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आधुनिक पारिधेय और आरोपण योग्य उपकरण जो कर सकेंगे शरीर में औषधि सम्प्रेषण बनेंगे हमारे तारणहार

क्या आप कभी अपनी औषधि लेने से चूक गए हैं? आप इसे दुर्लक्षित कर सकते हैं और अपने आप को भविष्य में नियमित होने के लिए कह सकते हैं। यध्यपि कई परिस्थितियों में भले ही औषधि की एक मात्रा चूकने के परिणाम गंभीर नहीं होते, तथापि निर्धारित मात्रा में औषधि की अनुसूची का कड़ाई से पालन न करने से कुछ चिकित्सीय स्थितियों यथा मधुमेह, कैंसर, हृदय और नेत्र रोगों में गंभीर समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।

प्रौद्योगिकी उन लोगों के लिए एक तारणहार हो सकती है जो इंजेक्शन लगाने के लिए कौशल की कमी, मनोभ्रंश जैसी स्थितियों, या मात्र अनिच्छा के कारण औषधि सेवन की अनुसूची का पालन नहीं कर सकते हैं। पारिधेय उपकरण और आरोपण योग्य उपकरण शरीर की आवश्यकता और पूर्व-निर्धारित अनुसूची के अनुसार निर्धारित दवा को स्वचालित रूप से सम्प्रेषित कर सकते हैं। पारिधेय उपकरण और आरोपण योग्य उपकरण पारम्परिक औषधि सम्प्रेषण प्रणालियों में देखी जाने वाली अनावश्यक औषधि की मात्रा को कम करने में सहायता करते हैं। वे औषधि को लम्बी अवधि तक नियंत्रित तरीके से तथा आवश्यक मात्रा में शरीर में सम्प्रेषित करते हैं जिससे शरीर को किसी भी हानिकारक प्रभाव से बचाया जा सकता है | यह प्रायः कीमोथेरेपी जैसे उपचारों में देखा जाता है। ये उपकरण गत कुछ समय से क्रियाशील और प्रसिद्ध हो रहे हैं और समय पर औषधि के सेवन की कमी को दूर कर सकते हैं। पारिधेय उपकरण शरीर पर पहने जाते हैं, जैसे मधुमेह के लिए इंसुलिन पंप या गर्भनिरोधक उद्देश्यों के लिए औषधीय आभूषण। आरोपण उपकरणों को शरीर के अंदर स्थापित किया जाता है, जैसे एंजियोप्लास्टी के समय धमनी में कोरोनरी स्टेंट लगाया जाता है।

बायोसाइंसेज एंड बायोइंजीनियरिंग विभाग, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान बॉम्बे से अभिनन्दा कार, महिमा देवानी, लीशा अवस्थी और रूनाली पाटिल ने स्वर्गीय प्रो. रिंती बनर्जी और डॉ नदीम अहमद के मार्गदर्शन में विश्व स्तर पर अनुसंधान किये जाने वाले पारिधेय और आरोपण योग्य औषधि सम्प्रेषण उपकरणों  का एक व्यापक अध्ययन प्रकाशित किया है। शोधकर्ताओं ने पिछले दस वर्षों की अवधि में पारिधेय उपकरणों और आरोपण योग्य उपकरणों में हुई प्रगति का विश्लेषण किया साथ ही उन्होंने इन प्रौद्योगिकियों को रोग - विषयक व्यवस्थाओ में परिवर्तित करने में आने वाले चुनौतियों का भी विश्लेषण किया। इस शोध पत्र के संपर्क लेखक डॉ अहमद कहते हैं, "ऐसे कई उपकरणों की अवधारणा 15-20 वर्षों से अधिक कालावधि से प्रायोगिक स्तर पर उपस्थित है, तथापि वे रोगियों के लिए चिकित्सकीय रूप से उपलब्ध नहीं हैं। चुनौतियों का अध्ययन यह ज्ञात करने के लिए महत्वपूर्ण है कि इन प्रौद्योगिकियों के उपयोग में आगे क्या बाधा आ रही है।"

