ ಆರ್‌ಎನ್‌ಎ

ವೈರಲ್ ಸೋಂಕುಗಳು ಮತ್ತು ಸ್ವಯಂ ನಿರೋಧಕ ಕಾಯಿಲೆಗಳಲ್ಲಿ ಮೈಕ್ರೋ ಆರ್‌ಎನ್‌ಎ ‘ದ್ವಿಪಾತ್ರ’ದಲ್ಲಿ ಕೆಲಸ ಮಾಡುತ್ತದೆ. 

लिखा गया
Research Matters
ರೀಚಾರ್ಜ್ ಮಾಡಬಹುದಾದ ಬ್ಯಾಟರಿಗಳು

ಐಐಟಿ ಬಾಂಬೆ ಯ ಬ್ಯಾಟರಿ ಪ್ರೋಟೋಟೈಪಿಂಗ್ ಲ್ಯಾಬ್ ನ ಸಂಶೋಧಕರು ಇಂಧನ (ಶಕ್ತಿ) ಶೇಖರಣಾ ಸಾಧನವಾಗಿರುವ ರೀಚಾರ್ಜ್ ಮಾಡಬಹುದಾದ ಬ್ಯಾಟರಿಗಳ ಬಗ್ಗೆ ಅಧ್ಯಯನ ನಡೆಸುತ್ತಿದ್ದಾರೆ. 

Loading content ...
Loading content ...
Loading content ...
Loading content ...
Loading content ...