पारिधेय और आरोपण योग्य उपकरणों की सामग्री और रचना की आवश्यकताएं

पहनने योग्य उपकरण किसी भी प्रकार की एलर्जी या शरीर पर कोई भी प्रतिकूल प्रभाव उत्पन्न किए बिना लंबे समय तक पहनने के लिए आरामदायक होने चाहिए। उनमें शरीर में औषधि को सम्प्रेषित करने का नियंत्रण सहज होना चाहिए और बिना किसी विशेषज्ञ की आवश्यकता के वे सरलता से बदलने योग्य भी होने चाहिए। शरीर को स्वीकार्य आरोपण उपकरण ऐसे होने चाहिए जो प्रतिकूल प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को सक्रिय ना करें। उनका आरोपण न्यूनतम शल्य प्रक्रिया से सम्भव होना चाहिए। आंखों में लगाए गए उपकरणों का पारदर्शी होना आवश्यक है। पारिधेय उपकरणों और आरोपण योग्य उपकरणों का शरीर की दैनिक गतिविधियों के साथ तालमेल रहना चाहिए| इन उपकरणों ने औषधि को पर्याप्त मात्रा में धारण करना चाहिए और निर्धारित मात्रा में औषधि का सम्प्रेषण करना चाहिए।

पारिधेय उपकरणों और आरोपण योग्य उपकरणों को बनाने के लिए प्राकृतिक रूप से व्युत्पन्न अ -विषाक्त और जैव निम्नीकरणीय पदार्थ जैसे कि चिटोसन, एल्गिनिक एसिड, हाइलूरोनिक एसिड, लिपिड, प्रोटीन और सिंथेटिक जैव निम्नीकरणीय पदार्थ जैसे पॉलीलैक्टिक एसिड (पीएलए), पॉलीलैक्टिक-को-ग्लाइकोलिक एसिड (पीएलजीए), पॉलीकैप्रोलैक्टोन (पीसीएल), पॉलीएनहाइड्राइड्स पॉलीविनाइल अल्कोहल सामान्यतः उपयोग में लाए जाते है।

आरोपण योग्य उपकरणों और पारिधेय उपकरणों का आकार इस बात से नियंत्रित होता है कि उनका उपयोग कहाँ किया जा रहा है। विशिष्ट उपयोगकर्ता के सुविधानुसार अनुकूल माउथ गार्ड्स, सेल्फ-केयर टैक्सटाइल्स और औषधीय आभूषण (फार्मास्युटिकल ज्वैलरी) जैसे आरोपण योग्य उपकरणों के आकार और आयाम निर्धारित किये जाते हैं। माइक्रोनीडल पैच, घाव भरने वाली पट्टियाँ, और इंसुलिन पैच जैसे उपकरण त्वचा पर पहने जाते हैं, इसलिए विशेष आयामों का होना आवश्यक नहीं होता। आरोपण योग्य उपकरणों के आकार और डिजाइन में संगतता बहुत महत्वपूर्ण है, विशेष रूप से संवहनी स्टेंट जैसे अनुप्रयोगों में। डिजाइन सटीक होना चाहिए ताकि वे आरोपण के लिए सुविधाजनक हों और संवहनी ऊतकों के साथ निर्बाध रूप से एकीकृत हों।

शरीर में औषधि सम्प्रेषण के लिए विविध विकल्प

जब औषधि को मौखिक रूप से या त्वचा के भीतर जैसे नस में इंजेक्शन का उपयोग करके सम्प्रेषित किया जाता है, तो औषधि शरीर के कुछ भागों से प्रवाहित होती है जो लक्षित नहीं होते हैं। इस तरह की पारंपरिक औषधि सम्प्रेषण में कुछ समस्याएं हैं। एक रोगी को बार-बार औषधि के सेवन की आवश्यकता हो सकती है। सम्प्रेषण के लिए लक्षित क्षेत्र के अतिरिक्त शरीर के अन्य अंगों में औषधि से विषाक्त प्रतिक्रियाएं उत्पन्न हो सकती है। आरोपण उपकरण औषधि को सीधे लक्षित क्षेत्र और अंग तक पहुंचा सकते हैं और विषाक्त प्रतिक्रिया की संभावना को कम कर सकते हैं। स्तन कैंसर, सिर और गर्दन के कैंसर या मुंह के कैंसर जैसे बाहरी रूप से सुलभता से पहुँच वाले अर्बुद (ट्यूमर) में, हाइड्रोजेल-आधारित ड्रग-डिपो और ड्रग-रिलीज़िंग फिल्म जैसे उपकरण लंबे समय तक सीधे अर्बुद स्थल (ट्यूमर साइट) पर ही औषधि पहुंचाते हैं। यह विधि पारंपरिक रसायन चिकित्सा (कीमोथेरेपी) में देखी गई प्रतिकूल प्रतिक्रियाओं को न्यूनतम कर सकती है।

कैंसर के उपचार के लिए जहां कहीं भी पारिधेय या आरोपण योग्य औषधि सम्प्रेषण उपकरण उपलब्ध हैं, वहाँ आरोपण योग्य उपकरण अधिक उपयोगी होते हैं क्योंकि वे औषधि की अधिक मात्रा को स्थल विशेष पर सम्प्रेषित करते हैं।

वर्तमान में, बहुत लोग मधुमेह प्रबंधन के लिए शरीर में इंसुलिन वितरण हेतु इंसुलिन पंप, इंजेक्शन पैन या माइक्रोनीडल पैच का उपयोग करते हैं। एक उन्नत स्व-संचालित विधुत्तापीय (इलेक्ट्रोथर्मल) पैच त्वचा में से इंसुलिन सम्प्रेषित करता है और यह माइक्रोनीडल पैच से भी उन्नत विधि से भीतर जाता है। इंजेक्शन योग्य हाइड्रोजेल, छिद्रयुक्त मचान (पोरस स्कैफोल्ड), बाहर से नियंत्रित इंसुलिन पंप और माइक्रोफाइबर से बने झिल्ली परत जैसे आरोपण उपकरण इंसुलिन और अन्य मधुमेह निरोधक औषधि के नियंत्रित सम्प्रेषण के लिए व्यावहारिक और विश्वसनीय विकल्प प्रदान करते हैं, इस प्रकार वे त्रुटिपूर्ण और अनियमित औषधि मात्रा के सम्प्रेषण की समस्या का समाधान करते हैं।

प्रत्यारोपित उपकरण स्थानीय रूप से आंखों के एक विशिष्ट भाग में औषधि का सम्प्रेषण करता है। ऐसे जैव-संगत और अ-विषैले आरोपण योग्य उपकरणों को ही आँखों द्वारा सहज रूप से स्वीकार किया जाता है। यध्यपि भौतिक स्थितियों के कारण सामग्री अवनत हो जाती है, तथापि इसका जो अवशेष निर्मित होता है वह अ-विषाक्त होता है और आँसुओं के द्वारा बाहर निकल जाता है।

पारिधेय और आरोपण योग्य उन्नत उपकरण शरीर के गमनागमन, पसीना, आँसू, लार और योनि द्रव जैसे आंतरिक कारकों के अनुसार तथा प्रकाश, चुंबकीय बल या अल्ट्रासाउंड जैसे बाहरी कारणों के अनुसार औषधि सम्प्रेषण की दर को नियंत्रित कर सकते हैं। इन उपकरणों को पहनने योग्य 'स्मार्ट' उपकरण कहा जाता है। ऐसे 'स्मार्ट' पारिधेय और आरोपण योग्य उपकरण भी हैं जिन्हें वायरलेस संचार का उपयोग करके नियंत्रित किया जा सकता है। इस तरह के सुदूर नियंत्रित स्मार्ट उपकरण मोबाइल हेल्थकेयर, टेलीमेडिसिन और व्यक्तिगत चिकित्सा में अत्यधिक उपयोगी हैं। इससे जुड़ा एक रोचक अन्वेषण डायबिटिक रेटिनोपैथी के उपचार के लिए एक स्मार्ट और बहुकार्यात्मक (मल्टीफंक्शनल) कॉन्टैक्ट लेंस है। यह लेंस रोगी के आंसू द्रव के ग्लूकोज स्तर की निगरानी समय पर कर सकता है तथा रोगी या स्वास्थ्य सेवा प्रदाता एक वायरलैस रिमोट उपकरण के माध्यम से औषधि सम्प्रेषण को नियंत्रित कर सकता है, कुछ इस प्रकार से कि औषधि चक्षु पटल (कॉर्निया), श्वेतपटल और नेत्र पटल (रेटिना) में अवशोषित हो जाती है। इस कॉन्टैक्ट लेंस का परीक्षण एक मधुमेह ग्रसित खरगोश की आंखों में किया गया था। मानक, प्रभावी परंतु आक्रमक प्रक्रियाओं की अपेक्षा उपकरण ने बहुत अधिक संवेदनशीलता दिखाई।

पारिधेय तकनीक सतह पर अवस्थित कुछ प्रकार के त्वचा कैंसर, स्तन कैंसर और मुंह के कैंसर के उपचार में उपयोगी है। कैंसर के उपचार के लिए अब तक एंटी-कैंसर बैंडेज, ड्रग-रिलीजिंग सेल्फ-केयर टैक्सटाइल्स , पहनने योग्य पैच और माइक्रोनीडल पैच वाले उपकरणों का उपयोग किया गया है।

गर्भनिरोध एक ऐसा लोकप्रिय क्षेत्र है जहां दर्द रहित, सस्ती और लंबे समय तक चलने वाली औषधि सम्प्रेषण के लिए पारिधेय उपकरणों और आरोपण योग्य उपकरणों का व्यापक अन्वेषण तथा उनका उपयोग होता है। वे गर्भनिरोधक हार्मोन का नियमित और विश्वसनीय निस्तार सुनिश्चित करते हैं और मतली, उल्टी या अनियमित रक्तस्राव जैसे दुष्प्रभावों से बचाते हैं जो मौखिक गर्भनिरोधकों के सेवन के कारण हो सकते हैं। औषधीय आभूषण (फार्मास्युटिकल ज्वैलरी), औषधि धारक (ड्रग कैरीइंग) सेल्फ केयर टैक्सटाइल्स, अन्तः गर्भाशय (इंट्रा वैजाइनल) रिंग्स (आईवीआर) इस क्षेत्र के कुछ प्रमुख विकसित उपकरण हैं। आरोपण योग्य उपकरण कई वर्षों तक गर्भनिरोधक सुरक्षा प्रदान कर सकते हैं। बहुत लोकप्रिय कॉपर टी इसका एक उदाहरण है।

कोरोनरी स्टेंट बनाने में आरोपण योग्य उपकरणों ने एक महत्वपूर्ण अनुप्रयोग पाया है, जिसने रक्तवाहिका संधान (एंजियोप्लास्टी) उपचार में क्रांतिकारी परिवर्तन किया है और लाखों लोगों की जान बचाई है।

पारिधेय उपकरण और आरोपण योग्य उपकरण बनाने में चुनौतियां

पारिधेय उपकरण एक समय में औषधि की केवल एक छोटी मात्रा धारण कर सकते हैं, जिससे वे उन रोगों के उपचार के लिए अनुपयुक्त हो जाते हैं जिनमें औषधि की अधिक मात्रा की आवश्यकता होती है, उदाहरण के लिए, कुछ प्रकार के कैंसर। साधरणतः, उन्हें शरीर की सतह पर रखा जाता है, लेकिन शरीर के तरल पदार्थ जैसे पसीना, योनि द्रव, आँसू और लार उन्हें सतह से अलग कर सकते हैं। इन उपकरणों का नियमित रूप से उपयोग करने से पहले उन्हें शरीर की सतह से जोड़े रखना एक ऐसी समस्या है जिसका शोधकर्ताओं को समाधान करना होगा। एक प्रतिक्रियाशील और विश्वसनीय उपकरण बनाना जो शरीर की आवश्यकता के अनुसार औषधि का निस्तारण कर सके, एक और चुनौतीपूर्ण कार्य है। यध्यपि इन समस्याओं के कुछ समाधान हैं, तथापि रोग-विषयक व्यवस्थाओ में इनका व्यापक परीक्षण किया जाना बाकी है।

आरोपण योग्य उपकरणों की अपनी चुनौतियां हैं। एक सामान्य या जटिल शल्य प्रक्रिया के बिना रोगी के शरीर में से एक प्रत्यारोपित उपकरण को हटाया या बदला नहीं जा सकता है। आरोपण योग्य उपकरणों का उपयोग लंबी अवधि के लिए किया जा सकता है यदि हम उस औषधि की मात्रा में वृद्धि करते हैं जो वे एक बार में वे ले जाते हैं। इसके लिए उपकरण बनाने में उपयुक्त ऐसी जैव सामग्री की आवश्यकता होती है, और ऐसी सामग्री का अनुसंधान अभी भी एक चुनौती है। "इस अध्ययन का उद्देश्य शरीर में औषधि सम्प्रेषण में नवीनतम विकास को संक्षेप में प्रस्तुत करना और प्रदर्शित करना था। हम इस क्षेत्र की चुनौतियों की भी समीक्षा करना चाहते थे। यह भविष्य के अनुसंधान और विकास के लिए नये मार्ग प्रशस्त करने में सहायता करेगा,” डॉ अहमद कहते हैं।

उपयोग में सुगमता, रोगी अनुकूल और आकर्षक कार्यक्षमता के कारण, पारिधेय उपकरणों और आरोपण योग्य उपकरणों में औषधि सम्प्रेषण प्रौद्योगिकियों का केंद्रबिंदु बनने की क्षमता है। शोधकर्ताओं का कहना है कि, इन प्रौद्योगिकियों की व्यापक स्वीकृति के लिए, आगे के अध्ययनों में उपकरण सटीकता, दीर्घकालिक स्थिरता, दीर्घकालिक विषाक्त प्रभाव और विभिन्न मनोसामाजिक कारकों की जांच पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए जिन पर व्यापक शोध की आवश्यकता है।

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